केजरीवाल सरकार के लिए इस बार आसान नहीं होगा ऑड-इवेन लागू करना
अधिकारियों की बैठक में प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार के रवैये पर सख्त चिंता और आपत्ति जताई गई।
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली सरकार भले ही ऑड-इवेन को फिर से लागू करने की तैयारी का दावा कर रही हो, लेकिन इस बार यह इतना आसान नहीं होगा। अन्य राज्यों की डीजल बसों को राजधानी में प्रवेश की मंजूरी देने से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) व पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने मना कर दिया है।
वहीं, हेलीकॉप्टर से पानी के छिड़काव के बयान को भी राजनीतिक स्टंट करार दिया। मंगलवार शाम ईपीसीए, सीपीसीबी, टास्क फोर्स और दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों की बैठक के बाद अनौपचारिक चर्चा हुई, जिसमें प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार के रवैये पर सख्त चिंता और आपत्ति जताई गई।
ऑड-इवेन पर चर्चा में मुद्दा उठा कि विकल्प स्वरूप सार्वजनिक परिवहन के नाम पर डीटीसी की चार हजार बसें भी नहीं हैं। दूसरे राज्यों की बसें दिल्ली में चल नहीं सकती हैं, क्योंकि वे डीजल से चलती हैं।
दूसरा विकल्प है स्कूल बसों की सेवाएं लेने का, लेकिन इसके लिए स्कूल बंद करने पड़ जाएंगे, जोकि व्यावहारिक नहीं है। दिल्ली के वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सबसे बड़ा उपाय सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत करना है, लेकिन दिल्ली में इस संबंध में कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
सीपीसीबी के सदस्य सचिव ए सुधाकर का कहना है कि ऑड-इवेन बहुत व्यावहारिक नहीं है, जबकि हेलीकॉप्टर से पानी छिड़कने का कोई मतलब नहीं बनता। रियल टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन को लेकर भी सुस्ती बरती जा रही है। डीपीसीसी एक्शन भी नहीं ले पा रही। इसीलिए अगली बैठक में स्थानीय निकायों को भी बुलाया जाएगा।
एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन के लिए फिर दी चेतावनी
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) अपने वादे के अनुरूप 23 अक्टूबर तक भी 16 नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन नहीं लगा सकी। अब उसने 30 अक्टूबर तक की मोहलत मांगी है। ईपीसीए और सीपीसीबी ने डीपीसीसी को चेतावनी दी है कि समयसीमा 30 अक्टूबर के आगे नहीं जानी चाहिए।