MCD उपचुनावः नंबर वन आप मगर बाजी तो लगी कांग्रेस के हाथ
MCD उपचुनाव के परिणाम तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के लिए अहम हैं।
By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 18 May 2016 11:48 AM (IST)
नई दिल्ली (सर्वेश कुमार)। दिल्ली नगर निगम उपचुनाव को अगले साल होने वाले निगम चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था। ऐसे में इसके परिणाम तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के लिए अहम हैं।
कारण यह कि इस चुनाव में असली मुकाबला सरकार में सत्तासीन आप और निगम में सत्ताधारी भाजपा के बीच माना जा रहा था, लेकिन सबसे अधिक फायदा कांग्रेस को हुआ। उसने जीत का चौका लगाया और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भाटी वार्ड से विजयी राजेंद्र तंवर को भी दोपहर बाद पार्टी में शामिल कर लिया। आप भले ही पांच सीटों पर जीत दर्ज कर इस उपचुनाव में नंबर वन रही, लेकिन उम्मीद से कम सीट मिलने का उसे भी मलाल है। सबसे यादा घाटे में भाजपा रही। यह अलग बात है कि वह 34.11 फीसद मत हासिल करने में सफल रही है, लेकिन उसे सिर्फ 3 सीटों पर जीत मिली। जिन 13 सीटों पर उपचुनाव हुए उनमें से आठ सीटों पर 2012 में भाजपा ने जीत हासिल की थी। ऐसे में इस तरह के परिणाम का प्रभाव प्रदेश भाजपा नेतृत्व पर पड़ना तय है।नंबर वन होकर भी पिछड़ गई आप
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में 67 सीटें जीतकर दिल्ली की सत्ता पर आसीन आप ने इस उपचुनाव को लेकर दावा किया था कि वह सभी 13 सीटों पर भारी मतों के अंतर से जीत हासिल करेगी। उपचुनाव में पार्टी को 29.93 फीसद मत मिले जो विधानसभा चुनाव में मिले 54.34 फीसद मत से काफी कम है। यह सही है कि विधानसभा चुनाव और नगर निगम चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं और परिणाम भी अलग-अलग रहते हैं लेकिन इससे यह तो पता चलता है कि लोगों के बीच आप का प्रभुत्व कम हो रहा है। वहीं यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आप ने पहली बार निगम के किसी भी चुनाव में भाग लेकर अछी शुरुआत की है।
हाथ को मिला जनता का साथ विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद अपनी साख को दोबारा जीवित करने की जुगत में जुटी कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत हासिल कर साबित कर दिया है कि दिल्ली में अभी उसका वजूद खत्म नहीं हुआ है। वह कभी भी मुख्यधारा में लौट सकती है। विरोधी उसे कम आंकने की कोशिश न करें। यह परिणाम यह भी साबित करता है कि कांग्रेस के पुराने वोटर अब उसके साथ जुड़ने लगे हैं। अगर उसके कार्यकर्ता और नेता ठीक ढंग से काम करें तो अगले साल होने वाले निगम चुनाव में परिणाम और बेहतर हो सकते हैं।जीती बाजी हारे चार विधायक आम आदमी पार्टी वैसे तो उन सभी 13 सीटों को लेकर समीक्षा करेगी, जिन सीटों से पार्टी के प्रत्याशी हारे हैं। मगर उन चार सीटों पर पार्टी का अधिक ध्यान रहेगा जिन सीटों को विधायक अपनी ही जीती हुई सीटें हार गए। यहां बता दें कि मुनीरिका से पार्षद रहीं प्रमिला धीरज टोकस निर्दलीय तौर पर पार्षद रहीं। बाद में गत विधानसभा चुनाव में वह इसी क्षेत्र से विधायक बनीं, मगर अपनी पसंद की प्रत्याशी को चुनाव नहीं जितवा पाईं। इसी प्रकार करतार सिंह तंवर आप के विधायक हैं। वह भाटी सीट से पार्षद रहे। मगर इस सीट पर अपनी पसंद के प्रत्याशी को नहीं जितवा पाए। यहां हालात यह हो गए कि पार्टी तीसरे स्थान पर भी नहीं रह पाई। कमरुद्दीन नगर सीट वाले इलाके से राघवेंद्र शौकीन पार्टी के विधायक हैं। शौकीन कमद्दीननगर सीट से पार्षद रहे हैं। मगर वे भी प्रत्याशी को नहीं जितवा पाए और कांग्रेस ने उनसे यह सीट छीन ली। इसी प्रकार नवादा से नरेश बालियान निगम पार्षद रहे हैं। बालियान इसी क्षेत्र से पार्टी के विधायक हैं। बालियान को आन से हरियाणा की भी जिम्मेदारी दे रखी है। हालांकि बालियान के खिलाफ पार्टी में पहले से ही आवाज उठ रही है और उन पर कार्यकर्ताओं का सम्मान न कर मनमानी करने तथा अपने कार्यालय में काम करने वालों को पार्टी संगठन की जिम्मेदारी देने के आरोप लगे हैं। नवादा वह सीट है जिस पर अंतिम समय में पार्टी ने बालियान के कहने पर प्रत्याशी बदल दिया था। लेकिन जिस तरह से इस सीट पर पार्टी की फजीहत हुई है उसने बालियान के बारे में पार्टी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।निगम में भ्रष्टाचार को सार्वजनिक करें केजरीवाल आप के जीते हुए सभी 5 प्रत्याशियों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। इस मौके पर केजरीवाल ने उन्हें बधाई दी और अपने 2017 के निगम चुनाव के लक्ष्य से अवगत कराया। इस मौके पर केजरीवाल ने कहा कि निगम में जाकर जनता के मुद्दे उठाएं और निगम में भ्रष्टाचार को सार्वजनिक करें।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।