केजरीवाल सरकार के नियुक्त किए 40 सलाहकारों पर लटकी तलवार
21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही रद कर चुका है, अब इनके लिए काम कर रहे करीब 40 सलाहकार और निजी स्टाफ पर तलवार लटकनी शुरू हो गई है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। आम आदमी पार्टी सरकार के 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही रद कर चुका है, अब इनके लिए काम कर रहे करीब 40 सलाहकार और निजी स्टाफ पर तलवार लटकनी शुरू हो गई है।
अब राजभवन ने मुख्य सचिव (चीफ सेक्रेटरी) से इनके पद, सैलरी और नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। इन सभी पर रिपोर्ट मांगने के बाद राजभवन ने लॉ डिपार्टमेंट से पूछा है कि क्या इन्हें पद से हटाने के बाद इन्हें अब तक दिया गया पूरा वेतनमान वापस लिया जा सकता है।
यहां पर बता दें कि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, जनसंपर्क विभागों के अलावा दिल्ली सरकार के वित्तीय सहयोग पर निर्भर कुछ अन्य संस्थानों में सलाहकारों की नियुक्ति की थी। इन नियुक्तियों में उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं ली गई थी।
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बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ का वेतनमान तो एक लाख रुपये से भी ज्यादा है। यह भी जा रहा है कि नियुक्त सलाहकारों में ज्यादातर पार्टी के शीर्ष नेता हैं तो कुछ जनलोकपाल आंदोलन के समय से ही अरविंद केजरीवाल के करीबी रहे हैं।
वहीं, जानकारों का कहना है कि ऐसे में जब उपराज्यपाल की राय नहीं ली गई थी, ऐसे में ये सभी नियुक्तियां अवैध हैं। भाजपा और कांग्रेस ने मांग की है कि इन सभी की अब तक की सैलरी और खर्चे वसूले जाएं। कानून विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राजभवन ने जानकारी मांगी है कि क्या इनकी सैलरी वापस ली जा सकती है।
दिल्ली सरकार के अलावा दिल्ली महिला आयोग, दिल्ली डायलॉग कमीशन और अन्य संस्थानों में भी सलाहकार या प्राइवेट स्टाफ नियुक्त किए गए हैं।