सेहत पर भारी पड़ सकता है प्रदूषण, जानें- कौन सी बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा
पीएम 10 सांस के जरिये फेफड़े में प्रवेश कर जाता है। इससे अस्थमा व सांस की बीमारियां होती हैं। पीएम 2.5 का कण इतना सूक्ष्म होता है कि वह सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करने के बाद नसों में पहुंच जाता है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली एनसीआर की आबोहवा ऐसी नहीं रही कि लोग आजादी के साथ सांस भी ले सकें। यही वजह है कि लाल बत्ती पर ट्रैफिक पुलिस के कांस्टेबल व बाजारों में लोग मास्क लगाए या मुंह पर कपड़ा बांधे दिख जाते हैं।
सेहत पर प्रदूषण की मार भारी
लोग प्रदूषण के खौफ में जीने को मजबूर हैं, क्योकि सेहत पर प्रदूषण की मार भारी पड़ सकती है। वायु प्रदूषण से फेफड़े, हृदय की बीमारियों के अलावा लकवा व कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं। अस्पतालों में 35-40 फीसद सांस के मरीज भी बढ़ गए है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
हार्ट अटैक का खतरा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि प्रदूषण के कारण वातारण में पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 10, पीएम 2.5 का स्तर बढ़ जाता है। पीएम 10 सांस के जरिये फेफड़े में प्रवेश कर जाता है। इससे अस्थमा व सांस की बीमारियां होती हैं। इसके अलावा पीएम 2.5 का कण इतना सूक्ष्म होता है कि वह सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करने के बाद नसों में पहुंच जाता है। इससे हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज होने लगता है। इस वजह से हार्ट अटैक होने का खतरा रहता है।
प्रदूषण का एक बड़ा कारण है वाहनों से निकलने वाला धुआं
डॉक्टर कहते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण का एक बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है। डीजल वाहनों के धुएं से बेंजिन नाम का रसायन निकलता है। इससे फेफड़े का कैंसर होने का खतरा रहता है। इसके अलावा प्रदूषण के दुष्प्रभाव से ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण किडनी की बीमारी भी हो सकती है।
कई शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि गर्भवती महिला यदि लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेती रहे तो अजन्मे बच्चे का विकास प्रभावित होता है और गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है।
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