मां ने बेटी को दिया नया जीवनदान, अपनी किडनी देकर बनाया डॉक्टर
मेघा के मुताबिक डॉक्टरों ने जब बताया कि मेरी किडनी फेल हो गई है तो एक पल के लिए लगा कि सब खत्म हो जाएगा, लेकिन मेरी मां ने मेरा हौसला नहीं टूटने दिया।
गुरुग्राम [अनिल भारद्वाज]। कहते हैं धरती पर माता-पिता भगवान का रूप होते हैं, जो अपने बच्चों की खातिर कुछ भी कर गुजरने से कभी पीछे नहीं हटते। इस बात को सेक्टर-47 निवासी 43 वर्षीय मुंद्रा ने एक बार फिर सच साबित कर दिखाया है।
जीवन की उम्मीद भी छोड़ दी
एक स्कूल में अध्यापिका मुंद्रा की बेटी मेघा (उम्र 24 साल) डॉक्टर बनना चाहती थीं। लेकिन 2013 में उसे कुछ परेशानी होने पर डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि किडनी खराब है। यह सुनते ही मेघा ने डॉक्टर बनने के सपने के साथ जीवन की उम्मीद भी छोड़ दी। उसकी जिंदगी डायलिसिस के सहारे चलने लगी, लेकिन मां से अपने जिगर के टुकड़े का दुख देखा नहीं गया।
बेटी और मां दोनों स्वस्थ हैं
मां ने बेटी की भावनाओं को समझ बेटी को अपनी एक किडनी दान कर दी और मेघा के सपनों को फिर से पंख लग गए। अब बेटी और मां दोनों स्वस्थ हैं। मेघा एमबीबीएस कर डॉक्टर बन चुकी हैं मैसूर के एक अस्पताल में सेवारत हैं।
मेघा के लिवर में हुई थी परेशानी
पहले मेघा के लिवर में परेशानी हुई थी, जिसके बाद उनकी किडनी फेल हो गई। वह दो साल तक डायलिसिस पर रहीं। डॉक्टर ने कह दिया था कि जान बचाने के लिए किडनी प्रत्यारोपण करनी पड़ेगी। मेघा ने बताया कि 2015 में उनकी किडनी प्रत्यारोपित की गई थी। उस समय वह मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थीं।
मां ने हौसला नहीं टूटने दिया
मेघा के मुताबिक डॉक्टरों ने जब बताया कि मेरी किडनी फेल हो गई है तो एक पल के लिए लगा कि सब खत्म हो जाएगा, लेकिन मेरी मां ने मेरा हौसला नहीं टूटने दिया। किडनी देकर डॉक्टर बनने की तमन्ना पूरी करा दी। मेघा का कहना है कि अपनी माता का कर्ज कभी नहीं उतर पाएंगी।
बेटी का संदेश
मैंने, जेएसएस मैसूर मेडिकल कॉलेज से 2017 में एमबीबीएस डिग्री हासिल की। अब मैं डॉक्टर हूं। मेरा समाज के युवाओं से यही कहना है कि जब हमारे माता-पिता हमारे लिए किडनी दान कर सकते हैं, तो हमें भी उनके लिए तैयार रहना चाहिए।
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