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जानिए, ड्रैगन को कैसे लगा जोर का झटका, नहीं काम आया नया पैंतरा

दीपावली पर बिक रहे चीनी उत्पादों पर 'मेक इन चाइना' या चीनी शब्द नहीं लिखा आ रहा है। क्योंकि लोग खरीदते समय चीनी उत्पादों को लेकर सजग हैं।

By Amit MishraEdited By: Updated: Thu, 12 Oct 2017 09:28 AM (IST)
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जानिए, ड्रैगन को कैसे लगा जोर का झटका, नहीं काम आया नया पैंतरा

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। चीनी उत्पादों के बहिष्कार से सांसत में ड्रैगन ने अब नया पैंतरा अपनाया है। इस बार दीपावली पर बिक रहे चीनी उत्पादों पर 'मेक इन चाइना' या चीनी शब्द नहीं लिखा आ रहा है। इसके साथ ही इस बार उसने पिछले वर्ष से 30 से 50 फीसद कम दाम में चीनी उत्पादों की खेप देश में भेजी है, जिससे कि पिछले वर्ष के बचे माल को भी खपाया जा सके। हालांकि, उसका यह पैंतरा ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रहा है, क्योंकि लोग खरीदते समय चीनी उत्पादों को लेकर सजग हैं।

'मेक इन इंडिया' अभियान का दिख रहा है असर 

दुकानदारों के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में भी इस वर्ष बिक्री में 30 फीसद की कमी दर्ज की जा रही है। हर दीपावली दिल्ली के बाजार चीनी उत्पादों से पटे जाते हैं।

अकेले दिल्ली में ही बिजली की लड़ियों, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, क्रॉकरी, फुटवियर, फर्नीचर, सजावटी सामान, बर्तन व पटाखे समेत अन्य सामानों में पांच से सात हजार करोड़ रुपये का निवेश होता है।

वर्ष 2014 तक तो चीनी सामानों की बिक्री सामान्य होती रही, लेकिन वर्ष 2015 से केंद्र सरकार द्वारा 'मेक इन इंडिया' अभियान को गति देने से चीनी उत्पादों की चमक फीकी पड़ने लगी है। पिछले वर्ष तो चीन के पाक परस्त और भारत विरोधी नीतियों से आम लोगों ने भी चीनी उत्पादों के बहिष्कार का झंडा थाम लिया।

बिक्री मेें 30 से 40 फीसद की कमी

सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक जमकर अभियान चला, जिसके कारण पिछले वर्ष चीनी उत्पादों की बिक्री को तगड़ा झटका लगा था। बिक्री मेें 30 से 40 फीसद की कमी आई थी। आयातकों के साथ ही चीनी उत्पादों पर दांव लगाने वाले कारोबारियों के यहां करोड़ों रुपये का माल फंस गया था। बहिष्कार की स्थिति इस बार भी है। बल्कि डोकलाम विवाद ने तो इसे और हवा दे दी है। इस बार कारोबारी के साथ ही उद्यमी, किसान, छात्र समेत अन्य संगठन भी खुल कर विरोध जता रहे हैं।

चीनी उत्पादों की मांग में कमी का अनुमान

विरोध की स्थिति को देखते हुए द एसोसिएटेड चेंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) ने भी एक सर्वे में इस दीपावली चीनी उत्पादों की मांग में 40 से 50 फीसद की कमी का अनुमान लगाया है। इस बीच कई स्थानीय विनिर्माताओं ने बाजार में देश में बनी लडिय़ों, बिजली वाली मोमबत्ती और दीये उतारे हैं, जिसकी अच्छी मांग है।

चीन ने अपनाया नया पैंतरा 

ऐसे में अपना माल खपाने के लिए चीन ने अब नया पैंतरा अपनाया है, जिसमें उसके उत्पादों पर कोई पहचान नहीं है कि बताया जा सके कि यह उत्पाद कहा का है। इसके साथ ही सस्ते के लिए प्रसिद्ध चीनी उत्पाद पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 30 से 40 फीसद और सस्ते हैं।

भागीरथ पैलेस के दुकानदार गुलाब के मुताबिक पिछले वर्ष चीन में बना 70 मीटर लंबा एलइडी झालर 500 रुपये में बिक रहा था, वहीं इस वर्ष उसकी कीमत महज 300 रुपये हैं। इसी तरह ट्यूब झालर जो पिछले वर्ष 12 मीटर 1800 रुपये में मिलता था, इस वर्ष उसकी कीमत महज 1000 रुपये ही है।

इ-कॉमर्स पर मेक इन इंडिया का दांव

दीपावली पर 'मेक इन इंडिया' उत्पादों को भुनाने में जुट गया है। तमाम इ-कॉमर्स साइटों पर 'मेक इन इंडिया' का दावा करते उत्पाद बेचे जा रहे हैं। 

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