जानें, 7वें वेतन आयोग केे बाद केंद्रीय कर्मियों को मिली कौन सी बड़ी सौगात
दिल्ली में केंद्रीय कर्मियों के आवास की कमी जल्द दूर होगी। केंद्र सरकार ने 25 हजार से ज्यादा फ्लैट बनाने का निर्णय लिया है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली में केंद्रीय कर्मियों के आवास की कमी जल्द दूर होगी। केंद्र सरकार ने सात सरकारी कॉलोनियों को तोड़कर फिर से बनाने की योजना बनाई है। इसके तहत मौजूदा लगभग 13 हजार इकाइयों को तोड़कर इनकी जगह 25 हजार से ज्यादा इकाइयां बनाई जाएंगी।
खास बात है कि योजना की लागत नवनिर्मित अतिरिक्त व्यावसायिक इमारतों से निकाली जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बैठक में इन सात कॉलोनियों के पुनरुद्धार की योजना को मंजूरी मिल गई।
इसके तहत नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को सरोजनी नगर, नेताजी नगर और नौरोजी नगर की कॉलोनियों में काम करना है। जबकि कस्तूरबा नगर, त्यागराज नगर, शिवपुरी और मोहम्मदपुर कॉलोनियों के पुनर्निर्माण का काम केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को दिया गया है।
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ये सभी कॉलोनियां सामान्य श्रेणी रिहायशी आवास (जीपीआरए) श्रेणी की हैं। इन कॉलोनियों में अभी ऐसी 12,970 इकाइयां हैं, जिन्हें गिराना है। ये टाइप-1 से टाइप-4 की हैं। ये इकाइयां 7.49 लाख वर्ग मीटर के बिल्ट-अप एरिया में हैं। नए सिरे से बनाई जा रही कॉलोनियों में 25,667 रिहाइशी इकाइयां होंगी।
ये सभी टाइप-2 से टाइप-6 की होंगी। इनका बिल्ट-अप एरिया 29.18 लाख वर्गमीटर होगा। इनके लिए जरूरी सामाजिक ढांचागत सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। इतना ही नहीं, यहां 2.42 लाख वर्गमीटर का ऑफिस एरिया भी उपलब्ध हो सकेगा।
खास बात है कि 32,835 करोड़ रुपये की इस योजना के लिए धन भी यहां उपलब्ध अतिरिक्त व्यावसायिक भूमि से ही हासिल किया जाएगा। दिल्ली के रिंग रोड से सटे नौरोजी नगर और सरोजनी नगर कॉलोनी में इसके लिए व्यावसायिक इमारतें खड़ी की जाएंगी।
पूरी योजना को पांच साल में पूरा कर लिया जाना है। दिल्ली के ही ईस्ट किदवई नगर में पहले से ही ऐसी परियोजना चल रही है। बहुत जल्दी ही इसे पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है।