Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

रोष में केजरीवाल, बोले- 'मोदी नहीं पचा पा रहे दिल्ली में BJP की हार'

21 AAP विधायकों के संसदीय सचिव पद से संबंधित बिल की फाइल राष्ट्रपति द्वारा लौटाने पर केजरीवाल ने पीएम मोदी पर हमला बोला है।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 15 Jun 2016 07:39 AM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली (जेएनएन)। आम आदमी पार्टी सरकार के 21 विधायकों के संसदीय सचिव पद से संबंधित बिल की फाइल राष्ट्रपति द्वारा लौटा दिए जाने पर आप नेताओं का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला जारी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीएम मोदी पर हमला करने के बाद अब आप के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने कहा कि नरेंद्र मोदी को बढ़ती दालों की कीमतों की नहीं, सिर्फ अरविंद केजरीवाल की चिंता है। उन्होंने कहा कि देश में दाल के दाम बढ़े, उसकी चिंता नहीं, पंजाब में ड्रग्स का मामला है, उसकी चिंता नहीं है। मोदी को सिर्फ केजरीवाल की चिंता है।

गुजरात में संसदीय सचिव को घर पर किसी को नहीं फिकर

उन्होंने कहा कि संसदीय सचिव मामले में पर भारतीय जनता पार्टी का रवैया ठीक नहीं है। आशुतोष ने कहा कि पीएम मोदी को केजरीवाल को छोड़कर किसी की चिंता नहीं है। आशुतोष ने कहा कि गुजरात में संसदीय सचिव को घर, कार और नौकर की सुविधा मिली हुई है। यह सब आप सरकार को परेशान करने की साजिश है और कुछ नहीं।

अब तक क्या कर रहे थे मोदी जी

आप नेता ने कहा कि पिछले 9 महीने से केंद्र सरकार क्या कर रही थी। यह सब ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है।

इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा।

खतरे में 21 AAP एमएलए की सदस्यता, उपचुनाव हुए तो किसको होगा लाभ ?

केजरीवाल ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी को काम नहीं करने दे रहे हैं। केजरीवाल ने इसके पीछे की वजह दिल्ली में भाजपा की हार को बताया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी दिल्ली में भाजपा की हार को पचा नहीं पा रहे हैं।

एमएलए को एक पैसा नहीं दिया

इसी के साथ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस पार्टी से नहीं, बल्कि आप से डरते हैं। केजरीवाल ने हमलावर अंदाज में कहा कि वह डरते हैं, तो सिर्फ आप आदमी पार्टी से। उन्होंने कहा कि किसी एमएलए को एक पैसा नहीं दिया, गाड़ी-बंगला कुछ नहीं दिया। सब एमएलए फ्री में काम कर रहे थे।

आप सरकार ही क्यों निशाने पर

केजरीवाल ने इस मुद्दे पर पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि उत्तराखंड, हिमाचल के साथ-साथ पंजाब में भी संसदीय सचिव बनाए गए हैं। ऐसे में आप सरकार ही क्यों मोदी के निशाने पर है?

केजरीवाल से इतनी दुश्मनी क्यों मोदी जी?: संजय सिंह

वहीं, आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा है, 'क्या मोदी जी बताएंगे कि मुकेश शर्मा को शीला जी ने कैसे संसदीय सचिव बनाया था? केजरीवाल से इतनी दुश्मनी क्यों मोदी जी?

AAP को नहीं पचा पा रही मोदी सरकारः अलका लांबा

आप पार्टी की तेजतर्रार नेता और विधायक अलका लांबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोे घेरते हुए कहा, 'आप के विधायकों को नहीं, बल्कि आप के विधायकों द्वारा गरीब,मजदुर,आम आदमी को मिले रहे "लाभ" (मोहल्ला क्लीनिक)को मोदी सरकार पचा नहीं पा रही है।'

'मोदी नहीं करते लोकतंत्र का सम्मान'

इससे पहले संसदीय सचिव मुद्दे पर राष्ट्रपति द्वारा बिल नामंजूर करने पर केजरीवाल ने कहा था कि मोदीजी लोकतंत्र का सम्मान नहीं करते हैं।

मोदीजी कहते सब घर बैठो, कोई काम नहीं करेगा

वहीं, केजरीवाल ने कहा कि किसी को बिजली पर तो किसी को अस्पतालों पर तो किसी को स्कूलों पर लगा रखा था। मगर मोदी कहते हैं कि ना काम करूंगा और ना ही करने दूंगा। पीएम पर केजरीवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदीजी कहते सब घर बैठो, कोई काम नहीं करेगा।

इससे पहले सोमवार शाम को राष्ट्रपति ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार को बड़ा झटका दिया। लाभ का पद मामले में फंसे राज्य के 21 विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए लाया गया बिल राष्ट्रपति ने नामंजूर कर दिया।

चुनाव आयोग इस मामले में पहले ही नोटिस जारी कर चुका है, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि इन विधायकों को संसदीय सचिव के तौर पर कोई सुविधा दी ही नहीं गई है। शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली सरकार के बिल को वापस लौटा दिया है। इस बिल में राज्य सरकार के संसदीय सचिव के पद को लाभ का पद नहीं मानने का प्रावधान किया गया था।

केजरीवाल सरकार ने आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव पद सौंपा था। मगर इसे लाभ का पद मानते हुए चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर पूछा था कि इनकी सदस्यता क्यों नहीं खत्म कर दी जाए?

उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नागेंद्र शर्मा के मुताबिक, राज्य सरकार का स्पष्ट मानना है कि यह पद लाभ का नहीं है। इनकी नियुक्ति की अधिसूचना में ही यह साफ कर दिया गया था कि इन्हें अलग से कोई सुविधा नहीं दी जाएगी। यह विधेयक इसलिए पारित किया गया था कि अगर भविष्य में इन्हें इनकी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए कोई सुविधा देनी हो तो वह संभव हो सके।

एक साल पुराने इस बिल को जान-बूझ कर लटकाए रखा गया। इसे राज्य सरकार ने पिछले साल जून में ही पारित कर दिया था। अब इस बिल के लौटाए जाने के बावजूद विधायकों की सदस्यता पर सीधे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चुनाव आयोग की ओर से जारी नोटिस के जवाब में भी कहा जा चुका है कि इस पद पर अलग से कोई लाभ नहीं दिया जा रहा।