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गोवा में क्‍या है AAP की गरज, केजरीवाल के हिडन एजेंडा से चौंके दल

हरियाणा, पंजाब और गोवा में केजरीवाल के होमवर्क करने के पीछे क्‍या है असल कहानी। आखिर क्‍या है आप का हिडेन एजेंडा। दिल्‍ली में सत्‍ता हासिल करने के बाद आप ने आप की नई रणनीति।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Mon, 23 May 2016 06:19 PM (IST)
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नई दिल्ली [ रमेश मिश्र ] । आम आदमी पार्टी क्षेत्रिय राजनीतिक पार्टी के पाले से निकलने को बेकरार है। जिस तरह से पार्टी के मुखिया व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गाेवा में पसीना बहा रहे है, उससे पार्टी की मंशा साफ हो गई है। पार्टी गाेवा में सत्ता के लिए संघर्ष नहीं कर रहे हैं, बल्कि उसके संघर्ष के पीछे कुछ और ही छिपा है।

आप ने जिस तरह से हरियाणा, पंजाब और गोवा में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है उसने सामान्य जनमानस में निश्चित रूप से एक कौतुहल पैदा कर दिया है। आप की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को लेकर कई सवाल एक साथ खड़े हो जाते हैं।

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पहला, क्या सच में इन राज्यों में आप अपनी जीत को सुनिश्चित मानती है ? दूसरा, क्या सच में इन राज्यों में आप संगठन इतना मजबूत है कि उसको जीत दिला सकता है ? अगर नहीं तो फिर इसके पीछे मंशा क्या है। इन्हीं सब बातों पर पड़ताल करती एक रिपोर्ट।

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जी हां, इतने कम समय में आप ने जो राजनीतिक सफर तय किया वह किसी के लिए भी चौंकाने वाला हो सकता है। शायद ही कोई पार्टी हो जिसने अपने वजूद के इतने कम समय में सत्ता का स्वाद चखा हो। आप को वह सौभाग्य प्राप्त है। ऐसे में पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के पर लगना स्वाभाविक और लाजमी है।

दिल्ली में निश्चित रूप से अाप का बड़ा जनाधार है। यह बात दिल्ली विधानसभा चुनाव में सिद्ध हो गया है। लेकिन क्या पंजाब, हरियाणा और गोवा में आप का वही प्रदर्शन होगा। क्या पार्टी अपनी जीत के लिए यह सारी कवायद कर रही है। दरअसल, इसके पीछे आप की एक बड़ी योजना है। इसे पार्टी अपने सार्वजनिक एजेंडे में शामिल नहीं कर रही है कि सच में इन राज्याें में चुनाव लड़ने के पीछे उसका मूल मकसद क्या है।

दरअसल, इन राज्यों में आप पार्टी भी जानती है कि वह सरकार बनाने का दमखम नहीं रखती है, लेकिन उसकी नजर कहीं और है। आप का सपना और मकसद अब राष्ट्रीय पार्टी बनने का है। वह क्षेत्रीय पार्टी का चोला उतार कर फेंक देना चाहती है। इसलिए अब उसकी कवायद उसी दिशा की ओर अग्रसर है। वह उन मानकों पर अपने को कसना चाहती है, जो राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए अनिवार्य और अपिरहार्य है।

आप को लगता है कि दिल्ली से सटे राज्यों में उसका प्रभुत्व जल्द कायम हो जाएगा। उसे यहां पर जल्द से जल्द कामयाबी मिल जाएगी। अगर यहां से उसे जीतने वाला मत प्रतिशत नहीं मिला तो वह मत प्रतिशत मिल जाए जो राष्ट्रीय पार्टी के लिए जरूरी है। इसलिए पार्टी ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और अब गोवा में अपनाा भाग्य अजमा रही है।

इस तरह आप चार राज्योंं में अपने को क्षेत्रीय दल के रूप में पंजीकृत कराकर वह राष्ट्रीय पार्टी बनने की ओर अग्रसर है। पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी बनने के भले ही तीन मानक न पूरे कर पाएं हो लेकिन चार मानकों में एक मानक को वह निशाना बनाकर चल रही है। इसके तहत कम से कम चार राज्याें में वह क्षेत्रीय दलों के रूप में पंजीकृत हो।

राष्ट्रीय दल बनने की योग्यता

1- लोकसभा चुनाव में उक्त पार्टी ने मतदान में पड़े वैध मतोंं का छह फीसद वोट तीन राज्यों में हासिल किया हो।

2- उक्त पार्टी ने लोकसभा आम चुनाव या विधानसभा चुनावों में अलग-अलग चार राज्यों से छह फीसद मत हासिल किया हो। इसके साथ-साथ उक्त पार्टी ने चार लोकसभा सीटों पर अपनी जीत दर्ज की हो।

3- उक्त पार्टी कम से कम चार राज्यों में क्षेत्रीय दल के रूप में पंजीकृत हो।

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