कम उम्र में फेफड़े के कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं युवा, प्रदूषण हो सकता है बड़ा कारण
दिल्ली राज्य कैसर संस्थान के निदेशक डॉ. आरके ग्रोवर ने कहा कि फेफड़े का कैंसर 50 साल के बाद होना चाहिए, लेकिन 40 से कम उम्र के लोग भी इससे पीड़ित हो रहे हैं।
नई दिल्ली [जेएनएन]। प्रदूषण का दुष्प्रभाव फेफड़े पर सबसे अधिक पड़ता है। इसलिए सांस की बीमारियां भी बढ़ रही हैं। चिंता की बात यह है कि युवा भी फेफड़े के कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। डॉक्टरो का कहना है कि अस्पतालों में 40 से कम उम्र वाले लोग भी फेफड़े के कैंसर से पीड़ित होकर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। डॉक्टरो को आशंका है कि इतनी कम उम्र में इस बीमारी का कारण प्रदूषण हो सकता है।
प्रदूषण के दुष्प्रभाव बढ़ जाती है कैंसर की संभावना
डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण से शुरुआती दौर में अस्थमा, ब्रोकाइटिस व सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) जैसी सांस की बीमारियां होती हैं, लेकिन प्रदूषण के दुष्प्रभाव से चार-पांच साल बाद कैंसर होने का खतरा रहता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी यह मान चुका है कि प्रदूषण के कारण कैंसर की बीमारी होती है।
हर साल 1.14 लाख लोग फेफड़े के कैंसर से पीड़ित
देश में हर साल 1.14 लाख लोग फेफड़े के कैंसर से पीड़ित होते हैं। इसका बड़ा कारण धूमपान है। एम्स के प्रिवेंटिव मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शंकर ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन एक पैकेट सिगरेट 20 साल या इससे ज्यादा समय तक पीता है तो कैंसर होने की आशंका होती है, लेकिन हैरानी की बात है कि 25-30 साल की उम्र में लोग फेफड़े के कैंसर से पीज़ित होकर इलाज के लिए पहुंचते है।
युवाओं पर शोध होना जरूरी
युवाओं को बीमारी के चपेट में आने का कारण प्रदूषण हो सकता है, क्योंकि प्रदूषण बढ़ने पर पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10, पीएम 2.5 के अलावा कैंसर कारक गैसों की मात्रा भी बढ़ जाती है। दिल्ली की आबोहवा भी जहरीली हो चुकी है। लंबे समय तक ब्रोकाइटिस या सीओपीडी होना भी फेफड़े के कैंसर का कारण है। प्रदूषण के संदर्भ में युवाओं पर शोध होना जरूरी है।
फेफड़ों पर प्रदूषण की मार भारी
दिल्ली राज्य कैसर संस्थान के निदेशक डॉ. आरके ग्रोवर ने कहा कि फेफड़े का कैंसर 50 साल के बाद होना चाहिए, लेकिन 40 से कम उम्र के लोग भी इससे पीड़ित हो रहे हैं। इसलिए इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि फेफड़ों पर प्रदूषण की भारी मार पड़ रही है। मैक्स अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. पीके जुलका ने कहा कि एक लाख की आबादी में 15 व्यक्ति फेफड़े के कैंसर से पीड़ित हैं। प्रदूषण के दुष्प्रभाव से फेफड़े के अलावा अन्य कैंसर भी हो सकता है।
प्रदूषण बढ़ा रहा गठिया की बीमारी
एम्स में हुए अध्ययन में यह बात साबित हो चुकी है कि प्रदूषण के कारण गठिया की बीमारी होती है। यही वजह है कि सर्दियों में गठिया की बीमारी बढ़ जाती है। इसके अलावा लकवा व हार्ट अटैक भी पड़ता है।