दस हजार किमी तक बढ़ा सकते हैं अग्नि-पांच की रेंज
चीन और यूरोप के कई मुल्कों को जद में लेने वाली भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल [आइसीबीएम] अग्नि-पांच की मारक क्षमता को जरूरत पड़ने पर 10 हजार किमी तक बढ़ाया जा सकता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन [डीआरडीओ] सतह से सतह पर फिलहाल पांच हजार किमी तक वार करने में सक्षम इस मिसाइल को अगले दो स
नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। चीन और यूरोप के कई मुल्कों को जद में लेने वाली भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल [आइसीबीएम] अग्नि-पांच की मारक क्षमता को जरूरत पड़ने पर 10 हजार किमी तक बढ़ाया जा सकता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन [डीआरडीओ] सतह से सतह पर फिलहाल पांच हजार किमी तक वार करने में सक्षम इस मिसाइल को अगले दो साल में सेना को तैनाती के लिए मुहैया कराने की तैयारी कर रहा है। पनडुब्बी से छोड़े जाने वाले देश के पहले बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र को भी इस साल के अंत कर स्वदेशी नाभिकीय पनडुब्बी आइएनएस अरिहंत से जोड़कर उसके परीक्षण शुरू कर दिए जाएंगे।
अग्नि-पांच के दूसरे कामयाब परीक्षण से उत्साहित डीआरडीओ प्रमुख व रक्षा मंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार अविनाश चंदर ने बताया कि जरूरत पड़ने पर प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता दोगुनी भी की जा सकती है। चंदर ने कहा कि अग्नि-पांच भारत की पहली अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल है और इस बारे में किसी को संशय नहीं होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 19 अप्रैल, 2012 को हुए इसके पहले परीक्षण के वक्त अग्नि-पांच को लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल [एलआरबीएम] कहा गया था।