सीलिंग पर सियासत, माकन बोले- अपने लिए नामी वकील, जनता के लिए क्यों नहीं
सर्वोच्च न्यायालय में सीलिंग के मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए दिल्ली सरकार नामी वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं नहीं लेती। इससे स्पष्ट है कि वह जनता के मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। सीलिंग के मुद्दे पर कांग्रेस ने केंद्र और दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने बुधवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि दिल्ली सरकार अपने विधायकों व व्यक्तिगत मुद्दों पर केस लड़ने के लिए राम जेठमलानी, गोपाल सुब्रह्माण्यम जैसे वरिष्ठ वकीलों को मोटी फीस देती है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में सीलिंग के मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए नामी वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं नहीं लेती। इससे स्पष्ट है कि वह जनता के मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है।
बिना किसी तैयारी के अपना पक्ष रखा
माकन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने मास्टर प्लान में किए गए संशाधनों को लेकर केंद्र सरकार को इसलिए फटकार लगाई, क्योंकि उसने बिना किसी तैयारी के अपना पक्ष रखा था। उन्होंने कहा कि 2006 में जब दिल्ली में करीब 8,73,000 व्यावसायिक संपत्तियों पर सीलिंग की तलवार लटक रही थी तो उस समय संप्रग सरकार ने तत्कालीन अटार्नी जनरल गुलाम ई वाहनवती तथा वरिष्ठ वकील विकास सिंह को पक्ष रखने के लिए नियुक्त किया था और सीलिंग की कार्रवाई रोकी थी।
मास्टर प्लान में संशोधन की जरूरत नहीं
उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान में किसी भी संशोधन की जरूरत नहीं है, क्योंकि संप्रग सरकार द्वारा 13 मई 2013 को मास्टर प्लान 2021 में संशोधन कर शॉप कम रेजिडेंस और दूसरे रिहायशी क्षेत्रों में एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो) बढ़ोतरी का प्रावधान कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार 12 अगस्त 2008 को किए संशोधन के तहत बेसमेंट में व्यावसायिक गतिविधियों को चलाने की इजाजत दी गई थी।
सीलिंग न हो इसके लिए प्रावधान किया गया था
कांग्रेस नेता ने कहा कि द नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (स्पेशल प्रोविजन) सेकेंड एक्ट 2011 में अनुच्छेद 3 (1) व (ए) में साफतौर पर शहरी, ग्रामीण, जेजे कलस्टर तथा स्पेशल नोटिफाइट क्षेत्रों में तोड़फोड़ एवं सीलिंग न हो इसके लिए प्रावधान किया गया था।
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