Yamuna Pollution: यमुना का दर्द बयां कर रहीं ये Photos, आपने नहीं दिया ध्यान तो चुकानी पड़ेगी बहुत बड़ी कीमत
Yamuna Pollution में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक होता जा रहा है। अगर दिल्ली-एनसीआर के लोग और जिम्मेदार समय रहते नहीं चेते तो स्थिति भयावह हो सकती है। यमुना किनारे उपजी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदेह हैं। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार सब्जी में लेड की मात्रा 0.1 पीपीएम से अधिक नहीं होनी चाहिए।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। यमुना नदी एनसीआर की जीवन रेखा है। इसने दिल्ली को बसाया और विकसित किया। इसका पानी लोगों का प्यास बुझाने के साथ उनके सुख समृद्धि में सहायक रहा है।
कृषि, मछली पालन सहित कई तरह की आर्थिक व सांस्कृतिक गतिविधियों से लोग जीविकोपार्जन करते रहे हैं। अब स्थिति बदल गई है।
एनसीआर के लोगों को चुकानी पड़ेगी बड़ी कीमत
अनियोजित विकास, भ्रष्टाचार व लालच के कारण यह पवित्र नदी मृत प्राय हो गई है। राजधानी में इसका पानी पीने लायक तो दूर नहाने लायक भी नहीं है।
इससे पेयजल संकट, भूजल के दूषित होने, पारिस्थितकी तंत्र को नुकसान, दूषित जल से होने वाली कृषि के कारण स्वास्थ्य संबंधित परेशानी सामने आ रही है। यदि समय रहते इस नदी को स्वच्छ व अविरल करने के लिए ठोस प्रयास नहीं हुए तो एनसीआर के लोगों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
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दिल्ली में यमुना पल्ला से ओखला बैराज तक 48 किलोमीटर के दायरे में बहती है। वजीराबाद से असगरपुर गांव तक 26 किलोमीटर का हिस्सा नदी की कुल लंबाई का मात्र दो प्रतिशत है, परंतु यह इसके 76 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत यमुना को तीन हिस्सों में वर्गीकृत किया गया है। यमुनोत्री से हथिनीकुंड बैराज तक बिना प्रदूषण वाला, हथिनीकुंड से पल्ला तक मध्यम स्तर का और उससे आगे पल्ला तक बेहद प्रदूषित है।
यमुना किनारे उपजी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह
यमुना किनारे उपजी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार सब्जी में लेड की मात्रा 0.1 पीपीएम से अधिक नहीं होनी चाहिए।
यमुना खादर में उपजी सब्जियों में यह 28.06 पीपीएम तक पाई गई है। कैडियम की स्वीकृत मात्रा 0.1 से 0.2 पीपीएम की तुलना में 3.42 पीपीएम और पारा की स्वीकृत मात्रा एक पीपीएम की जगह 139 पीपीएम तक मिलती है।
इनके सेवन से याददाश्त संबंधी परेशानी, फेफड़े, मस्तिष्क और पेट के कैंसर सहित स्वास्थ्य संबंधित गंभीर परेशानी हो सकती है।
कम हो रही है उर्वरा शक्ति
यमुना का जल स्तर बढ़ने और सिंचाई में नदी के पानी के उपयोग से तटवर्ती क्षेत्र की मिट्टी में जहर घुल रहा है। भूजल भी दूषित हो रहा है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है।
समस्या के कारण
यमुना नदी में प्रदूषण दिल्ली और हरियाणा दोनों से उत्पन्न होने वाले स्रोतों के कारण हो रहा है। नदी में गिरने वाले नाले, नियमित रूप से गाद नहीं निकालने और डूब क्षेत्र में अतिक्रमण के कारण समस्या बढ़ रही है।
यमुना में गिरने वाले नाले
दिल्ली में कुल 122 छोटे-बड़े नाले यमुना में गिरते हैं।
प्रमुख 22 बड़े नाले
10 नालों का पानी शोधित किया जा रहा है। नजफगढ़ नाला और शाहदरा नाले को इंटरसेप्टर परियोजना में शामिल किया गया है। दिल्ली गेट नाला, सेन नर्सिंग होम नाला, सोनिया विहार, आइएसबीटी (मोरी गेट) नाला, जैतपुर नाला, तुगलकाबाद नाला, कैलाश नगर नाला, शास्त्री पार्क ड्रेन, बारापुला और महरानी बाग नाले का पानी सीधे यमुना में गिर रहा है।
यमुना में प्रदूषण के लिए कौन जिम्मेदार?
राजधानी में यमुना नदी डूब क्षेत्र पांच से 10 किलोमीटर है। अनियोजित विकास व अतिक्रमण के कारण आइटीओ सहित कई स्थानों पर नदी का डूब क्षेत्र बिल्कुल नहीं बचा है।
नजफगढ़ ड्रेन यमुना में 70 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। इस ड्रेन में गुरुग्राम से निकलने वाले तीन नालों से 40 प्रतिशत प्रदूषण होता है। साथ ही हरियाणा से बड़ी मात्रा में औद्योगिक कचरा इसमें गिराया जा रहा है।
पीछे चल रही हैं परियोजनाएं
यमुना को साफ करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं, लेकिन उनका काम धीमी गति से चल रहा है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा अक्टूबर में नेशनल ग्रन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को दी गई रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और जल बोर्ड द्वारा शुरू की गई परियोजनाएं जैसे सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) का निर्माण, नालों के मुंह पर जाली लगाना, अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाना, सीवर से गाद निकालने, यमुना डूब क्षेत्र को बहाल करने जैसे कार्य में देरी हो रही है।
- एसटीपी के निर्माण कार्य छह माह से एक वर्ष का विलंब है।
- राजधानी में स्थित 37 एसटीपी में से सिर्फ 10 निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं।
- पिछले वर्ष दिसंबर तक दिल्ली में कुल सीवेज उपचार क्षमता 814 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन) करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका।
- अभी मात्र 565 एमजीडी सीवेज को शोधित किया जाता है। इस वर्ष इनकी क्षमता बढ़ाकर 922 एमजीडी करने का लक्ष्य है।
यमुना साफ हो तो बुझेगी एनसीआर की प्यास
यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ने से अक्सर दिल्ली में जल संकट उत्पन्न हो जाता है। इसके साफ होने से यह परेशानी दूर होगी। नदी में बढ़ते प्रदूषण का असर गुरुग्राम और फरीदाबाद पर भी पड़ रहा है। फरीदाबाद में यमुना नदी के किनारे बने बरसाती कुओं का मानक पर खरे नहीं उतरे हैं। गुरुग्राम में भी पेयजल संकट बना हुआ है।
पर्यावरणविद् लीलाधर शर्मा बताते हैं कि यदि यमुना प्रदूषित नहीं होती तो फरीदाबाद और गुरुग्राम में कभी पेयजल संकट नहीं होता। ओखला बैराज पर यमुना से आगरा और गुरुग्राम दो कैनाल को पानी दिया जाता है।
करीब 20 वर्ष पहले आगरा कैनाल और गुरुग्राम कैनाल का पानी निर्मल हुआ करता था। अब ओखला बैराज से आगरा व गुरुग्राम कैनाल में एकदम गंदा पानी आता है।
स्वच्छ यमुना के लिए सरकार के प्रयास
- 1993-94 में पहला यमुना एक्शन प्लान आया।
- 2002 में दूसरा यमुना एक्शन प्लान आया।
- 2012 इसका तीसरा चरण आया, लेकिन यमुना आजतक साफ नहीं हुई।
- कोरोना काल में लाकडाउन लगने पर यमुना ने अपने आप को साफ कर लिया, क्योंकि औद्योगिक गतिविधियां बंद हो गई थी। हथिनी कुंड से पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा गया जिससे यमुना साफ होती चली गई।
- यमुना नदी के कायाकल्प के लिए एनजीटी द्वारा जनवरी, 2023 में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता में पिछले वर्ष उच्च-स्तरीय समिति (एचएलसी) गठित की थी। नजफगढ़ ड्रेन सहित यमुना के कुछ क्षेत्र की सफाई अभियान शुरू किया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली के मुख्य सचिव को समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
- ओखला में बन रहे एशिया का सबसे बड़े एसटीपी का काम अंतिम चरण में है। इससे 124 एमजीडी सीवेज शोधित हो सकेगा। कोंडली और सोनिया विहार में भी एसटीपी का काम चल रहा है। 20 एसटीपी का उन्नयन कार्य चल रहा है।
- कालिंदी कुंज के नजदीक जैव विविधता पार्क सहित यमुना तट को संवारने के लिए अस्तिता ईस्ट, बांसेरा जैसे 10 परियोजनाओं पर काम। नदी और इसके तट साफ होने से पर्यटन व अन्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
- मूर्ति विसर्जन पर रोक।
- यमुना एक्शन प्लान तीन के अंतर्गत दिल्ली जल बोर्ड द्वारा जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है।
- जैव रसायन आक्सीजन मांग (बीओडी) 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम, घुलनशील आक्सीजन (डीओ) 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक करने का लक्ष्य है। दिल्ली में अभी बीओडी कई स्थानों पर 73 मिलीग्राम प्रति लीटर और डीओ शून्य तक है।
सांसदों से अपेक्षा
समस्या पर ध्यान देने की जगह दिल्ली, हरियाणा व केंद्र के बीच आरोप प्रत्यारोप की राजनीति होती रही है। दिल्ली सरकार आरोप लगाती है कि हरियाणा की औद्योगिक इकाइयों के कारण प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है।
हरियाणा सरकार इस आरोप से इन्कार करती रही है। एनसीआर के सभी सांसदों को डीडीए व अन्य एजेंसियों पर दबाव डालकर यमुना डूब क्षेत्र से अतिक्रमण हटवाने का प्रयास और परियोजनाओं को समय पर पूरा कराने में आने वाली बाधा दूर करने के लिए काम करना होगा।
यमुना नदी की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचने का दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। जैव विविधता को नुकसान पहुंच रहा है। कभी इस नदी और इसके किनारों पर कई प्रकार की मछली, अन्य जीव जंतु व पौधे मिलते थे। प्रदूषण के कारण सब समाप्त हो गए। पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो रहा है। वातावरण में इन दिनों आर्द्रता में कमी आ रही है। जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए नदी को बचाना जरूरी है। इससे तापमान नियंत्रित रहेगा। इसके लिए पूरी योजना तैयार करनी होगी और जैव विविधता पार्क सबसे आदर्श उपाय है। इससे नदी का जल भूमि संरक्षित होगा। भूजल स्तर में सुधार होने से पेयजल संकट भी दूर होगा। स्थानीय स्तर पर सीवेज उपचार पर ध्यान देना चाहिए।
- फैयाज खुदसर (पर्यावरणविद)