सुप्रीम कोर्ट और NGT की सख्ती का दिखा असर, सरकार ने मंजूर किए 12 करोड़ रुपये
धान की पराली और गेहूं के फानों के सही निस्तारण के लिए सरकार ने 12 करोड़ रुपये अलग से मंजूर किए हैं।
नई दिल्ली [जेएनएन]। प्रदेश में फसल अवशेष, खासकर पराली जलाने से बढ़ रहे प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती का असर दिखने लगा है। धान की पराली और गेहूं के फानों के सही निस्तारण के लिए सरकार ने 12 करोड़ रुपये अलग से मंजूर किए हैं। इस राशि में से किसानों को हैप्पी सीडर्स, स्ट्रा बेलर और स्ट्रा रिपर के लिए सब्सिडी दी जाएगी।
दैनिक जागरण ने लगातार तीन दिन तक अभियान चलाकर पराली जलाने से होने वाले नुकसान व प्रदूषण के प्रति चेताया था और सरकार से आग्रह किया था कि पराली निस्तारण की ठोस योजना बनाई जानी चाहिए। मुख्य सचिव डीएस ढेसी की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) की राज्य स्तरीय स्वीकृति कमेटी की बैठक में फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के बंदोबस्त पर चर्चा हुई।
मुख्य सचिव ने पराली के उचित प्रबंधन के लिए विभिन्न प्रोजेक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों के लिए जागरूकता अभियान में और तेजी लाने की जरूरत है। फसल की कटाई के बाद अवशेषों के उचित निस्तारण के लिए किसानों को पिछले साल 1462 स्ट्रा रिपरों और 68 हैप्पी सीडर्स की खरीद पर सब्सिडी दी गई थी। इस वर्ष किसानों को 2433 स्ट्रा रिपर, 231 हैप्पी सीडर्स और 38 स्ट्रा बेलर खरीदने के लिए सब्सिडी दी जाएगी।
167 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी
बैठक में आरकेवीवाई के तहत कुल 167 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। केंद्र सरकार की ओर से 50.15 करोड़ रुपये की पहली किस्त प्राप्त हो चुुकी है। वहीं, प्रदेश सरकार की ओर से 83.58 करोड़ रुपये विभिन्न विभागों एवं क्रियान्वयन एजेंसियों को दिए जा चुके। बैठक में आन फार्म वाटर मैनेजमेंट परियोजना, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कुरुक्षेत्र गुरुकुल में आवासीय जैविक खेती प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने और आरकेवीवाई के उप-योजना के रूप में पेरी शहरी बागवानी विकास के क्रियान्वयन को भी मंजूरी दी गई। साथ ही मुख्य सचिव ने अधिकारियों को समय पर उपयोग प्रमाणपत्र देने के निर्देश दिए।
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