यूजीसी ने स्वायत्तता को लेकर डीयू के कॉलेजों को सीधे भेजा पत्र
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली दिल्ली विश्वविद्यालय में एक बार फिर से कॉलेजों की स्वायत्तता का मसला गरम
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय में एक बार फिर से कॉलेजों की स्वायत्तता का मसला गरमा गया है। 10 नवंबर को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल को मेल भेजकर स्कोप भवन लोधी रोड पर स्वायत्तता के लिए आयोजित होने वाले कॉन्फ्रेंस के लिए आमंत्रित किया है। इसकी जानकारी डीयू के कुलपति सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी नहीं है।
बताया जा रहा है कि ऐसा दूसरी बार है जब यूजीसी ने सीधे कॉलेजों को पत्र भेजा है। इससे पहले चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम की वापसी के दौरान भी यूजीसी ने सीधे डीयू के कॉलेजों को पत्र लिखकर इस पाठ्यक्रम को वापस लेने के लिए कहा था। जिसके बाद फिर से डीयू में तीन वर्षीय स्नातक कोर्स लागू हुआ।
कुछ माह पहले भी डीयू के कुछ कॉलेजों ने स्वायत्तता को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क किया था और कॉलेजों के चेयरमैन ने बैठक कर एक रोड मैप पर चर्चा की थी जिसका शिक्षक संगठनों द्वारा भारी विरोध किया गया। अब 10 नवंबर को यूजीसी द्वारा भेजे गए पत्र फिर से खलबली मची हुई है। कॉलेज के प्रिंसिपल इस कॉन्फ्रेंस को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं हैं।
एक कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि यह शिक्षा के निजीकरण की तरफ उठाया गया कदम है, क्योंकि पहले ही एक पत्र यूजीसी से प्राप्त हो चुका है जिसमें लिखा गया है कि कॉलेज 30 फीसद धन की व्यवस्था स्वयं करे।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजीब रे का कहना है कि यूजीसी द्वारा कॉलेजों के प्रिंसिपल को बुलाकर इस तरह स्वायत्तता के मसले पर बैठक करने का हम विरोध करते हैं। कॉलेजों की स्वायत्तता का मसला डीयू के स्नातक कॉलेजों के अधिग्रहण की तरफ जा रहा है। यह एक तरह से उच्च शिक्षा के निजीकरण का भी प्रयास है।
उधर शिक्षक संगठन एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्र का कहना है कि यूजीसी द्वारा कॉलेजों के प्रिंसिपल को सीधे बुलाकर बैठक करना यह डीयू और कॉलेज दोनों के नियमों के खिलाफ है। यूजीसी का यह कदम डीयू और कॉलेजों को बांटने वाला है।
शिक्षक संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के अध्यक्ष एके भागी का कहना है कि हम पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि किसी भी हाल में डीयू के कॉलेजों की स्वायत्तता फायदेमंद नहीं है। हम इसका समर्थन नहीं कर सकते। डीयू के कॉलेज बेहतर काम कर रहे हैं और केंद्र सरकार द्वारा उनको और धन दिया जाना चाहिए न कि उनको स्वायत्त किया जाना चाहिए।