NIT श्रीनगर के छात्रों का जंतर-मंतर पर प्रदर्शन जारी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) श्रीनगर में तिरंगा लहराने पर पुलिस कार्रवाई का शिकार हुए छात्रों ने जंतर-मंतर पर लगातार दूसरे दिन विरोध प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) श्रीनगर में तिरंगा लहराने पर पुलिस कार्रवाई का शिकार हुए छात्रों ने जंतर-मंतर पर लगातार दूसरे दिन विरोध प्रदर्शन किया। कॉलेज कैपस का माहौल खराब होने का हवाला देते हुए उन्होने देश के दूसरे एनआइटी कॉलेज में पढ़ने की इजाजत देने की मांग की है। उनका कहना है कि बाहरी छात्रों के लिए वहां का कैंपस खतरे से खाली नहीं है।
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जंतर-मंतर पहुंचे 6 छात्रो ने बताया कि वहां से छात्रो के निकलने का क्रम जारी है। बुधवार तक कुछ और छात्र आंदोलन से जुड़ सकते है। उन्होने कॉलेज के अध्यापको को भी पाकिस्तान का समर्थक बताते हुए कहा कि पाकिस्तान का झंडा फहराने का उन लोगों ने विरोध नही किया, उनकी शह पर ही छात्रों पर पत्थर फेंके गए और हाथापाई की गई। छात्रों ने बताया कि तिरंगा लहराने पर कश्मीर पुलिस ने उन पर बर्बरता की। कॉलेज जंग का मैदान बन गया। बाहरी छात्रों को लक्षित कर आंसू गैस के गोले छोड़े गए।
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ईरानी के घर के बाहर देंगे धरना
जम्मू। परीक्षाओं का बहिष्कार कर जम्मू पहुंचे एनआइटी श्रीनगर के विद्यार्थी अब दिल्ली जाकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बाहर अपनी मांगों को लेकर धरना देंगे। छात्र एनआइटी को श्रीनगर से शिफ्ट करने की मांग पर अड़े हैं। अपनी इस मांग को लेकर छात्र मंगलवार शाम को दिल्ली रवाना हो गए।
विद्यार्थियों ने आरोप लगाया कि सरकार को उनकी कोई परवाह नहीं है। उनका कहना था कि वे कई दिनों से एनआइटी में और अब जम्मू में प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन कोई उनकी मांगों को सुनने के लिए तैयार नहीं है। वह एनआइटी में अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं। उनके साथ मारपीट होती है। कई विद्यार्थियों ने कुछ दिन पूर्व हुए लाठीचार्ज का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र सरकार एनआइटी को श्रीनगर से किसी सुरक्षित जगह शिफ्ट नहीं करती तब तक वे वापस नहीं जाएंगे। इस बीच परीक्षा का बहिष्कार कर जम्मू पहुंचे विद्यार्थियों का समर्थन करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा भी मंगलवार को जम्मू पहुंचे। उन्होंने भी विद्यार्थियों के साथ सरकार को आड़े हाथों लिया। उनका आरोप था कि पहले कश्मीर में और अब जम्मू में भी विद्यार्थियों की मांगों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
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