Kisan Andolan: शादियों के मौसम में चमकने वाले चांदनी चौक पर संकट के बादल, मात्र 25 प्रतिशत ही रह गया है कारोबार
इस मुगलकालीन शहर में कपड़ों की बिक्री सैकड़ों वर्ष से होती आ रही है। पंजाब से किसान आंदोलन का वेग उठने के साथ से पांच दिन पहले से इस ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण बाजार पर संकटों के बादल छा गए हैं। जो शादियों के इस मौसम में मायूसी देने को आमदा है। क्योंकि पिछले कुछ दिनों में यहां के व्यापार में 75 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। शादियों का मौसम आने से 15-20 दिन पहले से चांदनी चौक में रौनक लौट आई थी। दिल्ली के विभिन्न स्थानों के साथ गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद समेत दूसरे राज्यों से और विदेश से दुकान, बुटिक तथा शादी वाले घरों के लोगों की खरीदारी से गुलजार हो गया था।
खासकर अधिकतर दुकानों पर दुल्हनें अपने लिए लहंगा और साड़ी पसंद करते दिखाई देती थीं। यह स्थित कुछ दिन पहले तक यथावत थी, लेकिन पंजाब से किसान आंदोलन का वेग उठने के साथ से पांच दिन पहले से इस ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण बाजार पर संकटों के बादल छा गए हैं। जो शादियों के इस मौसम में मायूसी देने को आमदा है। क्योंकि, पिछले कुछ दिनों में यहां के व्यापार में 75 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है।
300 करोड़ रुपये से अधिक का है प्रतिदिन का कारोबार
स्थिति यह कि भविष्य में भी कारोबारी अनिश्चितताओं को देखते हुए यहां के थोक व खुदरा व्यापारियों ने लहंगा, साड़ी व सूट निर्माताओं को आर्डर देना फिलहाल काफी कम कर दिया है। उन्हें नहीं पता है कि यह आंदोलन कब तक चलेगा और आगे मांग की क्या स्थिति रहेगी।
चिंतित दुकानदार बताते हैं कि दिल्ली तक के रास्ते बाधित होने तथा सुरक्षा व जाम संबंधित चिंताओं के चलते खरीदार दिल्ली आने से कतरा रहे हैं। ऐसे में उन्हें इंटरनेट माध्यम से संतुष्ट करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वह ज्यादा सफल नहीं है। क्योंकि, व्यावसायिक वाहनों के भी आंदोलन के प्रभावित होने से सामान के पहुंचाने में दिक्कतें ज्यादा है।
देश क्या विदेश तक में शादी चांदनी चौक बिना अधूरी...
इस मुगलकालीन शहर में कपड़ों की बिक्री सैकड़ों वर्ष से होती आ रही है। खासकर शादियों को लेकर यहां के उत्पाद दिल्ली के साथ ही हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों के साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, मारीशस समेत अन्य देशों में लोकप्रिय है। इस बाजार के तकरीबन 30 हजार से अधिक दुकानों पर कपड़ों तथा परिधानों की बिक्री होती है।
जहां उप्र, हरियाणा, बंगाल, गुजरात व पंजाब समेत अन्य राज्यों से लहंगे, साड़ी समेत अन्य परिधान व कपड़े तैयार होकर बिकने आते हैं। यह नए फैशन, गुणवत्ता व दर के मामले में काफी लोकप्रिय है। एक अनुमान के अनुसार प्रतिदिन यहां 300 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है, लेकिन किसान आंदोलन के चलते यह 100 करोड़ रुपये से भी घट गया है।
स्थिति काफी विकट है, यहां न माल आ पा रहा है और न जा पा रहा है। यह शादियों का मौसम है, जिसमें बिक्री सबसे अधिक होती है। मुश्किल से 25 प्रतिशत ही कारोबार रह गया है। चिंता यह है कि परिधानों में फैशन बदलते रहते हैं। इस बार जो कपड़े और डिजाइन हैं, शायद अगले वैवाहिक मौसम में न रहे। ऊपर से दुकान का किराया, कर्मचारियों का वेतन, बिजली बिल समेत अन्य भुगतान यथावत है।
- श्रीभगवान बसंल, महासचिव, दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन
इतनी खराब स्थिति कोरोना महामारी के ठीक बाद भी नहीं थी, क्योंकि तब हालात पता नहीं थे। अभी तो सभी कुछ बेहतर चल रहा था कि अचानक आंदोलन आ गया। इससे बाजार अचानक से धड़ाम हो गया है। स्थित यह कि एक दिन में औसतन जहां 50 ग्राहकों को लहंगा या साड़ी बेचते थे, वहीं अब बमुश्किल पांच की रह गई है। स्टाक फंसने का अंदेशा गंभीर है।
-रक्षित गोयल, संचालक, केशव फैशन
साड़ियों और लहंगे के साथ ही जेंस सूट, बेडशीट और पर्दे समेत अन्य प्रकार के कपड़ों की मांग घटी है। इनकी भी मांग शादियों के दिनो में खूब रहती है।
- गोपाल गर्ग, अध्यक्ष, क्लाथ मार्केट, चर्च मिशन रोड, चांदनी चौक