Move to Jagran APP

JNU विवादः फॉरेंसिक जांच से साबित होगा कन्हैया कुमार का सच

फॉरेंसिक जांच से ही साफ हो पाएगा कि भारत विरोधी नारों में कन्हैया की आवाज थी या नहीं। यदि नारे लगाने वालों में कन्हैया की आवाज की पुष्टि हो गई, तो उनके खिलाफ देशद्रोह के मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जाना तय है।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 19 Feb 2016 09:58 AM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली (नीलू रंजन)। कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के विरोध और पक्ष में मचे कोहराम के बीच अपराध की जांच और सुबूतों पर बहस दब गई है। पूरी घटना की निष्पक्ष और वैज्ञानिक जांच कन्हैया कुमार के दोषी या निर्दोष साबित होने के लिए जरूरी है।

इसका पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस भारत विरोधी नारों के टेप और कन्हैया कुमार की आवाज की फॉरेंसिक जांच करा रही है। सोशल मीडिया पर वायरल अलग-अलग वीडियो में कन्हैया कुमार के राष्ट्रविरोधी नारे लगाने और नहीं लगाने के दावे किए जा रहे हैं।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली पुलिस को पूरे मामले की निष्पक्ष और वैज्ञानिक तरीके से जांच करने को कहा गया है। इसके तहत दिल्ली पुलिस ने भारत विरोधी नारे के टेप और कन्हैया कुमार की आवाज का नमूना सीएफएसएल भेज दिया है।

फॉरेंसिक जांच से ही साफ हो पाएगा कि भारत विरोधी नारों में कन्हैया की आवाज थी या नहीं। उन्होंने कहा कि हमारी मंशा साफ है। यदि नारे लगाने वालों में कन्हैया की आवाज की पुष्टि हो गई, तो उनके खिलाफ देशद्रोह के मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जाना तय है। अगर उनकी आवाज नहीं मिली, तो उन्हें क्लीनचिट दी जाएगी।

समस्या यह है कि राजनीतिक शोरगुल और आरोप-प्रत्यारोपों के बीच जांच की सामान्य प्रक्रिया पर चर्चा नहीं हो पा रही है। आइबी के हवाले से कन्हैया को गृह मंत्रालय की ओर क्लीनचिट देने की खबरों पर उन्होंने कहा कि आइबी की रिपोर्ट से अदालत में अपराध साबित नहीं किया जा सकता है।

इसके लिए ठोस सुबूत की जरूरत होती है। जांच का जो भी नतीजा निकले आखिरकार अदालत में उसकी समीक्षा होगी। इस दौरान दिल्ली पुलिस को अदालत के सामने अपनी जांच को साबित करना होगा।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।