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MCD उपचुनाव: जीत के भी हारी AAP, पंजे की वापसी-कमल की फजीहत

एमसीडी उपचुनाव में आप नंबर एक पर रहते हुुए भी हार गई। कांग्रेस ने मजबूत दस्‍तक दी है। सबसे ज्‍यादा फजीहत भाजपा की हुई है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Wed, 18 May 2016 07:28 AM (IST)
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नई दिल्ली [रमेश मिश्र ]। एमसीडी उपचुनाव में जनता जनार्दन ने अपना फैसला सुना दिया है। इस चुनाव में कांग्रेस को कम आंकने वाले या उसकी अनदेखी करने वालोंं को बड़ा झटका लगा है। 13 सीटों पर चुनाव में कांग्रेस की झोली में चार सीटेंं गईं है। अमूमन चुनाव में टक्कर भाजपा और आप के बीच मानी जा रही थी। आप भले ही पांच सीटों पर जीत दर्ज कर नंबर वन पर हो, लेकिन उसे उम्मीद से कम सीटें मिली हैंं। सबसे ज्यादा फजीहत भाजपा की हुई है। आखिर इस हार जीत के क्या मायने हैं। पढें रिपोर्ट।

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नंबर वन होकर भी पिछड़ गया झाड़ू

दिल्ली में हुकूमत करने वाली आम आदमी पार्टी एमसीडी उपचुनाव में पांच सीटों पर जीत दर्जकर भले ही अपनी पीठ थपथपाए, लेकिन गौर करने वाली बात है कि दिल्ली में आप की सरकार है। विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक विरोधियोंं के छक्के छुड़ाने वाली पार्टी का इस चुनाव में वह प्रभुत्व नहीं दिखा। वह आधे वार्ड पर यानी आधी सीटों पर भी अपना कब्जा नहीं जमा सकी। यह सत्य है कि आप ने पहली बार एमसीडी के चुनाव में भाग लेकर अच्छा श्रीगणेश किया है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि दिल्ली में उसकी सरकार भी है।

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एमसीडी चुनाव के नतीजों में मात्र तीन सीटों पर जीत दर्ज सबसे ज्यादा निराश भाजपा ने किया है। भाजपा अपने गढ़ में ही अपनी लाज नहीं बचा सकी। इस चुनाव की आंच भले ही केंद्र सरकार तक न पहुंचे लेकिन केंद्र में मोदी सरकार की नाक के नीचे हुए चुनाव में कहीं न कहीं इसका राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक असर जरूर पड़ेगा। प्रदेश भाजपा को इसका जवाब देना ही होगा। भाजपा को उम्मीद थी कि वह इस चुनाव में वह अच्छे परिणाम लाकर अपनी कूर्सी की दावेदारी बरकरार रख सकेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

कांग्रेस ने दी मजबूत दस्तक

सही मायने में अपनी साख के लिए चुनाव में उतरी कांग्रेस चार सीटों पर जीतकर अपने होने का अहसास करा गई। चार सीटों पर कब्जा करके उसने जता दिया कि कांग्रेस कभी भी राजनीति की मेन स्ट्रीम में लौट सकती है। दिल्ली में भाजपा और आप की टक्कर मानी जा रही थी। विरोधी कांग्रेस को हल्के में ले रहे थे, एेसे में कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत दर्ज कर विरोधियों के अनुमान और भविष्यवाणी पर पानी फेर दिया। इस चुनाव में वह दूसरे नंबर पर रही। उसकी जीत इसलिए भी बड़ी है कि कांग्रेस की न तो दिल्ली में सरकार है न ही केंद्र में। ऐसे में 13 सीटों में चार सीटों पर विजय हासिल कर उसने दिल्ली में अपनी वापसी का एहसास करा दिया।

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