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दिल्ली में पानी पर छिड़ी राजनीतिक जंग, सेटलमेंट के मुद्दे पर AAP-LG आमने-सामने; जानें आखिर क्या है पूरा मामला

दिल्ली वर्तमान में पानी के बिलों की वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) स्कीम को लेकर राजनीतिक जंग छिड़ी हुई है। आप सरकार का कहना है कि ओटीएस को एलजी की ओर से अनुमति नहीं मिल रही वहीं भाजपा का कहना है कि बढ़े हुए बिल जल बोर्ड के नए मीटरों के कारण आ रहे हैं। आइए जानते हैं एलजी और सरकार के बीच के नूराकुश्ती की वजहें...

By Jagran News Edited By: Sonu SumanPublished: Thu, 29 Feb 2024 03:48 PM (IST)Updated: Thu, 29 Feb 2024 03:48 PM (IST)
दिल्ली में पानी पर छिड़ी राजनातिक जंग, सेटलमेंट के मुद्दे पर AAP-LG आमने-सामने।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कितना पानी चोरी हो रहा है, रिसाव में बर्बाद हो रहा है, इस पर किसी का ध्यान नहीं है। अनधिकृत कॉलोनियों में कैसे पानी की आपूर्ति हो रही है इससे भी किसी का सरोकार नहीं है। अभी तो सारा जोर वन टाइम सेटलमेंट पर है। कहानी जहां से 2013 में शुरू हुई थी, घूम फिरकर वहीं आती दिख रही है। उस समय भी दिल्ली की आम आदमी पार्टी पानी के बिल, हवा से तेज भागते मीटर के मुद्दे के साथ मैदान में उतरी थी और अब एक बार फिर से लगातार बजट सत्र के नाम पर बीते 12 दिन से सदन में इसे ही लागू करने का विवाद गर्माया हुआ है। 

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ऐसे में सवाल ये उठता है कि पानी के नए मीटरों के कारण यदि बिल बढ़े आ रहे हैं तो मीटर क्यों नहीं बदले जा रहे? जल बोर्ड में निजीकरण की एंट्री हुई थी तो उस काम में परफेक्शन क्यों नहीं हुआ? उसमें घपले क्यों उजागर हो गए? आखिर मीटर बदलने में कहां बाधा है? साथ ही, वर्तमान में सभी पहलुओं को देखते हुए इस मुद्दे का क्या है समाधान? कैसे दी जाए दिल्लीवासियों को इस परेशानी से राहत? इसी की पड़ताल करना हमारा आज का मुद्दा है।

दिल्ली वर्तमान में पानी के बिलों की वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) स्कीम को लेकर राजनीतिक जंग छिड़ी हुई है। आप सरकार का कहना है कि ओटीएस को एलजी की ओर से अनुमति नहीं मिल रही, वहीं भाजपा का कहना है कि बढ़े हुए बिल जल बोर्ड के नए मीटरों के कारण आ रहे हैं। दिल्ली सरकार का दावा है कि उसने लोगों का पानी मुफ्त कर रखा है तो ओटीएस स्कीम लाने के बजाय उसे सारे बिल शून्य घोषित कर देने चाहिए। आइए समझते हैं दिल्ली के पानी का जमा-गणित:

- क्या आप मानते हैं कि वन टाइम सेटलमेंट स्कीम पानी के बढ़े बिलों के निपटारे का उचित समाधान है?

हां : 11

नहीं : 89

- क्या लोगों को बढ़े बिलों से निजात दिलाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड को मीटर तत्काल बदलने चाहिए?

हां : 92

नहीं : 8

इसलिए आया अधिक बिल

दिल्ली सरकार का कहना है कि कई लोगों को निश्शुल्क जल योजना के स्वतः लागू होने और पिछली योजना के तहत बकाया राशि की 100% छूट के बारे में गलतफहमी थी। पानी मीटर रीडरों द्वारा मीटर रीडिंग गलत पंच करने की भी कई शिकायतें मिली हैं। इसके अलावा, कोरोना काल में लाकडाउन के कारण मीटर रीडिंग भौतिक रूप से नहीं की जा सकी। इसलिए, पानी के मीटरों की भौतिक रीडिंग के अभाव में बिल औसत रीडिंग (अर्थात प्रति माह 25 किलोलीटर उपयोग) के आधार पर बनाए जा रहे थे। पिछले बकाया और वर्तमान बिलों में जोड़ा गया विलंबित भुगतान अधिभार (एलपीएससी) से पानी का बिल अधिक हो गया।

ओटीएस योजना

वन टाइम सेटलमेंट योजना के अंतर्गत उपभोक्ता का बिल फिर से तैयार किया जाएगा। यदि उपभोक्ता इस राशि का भुगतान करता है तो पूरा बकाया समायोजित कर दिया जाएगा। उदाहरण के तौर पर यदि किसी उपभोक्ता को एक लाख रुपये का बढ़ा हुआ बिल मिला है और उसके पानी के उपभोग के आधार पर बिल को सात हजार रुपये कर दिया जाता है (रीकास्ट बिल) तो उसे इस राशि का एकमुश्त भुगतान करना होगा। अगले बिलिंग चक्र से उसे नया बिल मिलेगा। रीकॉस्टिंग राशि का भुगतान नहीं करने पर उसे एक लाख रुपये का भुगतान करना होगा। योजना का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ता के पास चार माह का समय होगा।

- दो तरह से है मौका 

- प्रथम श्रेणी: पिछले एक वर्ष में दो सही रीडिंग वाले बिल के आधार पर उनका दोबारा बिल तैयार किया जाएगा। पिछले एक वर्ष की दो सही रीडिंग प्रस्तुत करने में असमर्थ रहने वाले उपभोक्ताओं की रीडिंग की गणना पिछले पांच वर्षों के आधार पर की जाएगी।

- द्वितीय श्रेणी: यदि खराब मीटर या बिल की समस्या पांच वर्ष से अधिक पुरानी है तो उपभोक्ता के पड़ोस के पानी उपभोग के आधार पर बिल तैयार किया जाएगा। इस योजना का लाभ लेने वाले उपभोक्ताओं की 100% एलपीएससी माफ कर दिया जाएगा।

खराब मीटरों में भी हो जाएगा सुधार

दिल्ली सरकार के अनुसार ओटीएस योजना उन सभी उपभोक्ताओं को दिल्ली जल बोर्ड के अंतर्गत लाने में मददगार साबित होगी जिनके पानी के मीटर खराब हैं। इस योजना का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ताओं को खराब मीटर को बदलवाना होगा। इससे उपभोक्ताओं को लाभ मिलने के साथ ही दिल्ली जल बोर्ड का राजस्व बढ़ेगा।

पानी का बिल बढ़कर आने के कारण कई उपभोक्ता उसका भुगतान नहीं कर रहे हैं जिससे जल बोर्ड को नुकसान हो रहा है। इस योजना से जल बोर्ड को लगभग 2,500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। दिल्ली सरकार का आरोप है कि भाजपा के इशारे पर मंत्री के निर्देश के बाद शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने इस योजना को कैबिनेट में लाने से इनकार कर दिया।

वोट बैंक की राजनीति में अटक रहा पानी का बिल निपटारा

दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व तकनीकी सदस्य आरएस त्यागी के मुताबिक दिल्ली में पानी के बकाए बिल के निपटारे के लिए वन टाइम सेटलमेंट की योजना सुर्खियों में है। सरकार अधिकारियों व उपराज्यपाल पर इस योजना को रोकने का आरोप लगा रही है। यही बात यह है कि मुफ्त पानी योजना से दिल्ली जल बोर्ड की आर्थिक सेहत अच्छी नहीं है। यदि जल बोर्ड और सरकार टाइम सेटलमेंट की योजना लाना चाहती है या जल बोर्ड पानी का मीटर बदलना चाहे तो इसमें कोई अड़चन नहीं है। ताजा मामला राजनीतिक है। 

उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति में योजना लटक रही है। वैसे बकाया बिल के भुगतान के लिए वन टाइम सेटलमेंट समस्या का निदान नहीं है। इससे जल बोर्ड का आर्थिक घाटा और बढ़ेगा। इससे भविष्य में समस्याएं अधिक बढ़ सकती हैं।

रीडिंग लेने के लिए निजी कंपनियों को ठेका

यदि बकाया बिल पर उपभोक्ताओं को राहत देनी ही है तो पहले राहत क्यों नहीं दी गई। पिछले वर्ष ही इसे लागू करने की बात कही गई थी। फिर इसे उस वक्त यह योजना क्यों लागू नहीं की गई और यदि अधिकारियों की तरफ से कोई अड़चन थी तो उसी वक्त मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया? चुनाव नजदीक मुद्दा उठाना राजनीति की तरफ इशारा कर रहा है।

उन्होंने कहा कि जल बोर्ड पानी के मीटर की रीडिंग लेने के लिए निजी कंपनियों को ठेका दिया है। मीटर रीडर को बाकायदा टैबलेट दिए गए हैं। उन्हें मीटर रीडिंग का फोटो वीडियो लेकर अपलोड करना होता है। ऐसे में यह गंभीर सवाल है कि पानी के बिल गलत कैसे तैयार हुए? यदि पानी का बिल गलत बना तो इसके लिए जल बोर्ड और वह निजी एजेंसियां जिम्मेदार हैं जिसकी सेवाएं जल बोर्ड ले रहा है।

ज्यादातर उपभोक्ताओं के यहां पानी के पुराने मीटर

जल बोर्ड ने उन कांट्रैक्टर्स का बिल भुगतान भी जारी रखा है। यदि बिल गलत बन रहे तो निजी कांट्रैक्टरों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी और उनका बिल भुगतान रोक देना चाहिए था। मौजूदा समय में जो दिल्ली की सत्ता में बैठे हैं वे सत्ता में आने से पहले कहा करते थे कि फूंक मारो तो पानी का मीटर तेज भागता है।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर उपभोक्ताओं के यहां पानी के पुराने मीटर ही लगे हुए हैं। आठ-नौ वर्ष पहले पानी के मीटर बदलने के लिए दो कंपनियों को कांट्रैक्ट दिए गए थे। एक-एक कंपनी को चार-चार लाख घरों में मीटर लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसलिए आठ लाख उपभोक्ताओं के मीटर बदले भी गए थे।

शर्तों के मुताबिक पानी के मीटर वारंटी पांच वर्ष थी। जिसे पांच वर्ष के अतिरिक्त अवधि के लिए बढ़ाया भी गया था। इसलिए पानी के मीटर पर कुल दस वर्षों की वारंटी थी। यदि नए लगे ये मीटर तेज भाग रहे हैं तो उसे ठीक कराया जाना चाहिए था या उसे अब बदल दिया जाना चाहिए था।

दिल्ली जल बोर्ड के करीब 27 लाख उपभोक्ता

उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के करीब 27 लाख उपभोक्ता हैं। करीब 11 लाख उपभोक्ताओं का बिल बकाया होने की बात कही जा रही है जिसके लिए वन टाइम सेटलमेंट योजना लाने की योजना सुर्खियों में बनी हुई है। इसका मतलब है कि करीब 40% उपभोक्ता पानी का बिल नहीं भर रहे हैं।

बाकी उपभोक्ता नियमित पानी का बिल भर रहे हैं। जब-जब चुनाव नजदीक आता है तब बिल माफ करने की बात सामने आती है। सवाल यह है कि बकाया बिल वाले उपभोक्ताओं का यदि बिल माफ कर दिया जाएगा तो उन उपभोक्ताओं की क्या गलती है जो नियमित बिल भर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि क्या नियमित बिल भरने वाले उपभोक्ताओं का पैसा भी वापस किया जाएगा? क्योंकि बिल तो उनके भी गलत हो सकते हैं। इसलिए मामले की जांच कराई जानी चाहिए। यदि सरकार पानी का मीटर बदलना चाहे या वन टाइम सेटलमेंट योजना लाना चाहे तो इसमें कोई खास अड़चन नहीं है।

जल बोर्ड की बोर्ड बैठक में योजना को स्वीकृति दिलाकर कैबिनेट में रखा जा सकता है। यदि अधिकारी इसे कैबिनेट में रखने में आनाकानी कर रहें तो सरकार स्वत: कैबिनेट में इसे रख सकती है। शीला दीक्षित कई योजनाओं को इस तरह से लागू कराया था।

भ्रष्टाचार का मामला है, इसमें ओटीएस से कुछ नहीं होगा

सिटीजंस फ्रंट फार वाटर डेमोक्रेसी के संयोजक एसए नकवी ने बताया कि साल 2013 में शुद्ध जल आपूर्ति, उपभोक्ताओं को भेजे गए गलत बिल, गलत रीडिंग राजनीतिक मुद्दा बना था। आम आदमी पार्टी ने इस समस्या को जोरशोर से उठाया था। इस विषय को उठाकर वह सत्ता तक पहुंची थी।

इन समस्याओं का समाधान करना उसका कर्तव्य है, परंतु स्थिति नहीं सुधरी है। दुर्भाग्य से 11 वर्ष बाद 2024 में भी यह राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। कहा जा रहा है कि 11 लाख से अधिक उपभोक्ताओं के गलत बिल भेजे गए हैं। 

उन्होंने कहा कि इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यह सही नहीं है। इस समस्या का मुख्य कारण दिल्ली जल बोर्ड के काम को निजी हाथों में देना है। उपभोक्ताओं से बिल वसूलने का काम निजी हाथों में दे दिया गया है। उनके ऊपर किसी तरह की निगरानी नहीं है। बिल वसूलने व अन्य काम में भ्रष्टाचार सामने आ रहा है। जल बोर्ड के कई अधिकारी पकड़े गए हैं। जल बोर्ड के निजीकरण का दुष्परिणाम सभी के सामने हैं।

राघव चड्ढा के सामने गलत बिल का मामला

नकवी ने कहा कि उपभोक्ताओं को गलत बिल भेजने का मामला उजागर होने के बाद भी दिल्ली जल बोर्ड व दिल्ली सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। वर्ष 2021 में दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन उपाध्यक्ष राघव चड्ढा के सामने गलत बिल का मामला आया था। अगस्त, 2022 में जल बोर्ड के तत्कालीन उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने गलत रीडिंग लेने वाले मीटर रीडरों व संबंधित निजी कंपनियों के विरुद्ध एफआइआर के आदेश दिए थे। यदि पिछले तीन वर्षों में उपभोक्ताओं को भेजे गए गलत बिल की समस्या का समाधान हो जाता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।

उन्होंने कहा कि यह निजी कंपनियों के भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है इसलिए इसका समाधान वन टाइम सेटलमेंट योजना से नहीं होगा। दिल्ली जल बोर्ड के पास उपभोक्ताओं की शिकायत के निवारण करने की व्यवस्था है। प्रश्न यह उठता है कि इस व्यवस्था को ठप क्यों किया जा रहा है? 

उपभोक्ताओं द्वारा गलत बिल की शिकायत करने पर उसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया? इस तरह की लापरवाही व भ्रष्टाचार के कारण उपभोक्ता परेशान हैं। वह बिल ठीक कराने के लिए जल बोर्ड के कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं। जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति खराब होती जा रही है। अब चुनाव का समय नजदीक आने पर यह मामला उठ रहा है। इस विषय पर राजनीति करने की जगह इसके समाधान पर ध्यान देने की जरूरत है।

जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति और होगी खराब

उपभोक्ताओं को अधिक व गलत बिल भेजे जाने के कारण वह भुगतान नहीं कर रहे हैं। इससे जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति और खराब होगी जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इसे गंभीरता से लेते हुए समाधान का रास्तान निकालना होगा। इसके लिए सबसे पहले गलत बिल भेजने वाली निजी कंपनी की जिम्मेदारी तय करनी होगी। उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। 

उन्होंने कहा कि निष्पक्ष जांच से इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान हो सकेगी। कानूनी कार्रवाई के साथ ही उपभोक्ताओं को भेजे गए गलत बिल को सुधारने के लिए अविलंब काम शुरू करना होगा। दिल्ली जल बोर्ड के लिए यह काम मुश्किल नहीं है। गलत बिल की समस्याओं का समाधान पहले भी होता रहा है, फिर इस बार इसे क्यों लटकाया जा रहा है?  इस विषय पर राजनीति करने की जगह उपभोक्ताओं व दिल्ली जल बोर्ड के हित में कदम उठाने की जरूरत है अन्यथा परेशानी और बढ़ेगी।

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