रिश्तों की डोर में बंधे गांव-कस्बों की कहानी, कहीं भइया और दादी तो कहीं नाना और नानी
दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते यानी मां के नाम पर देश में कोई गांव या कस्बा नहीं है। जबकि, बहन के नाम पर 8, पिता 6, मामा 3 और एक गांव मामी के नाम पर है।
नई दिल्ली [दृगराज मद्धेशिया]। 'मुहल्ले की वो सबसे निशानी पुरानी, वो बुढ़िया जिसे लोग कहते थे नानी, वो नानी की बातें में परियों का डेरा, वो चेहरे की झुर्रियों में सदियों का फेरा।'
शायर सुदर्शन फाकिर की लिखीं ये पंक्तियां जगजीत सिंह की मधुर आवाज पाकर अमर हो गईं। इस गीत को गुनगुनाते ही शहर से कोसों दूर गांव में नानी के साथ बिताए पलों की याद भले ही हमें अपने बचपन में ले जाती हों, लेकिन हमारे बच्चे इस स्नेह भरे रिश्ते से दूर जा रहे हैं।
गांव से आती है रिश्तों की खुशबू
सिर्फ नानी ही क्यों, नाना, दादा-दादी, मामा-मामी, चाचा-चाची जैसे तमाम रिश्ते बस्तों के बोझ तले दब रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही रिश्तों की। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देशभर में सैकड़ों ऐसे गांव-कस्बे हैं, जहां से इन रिश्तों की खुशबू आती है। इनमें सबसे ज्यादा गांव-कस्बे नाना और नानी के नाम पर हैं।
दो सौ गांव-कस्बों के नाम के आगे या पीछे नाना या नानी जुड़ा हुआ है, जितने नाना उतने नानी। जिस गुजरात में मोटा भाई सबसे ज्यादा बोला जाता है, वहां 91 गांव-कस्बे नानी और 82 नाना के नाम पर हैं।
इसके बाद हिमाचल प्रदेश में 4, राजस्थान में 2, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में एक-एक गांव नाना के नाम पर हैं। नानी के नाम पर हिमाचल प्रदेश में एक, राजस्थान में 6, मध्यप्रदेश में 4 गांव हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में एक भी नहीं। दादा-दादी के नाम पर सिर्फ 30 गांव हैं। इनमें से 16 दादा और 14 दादी के नाम पर।
दादा के नाम पर सबसे ज्यादा चार-चार गांव हिमाचल और उत्तर प्रदेश में हैं, वहीं उत्तराखंड में तीन, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश में दो-दो व पंजाब में एक गांव है।
यहां काका-काकी भी हैं
दादी की बात करें तो सबसे ज्यादा 6 गांव या कस्बे मध्यप्रदेश में हैं। जबकि, उत्तर प्रदेश में चार, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक है। इसके आलावा काका-काकी के नाम पर भी अलग-अलग राज्यों में 11 गांव हैं ।
उप्र में भइया और दोस्त
भइया और दोस्त बनाने में यूपी वाले पीछे नहीं हैं। देश भर में 21 गांव या कस्बे के नाम में भइया शब्द जुड़ा हुआ है। इनमें से अकेले 13 गांव उत्तर प्रदेश में हैं।
इसके आलावा बिहार व राजस्थान में तीन-तीन और पश्चिम बंगाल में दो गांव भइया के नाम पर हैं। दोस्त के नाम पर 15 गांवों में से 11 उत्तर प्रदेश और चार बिहार में हैं। भाई के नाम पर 30 गांवों में से अकेले दस पंजाब में हैं। भाभी के नाम पर भी दो गांव हैं, एक उत्तर प्रदेश में तो दूसरा बिहार में।
मां के नाम पर कोई गांव नहीं
दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते यानी मां के नाम पर देश में कोई गांव या कस्बा नहीं है। जबकि, बहन के नाम पर 8, पिता 6, मामा 3 और एक गांव मामी के नाम पर है।
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