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...तो क्या इस बार अपने ही जाल में फंसे केजरीवाल, फेल हुआ सियासी फॉर्मूला?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों अपने ही बुने जाल में फंस गए हैं। भाजपा नेता ने सीएम केजरीवाल को खुली बहस की चुनौती देकर दिल्ली सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Wed, 22 Jun 2016 07:38 AM (IST)
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नई दिल्ली [अमित मिश्रा]। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों अपने ही बुने जाल में फंस गए हैं। असल में केजरीवाल जिन अस्त्रों का इस्तेमाल कर विरोधियों को चित कर देते थे अब विरोधियों ने भी उसी अस्त्र का इस्तेमाल कर केजरीवाल पर हमला बोल दिया है।

बैकफुट पर दिल्ली सरकार

सीएम केजरीवाल को उन्हींं की भाषा में जवाब देने का काम भाजपा सांसद महेश गिरी ने किया है। गिरी ने धरना और अनशन के जरिए केजरीवाल पर बड़ा हमला बोला है, इतना ही नहीं भाजपा नेता ने सीएम केजरीवाल को खुली बहस की चुनौती देकर दिल्ली सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया है।

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गिरी को मिला स्वामी का साथ

सीएम आवास के बाहर गिरी का अनशन जारी है। भाजपा नेता के साथ उनके समर्थक मौजूद हैं इतना ही नहीं समय-समय पर भाजपा के बड़े नेता भी गिरी से मिलने पहुंच रहे हैं। पूरे मामले में टर्निंग प्वाइंट तब आ गया जब पूर्वी दिल्ली के सांसद महेश गिरी को पार्टी के बड़े नेता सुब्रमण्यम स्वामी का साथ मिल गया।

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आप नेता कर रहे बचाव

भाजपा की तरफ से केजरीवाल पर सियासी वार शुरू हैं और बचाव के नाम पर आप नेता सोशल मीडिया का सहारा लेकर हालात का रुख बदलने की कोशिश कर रहे हैं। ताजा उदाहरण आप नेता आशुतोष का है जिन्होंने गिरी के अनशन पर चुटकी लेते हुए ट्वीट किया कि 'भाजपा नेता को 21 दिनों तक भूखा रहना चाहिए, नहीं तो जनता नौटंकी समझेगी'

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खुली बहस नहीं करना चाहते केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सांसद महेश गिरी पर एनडीएमसी के अफसर एमएम खान की हत्या की साजिश का आरोप लगाया है जबकि दिल्ली पुलिस गिरी को इस मामले में क्लीन चिट दे चुकी है। अब जबकि पुलिस की तरफ से गिरी को क्लीन चिट मिल चुकी है, ऐसे में केरीवाल खुली बहस का रिस्क नहीं उठा सकते हैं।

नहीं चला हिट एंड रन फॉर्मूला

एक बात और अरविंद केजरीवाल अक्सर अपने विरोधियों को सड़क पर खुली बहस की चुनौती देते रहे हैं लेकिन इस बार मामला उलटा पड़ गया है। हिट एंड रन की सियासत को भाजपा नेता ने जकड़ लिया है और खुली बहस की चुनौती देकर फिलहाल केजरीवाल को पटखनी जरूर दे दी है।

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महेश गिरी मांग कर रहे हैं कि केजरीवाल अपने आरोपों को लेकर सार्वजनिक रूप से बहस करें और दुनिया के सामने प्रमाण रखें। गिरी ने केजरीवाल को अपने खिलाफ सबूत पेश करने के लिए खुला आमंत्रण दिया लेकिन सीएम के इनकार के बाद वह उन्हीं के घर के बाहर धरने पर बैठ गए हैं।

बिना सबूत विरोधियों पर आरोप लगाते हैं केजरीवाल

भाजपा अरविंद केजरीवाल पर हिट एंड रन की नीति पर चलने का आरोप लगाती रही है। केजरीवाल पर आरोप है कि वो बिना किसी पुख्ता सबूत के विरोधियों पर आरोप लगाने के बाद आगे बढ़ जाते हैं और फिर अगले दिन किसी और मुद्दे को हवा दे देते हैं।

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सीएम के निशाने पर रहते हैं पीएम

गौरतलब है कि एक वक्त था जब अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के बड़े नेताओं पर कथित खुलासा किया करते थे। केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा, शीला दीक्षित, कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद सहित कई नेताओं पर हमला किया था। दिल्ली का सीएम बनने के बाद केजरीवाल के निशाने पर सिर्फ पीएम मोदी रहते हैं और कई मौकों पर वो पीएम मोदी पर सीधा वार करने से नहीं चूकते हैं।

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वोट बैंक की सियासत तो नहीं ?

असल में देखा जाए तो केजरीवाल पीएम मोदी पर हमले इस वजह से भी करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है पीएम पर जुबानी हमले करने से एक वर्ग विशेष उनका वोट बैंक बन जाएगा। इतना ही नहीं केजरीवाल यह भी चाहते हैं कि उनकी तरफ से किए गए सियासी हमलों का जवाब दिल्ली भाजपा नहीं बल्कि केंद्रीय यूनिट दे, ऐसे में केजरीवाल का कद भी बढ़ जाएगा। लेकिन अब दिल्ली में सियासी हवा का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है और सीएम केजरीवाल उसी रणनीति का शिकार को गए हैं जिसके जरिए वो विरोधियों का शिकार करते थे।

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