समस्या है बाल विवाह, किशोरावस्था के स्वास्थ्य पर वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी करेगा भारत
चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में यह बात सामने आई है कि देश में अब भी 17.5 फीसद लड़कियों की शादी 18 साल से पहले व 14.1 फीसद लड़कों की शादी 21 साल से पहले हो जाती है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। किशोरावस्था की स्वास्थ्य समस्याओं पर पहली बार देश में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होगा। इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर एडोलसेंट हेल्थ (आइएएएच) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देश-विदेश के करीब 1000 डॉक्टर हिस्सा लेंगे। इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी भी इसमें शिरकत करेंगे।
सम्मेलन में विशेषज्ञ किशोर स्वास्थ्य के बारे में चर्चा करेंगे। इस सम्मेलन की जानकारी देते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष व ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के कार्यकारी निदेशक डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि देश में कम उम्र में शादी अब भी बड़ी समस्या बनी हुई है।
पहले के मुकाबले स्थिति में सुधार
चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में यह बात सामने आई है कि देश में अब भी 17.5 फीसद लड़कियों की शादी 18 साल से पहले व 14.1 फीसद लड़कों की शादी 21 साल से पहले हो जाती है। 10 साल पहले तक 47 फीसद लड़कियों व 32 फीसद लड़कों की शादी कम उम्र में हो जाती थी। इस लिहाज से पहले के मुकाबले स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन अब भी काफी किशोरों की शादी कम उम्र में होना चिंताजनक है।
किशोर कम उम्र में माता-पिता बन जाते हैं
कम उम्र में शादी होने के कारण किशोर कम उम्र में माता-पिता भी बन जाते हैं। इसका उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। केंद्र सरकार किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम चला रही है लेकिन इसे सभी राज्यों व जिला स्तर तक पहुंचाना चुनौती बना हुआ है।
400 विशेषज्ञ लेंगे हिस्सा
विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है कि यदि किशोर स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए तो तंबाकू व अल्कोहल का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में भी कमी लाई जा सकती है। यही वजह है कि 27-29 अक्टूबर के तक दिल्ली में यह सम्मेलन होगा, जिसमें विदेशों से 400 विशेषज्ञ हिस्सा लेने दिल्ली पहुंच रहे हैं।
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