JNU विवाद: चीफ प्रॉक्टर कृष्ण कुमार ने दिया इस्तीफा
जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर कृष्णा कुमार ने 9 फरवरी को हुई घटना की यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा की जा रही जांच के तरीके से असंतुष्ट होकर इस्तीफा दे दिया है।
नई दिल्ली। जेएनयू विवाद लगातार गहराता जा रहा है। परिसर में नौ फरवरी को हुई देशविरोधी नारेबाजी के मामले की जांच से असंतुष्ट होकर जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर कृष्ण कुमार ने इस्तीफा दे दिया है। कुमार ने आरोप लगाया है कि जेएनयू प्रशासन निष्पक्ष तरीके से इस मामले की जांच नहीं कर रहा है। उन्हें रबर स्टैंप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था।
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जेएनयू प्रशासन ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। उन्होंने 29 फरवरी को इस्तीफा दिया था। जेएनयू प्रशासन ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए अगले ही दिन एक मार्च को स्कूल ऑफ एन्वायरमेंटल साइंस के एपी डिमरी को नया चीफ प्रॉक्टर नियुक्त कर दिया था।
सूत्रों के अनुसार, नौ फरवरी को कैंपस में हुई देशविरोधी नारेबाजी की घटना सामने आने के बाद मामले की जांच के लिए 11 फरवरी को प्रॉक्टोरियल कमेटी बनाई गई थी। इसके महज चार घंटे बाद ही एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित कर दी गई।
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नई कमेटी में प्रोफेसर राकेश भटनागर, प्रोफेसर एचबी बोहिदार और प्रोफेसर सुमन के धर शामिल हैं। वीसी द्वारा गठित की गई इस उच्चस्तरीय जांच कमेटी ने पहले गठित कमेटी की जगह ले ली। विवि के नियमानुसार प्रोक्टर कार्यालय ही शिक्षकों और छात्रों से संबंधित मामले देखता है।
कृष्ण कुमार को उस चिट्ठी पर भी हस्ताक्षर करना पड़ा जिसमें आठ छात्रों कन्हैया कुमार, अनिर्बान भट्टाचार्य, श्वेता राज, उमर खालिद, अनंत प्रकाश, रामा नागा, ऐश्वर्या अधिकारी और आशुतोष कुमार के निष्कासन की बात थी।