Move to Jagran APP

दस हजार किमी तक बढ़ा सकते हैं अग्नि-पांच की रेंज

चीन और यूरोप के कई मुल्कों को जद में लेने वाली भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल [आइसीबीएम] अग्नि-पांच की मारक क्षमता को जरूरत पड़ने पर 10 हजार किमी तक बढ़ाया जा सकता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन [डीआरडीओ] सतह से सतह पर फिलहाल पांच हजार किमी तक वार करने में सक्षम इस मिसाइल को अगले दो स

By Edited By: Updated: Tue, 17 Sep 2013 01:35 PM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। चीन और यूरोप के कई मुल्कों को जद में लेने वाली भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल [आइसीबीएम] अग्नि-पांच की मारक क्षमता को जरूरत पड़ने पर 10 हजार किमी तक बढ़ाया जा सकता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन [डीआरडीओ] सतह से सतह पर फिलहाल पांच हजार किमी तक वार करने में सक्षम इस मिसाइल को अगले दो साल में सेना को तैनाती के लिए मुहैया कराने की तैयारी कर रहा है। पनडुब्बी से छोड़े जाने वाले देश के पहले बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र को भी इस साल के अंत कर स्वदेशी नाभिकीय पनडुब्बी आइएनएस अरिहंत से जोड़कर उसके परीक्षण शुरू कर दिए जाएंगे।

अग्नि-पांच के दूसरे कामयाब परीक्षण से उत्साहित डीआरडीओ प्रमुख व रक्षा मंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार अविनाश चंदर ने बताया कि जरूरत पड़ने पर प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता दोगुनी भी की जा सकती है। चंदर ने कहा कि अग्नि-पांच भारत की पहली अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल है और इस बारे में किसी को संशय नहीं होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 19 अप्रैल, 2012 को हुए इसके पहले परीक्षण के वक्त अग्नि-पांच को लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल [एलआरबीएम] कहा गया था।

फिलहाल पूरे चीन और यूरोप के कई मुल्कों तक वार करने में सक्षम अग्नि-पांच की मारक क्षमता यदि दस हजार किमी तक बढ़ाई जाती है तो यह अमेरिका तक भी प्रहार कर सकेगी। रक्षा वैज्ञानिकों ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि प्रक्षेपास्त्रों की प्रहार क्षमता खतरों के आधार पर तय होती है। अग्नि-पांच एक हजार टन नाभिकीय विस्फोटक के साथ पांच हजार किमी तक अपने लक्ष्य पर प्रहार कर सकती है। डीआरडीओ प्रमुख के अनुसार कम समय में अग्नि-पांच को कहीं भी पहुंचाने वाले कैनिस्टर संस्करण के अभी कुछ परीक्षण किए जाएंगे। इसके बाद इसे सेना को उपलब्ध करा दिया जाएगा। डीआरडीओ ने 2008 में अग्नि-पांच प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम का एलान किया था। यह भारत की सबसे कम समय में विकसित मिसाइल है।

भारत अब जमीन और आकाश के साथ पानी के भीतर से भी प्रक्षेपास्त्र प्रहार की क्षमता हासिल कर चुका है। जनवरी, 2013 में हुए परीक्षण के बाद पनडुब्बी से दागी जाने वाली बी-05 मिसाइल नाभिकीय पनडुब्बी अरिहंत से जोड़े जाने के लिए तैयार है। डीआरडीओ प्रमुख ने बताया कि अगले कुछ महीनों में पनडुब्बी के साथ प्रक्षेपास्त्र के परीक्षण शुरू हो जाएंगे। इस प्रक्षेपास्त्र से भारत को रणनीतिक मारक क्षमता हासिल होगी।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।