मोदी के 'मन की बात' सुनकर अंगदान करने वालों की बढ़ी तादाद
अंगदान को महादान कहा जाता है। 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसका जिक्र किए जाने के बाद सफदरजंग अस्पताल स्थित राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) में महादानियों की तादाद बढ़ गई है।
नई दिल्ली [ रणविजय सिंह ] । अंगदान को महादान कहा जाता है। 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसका जिक्र किए जाने के बाद सफदरजंग अस्पताल स्थित राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) में महादानियों की तादाद बढ़ गई है।
इसके साथ ही नोटो की भी सक्रियता बढ़ गई है। इसके तहत नोटो ने भी अंगदान के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उसने सभी अस्पतालों से डोनर रजिस्ट्री का ब्योरा मांगा है। इसका बेहतर परिणाम भी दिख रहा है। स्थिति यह है कि अंगदान का संकल्प लेने वाले इतने लोगों के पंजीकरण फार्म पहुंच गए हैं कि उन्हें ऑनलाइन डेटा एंट्री करने के लिए ऑपरेटर कम पड़ गए।
नोटो सेंटर में करीब 33,000 लोगों के पंजीकरण फार्म अभी पड़े हुए हैं, जिनके ऑनलाइन एंट्री करने का काम अभी बाकी है। दो सप्ताह पहले तक नोटो में अंगदान के लिए संकल्प लेने वालों की संख्या महज 850 थी। अब ऑनलाइन पंजीकृत लोगों का यह आंकड़ा अचानक बढ़कर 1795 हो गया है।
इस तरह नोटो में अंगदान के लिए संकल्प लेने वाले महादानियों की संख्या दोगुने से अधिक हो गई है। नोटो के निदेशक डॉ. सौदान सिंह ने कहा कि अंगदान के लिए संकल्प लेने वालों की संख्या इससे भी कई गुना ज्यादा है। करीब 33,000 और पंजीकरण फार्म हैं, जिनका डेटा एंट्री किया जाना है। अंगदान के लिए काफी संख्या में लोग आगे आ रहे हैं। उन सभी को डोनर कार्ड भेजा जाएगा।
इसके साथ ही नोटो ने दिल्ली में अंग प्रत्यारोपण करने वाले सभी 29 अस्पतालों और अंगदान के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों से डोनर रजिस्ट्री की सूची मांगी है। कई अस्पतालों ने अपनी सूची भेज भी दी है। इसके अलावा केरल के अस्पतालों से भी अंगदान का संकल्प लेने वाले 12,000 लोगों की सूची और उनका पंजीकरण आवेदन आया है।
इनके आवेदन मलयालम भाषा में हैं। कर्मचारियों को मलयालम समझने में दिक्कत आ रही है। इस वजह से अनुवादक की मदद ली जा रही है। दरअसल, अभी तक सभी अस्पताल अपने-अपने स्तर पर डोनर रजिस्ट्री चला रहे थे। अब उन सबको नोटो के एक प्लेटफार्म पर लाकर अंगदान का संकल्प लेने वाले सभी लोगों को एक तरह का कार्ड जारी किया जाएगा। जो राष्ट्रीय स्तर पर मान्य होगा।
किसी डोनर के ब्रेन डेड होने पर उस कार्ड के जरिये देश के किसी भी हिस्से में अंगदान कराया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार नोटो व अंगदान की चर्चा कर चूके हैं।
एम्स के पास अंगदान के इच्छुक 28,000 लोगों का पंजीकरण
अंगदान और अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए पिछले कई वर्षो से काम कर रहे एम्स के ऑर्बो (ऑर्गेन रिट्रिव्ल बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन) में करीब 28,000 लोगों का पंजीकरण है, जिन्होंने अंगदान के लिए संकल्प लिया हुआ है। नोटो की तरफ से एम्स के ऑर्बो सेंटर को भी पत्र भेजकर जानकारी मांगी गई है। इसके बाद एम्स में इस बात पर चर्चा भी हुई है कि अंगदान के लिए पंजीकृत लोगों की सूची नोटो को भेजी जाए या नहीं। लेकिन, बहुत उम्मीद है कि एम्स से भी जानकारी जल्द भेज दी जाएगी।
ब्योरा होगा एक जगह
अभी तक अस्पताल अपने स्तर पर ही अलग-अलग डोनर रजिस्ट्री चलाते रहे हैं, लेकिन अंगदान के लिए संकल्प लेने वालों का ब्योरा एक जगह होने से अंगदान की प्रक्रिया आसान होगी। इसलिए गैर सरकारी संगठनों से भी जानकारी मांगी गई है।
-डॉ. हर्ष जौहरी, तकनीकि सलाहकार, नोटो