मोदी सरकार की पहल से कम हुआ दिल्ली में वायु प्रदूषण
केंद्र ने पराली जलाने पर रोक के लिए जो कदम उठाए हैं उससे राजधानी के वायु प्रदूषण में एक तिहाई कमी आयी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम करने में 'ऑड-इवन' का पहला चरण भले ही अधिक प्रभावी न रहा हो लेकिन मोदी सरकार की एक पहल से राजधानी के प्रदूषण में काफी कमी आयी है। केंद्र ने पराली जलाने पर रोक के लिए जो कदम उठाए हैं उससे राजधानी के वायु प्रदूषण में एक तिहाई कमी आयी है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली की हवा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के दूसरे राज्यों की गतिविधियों से भी प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाने के मामले को प्रमुखता से लेकर इस रोक लगायी थी। इस मामले में पजाब और हरियाणा ने अच्छा काम किया है। वहां पर पराली जलाने पर रोक लगने से वायु प्रदूषण में 30 प्रतिशत की कमी आयी है।
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उल्लेखनीय है कि जावड़ेकर की अध्यक्षता में पिछले साल एक समिति बनी थी जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा सहित कई राज्यों के पर्यावरण मंत्री शामिल थे। यह समिति लगातार दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के उपायों की समीक्षा कर रही है। जावड़ेकर ने कहा कि मई के पहले सप्ताह में उन्होंने समिति की एक और बैठक बुलाई है। आने वाली बैठक में दिल्ली के वायु प्रदूषण की स्थिति पर चर्चा की जाएगी।
केंद्र का यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि लगभग दो साल पहले सरकार ने शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति जानने को एयर क्वालिटी इंडेक्स बनायी थी। दिल्ली सहित कई शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति को इस इंडेक्स के जरिए देखा सकता है।
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जावड़ेकर ने कहा कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने बड़ी गाडिय़ों पर टैक्स भी लगाया है। साथ ही जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने को कोयला पर छह डालर प्रति टन का टैक्स भी लगाया है।
जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के बाद भारत की ओर से अब तक किए गए उपायों का ब्यौरा देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि अगर विकसित देश भारत का अनुसरण करें तो जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए जरूरी 100 अरब डालर के फंड की राशि जुटाई जा सकेगी।
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जावड़ेकर ने कहा कि भारत 22 अप्रैल को अन्य विकासशील देशों के साथ जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करेगा। यह समझौता पिछले साल फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ था।
क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण विधेयक को मंजूरी दे सकती है कैबिनेट
इस बीच सूत्रों का कहना है कि सरकार बुधवार को क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण यानी कैम्पा फंड विधेयक को मंजूरी दे सकती है। इस विधेयक के कानून का रूप लेने पर कैम्पा फंड में पड़ी भारी भरकम धनराशि से वृक्षारोपण का रास्ता साफ हो जाएगा। कैम्पा फंड में लगभग 40,000 हजार करोड़ रुपये पड़े हैं।