दोषी छात्रों पर कार्रवाई के लिए JNU प्रशासन ले रहा है कानूनी राय
9 फरवरी को आयोजित विवादित कार्यक्रम के संबंध में आरोपी छात्रों को कितनी सजा दी जाए, इस संबंध में मुख्य प्रॉक्टर के कार्यालय ने कानूनी राय मांगी है। अगर अधिकारी छात्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर आगे बढ़ने का फैसला करते हैं, तो फिर से प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं।
नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 9 फरवरी को आयोजित कार्यक्रम में देशविरोधी नारे लगाने वाले छात्रों के खिलाफ आंतरिक जांच समिति द्वारा की गई सिफारिश पर जेएनयू प्रशासन ने अभी निर्णय नहीं लिया है।
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विश्वविद्यालय प्रशासन ने 21 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। कुछ दोषी छात्रो ने प्रशासन को अपना लिखित जबाव भेज दिया है, लेकिन जेएनयू प्रशासन इस मामले में उनपर कोई कार्रवाई करने से पहले कानूनी सलाह ले रहा है।
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जेएनयू में छात्रों के अपराध के आधार पर ही उनको सजा का प्रावधान है। सूत्रों के मुताबिक आरोपी छात्रों को क्या सजा दी जाए, इस संबंध में जेएनयू प्रशासन ने कानूनी राय मांगी है। विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में आगे कोई विवाद नहीं चाहता है। माना जा रहा है कि यदि दोषी छात्रों पर निष्कासन या कोई अन्य दंडात्मक कार्रवाई की जाती है तो एक बार फिर छात्र आंदोलन तेज हो सकता है। जेएनयू के एक अधिकारी का कहना है कि अनुशासन के नियमों को ध्यान में रखते हुए आरोपी छात्रों को क्या सजा दी जाए इस पर फैसला किया जाएगा, लेकिन सबसे पहले यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि दोषियो को दी जाने वाली सजा न्यायोचित हो।
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ज्ञात हो कि नौ फरवरी की घटना की जांच के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बनाई गई आंतरिक समिति का शुरू से ही जेएनयू के छात्र विरोध कर रहे हैं। समिति ने उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को साप्रदायिक, जातिगत और क्षेत्रीय भावना भड़काने एवं छात्रो के बीच सौहार्द बिगाड़ने का दोषी पाया है।