दिल्ली में राहुल गांधी बनाम केजरीवाल, बढ़ेगी सियासी हलचल
एमसीडी उपचुनाव में उम्दा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस के युवराज कहे जाने वाले राहुल गांधी ने अब केजरीवाल के खिलाफ कमान संभाल ली है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था वह अब फिर पूरी मजबूती से खड़ी होकर मुकाबले में आने को बेताब है। एमसीडी उपचुनाव में उम्दा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस के युवराज कहे जाने वाले राहुल गांधी ने कमान संभाल ली है।
ऐतिहासिक बहुमत के साथ सत्तासीन अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ अब कांग्रेस की इस जंग का नमूना 28 मई को दिल्ली के राजघाट में दिखेगा। बिजली और पानी संकट के मुद्दे पर दिल्ली सरकार की उदासीनता के खिलाफ राजघाट से निकलने वाले मशाल जुलूस का वह नेतृत्व करेंगे। इस दौरान वह केजरीवाल सरकार के साथ केंद्र पर पर हमला करेंगे।
इस बाबत राहुल गांधी के सिपहसालारों ने बाकायदा होमवर्क भी किया है। इतना ही नहीं, कांग्रेस की दिल्ली इकाई जिला स्तरीय बैठकें कर रही है। ये 24 मई से शुरू हो चुकी हैं जो 27 मई तक चलेंगी। ये इकाइयां बिजली एवं पानी संकट परिदृश्य पर ‘स्थिति कागजात’ तैयार करेंगी।
दिल्ली प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि राहुल गांधी के दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलने से कांग्रेस मुकाबले में आ सकती है। अंदरखाने कांग्रेस के बड़े नेता भी यह मान कर चल रहे हैं कि राहुल गांधी के केजरीवाल पर हमलों से मुख्य मुकाबले में कांग्रेस आ सकती है।
निगम उपचुनाव के बाद सक्रिय हुआ कांग्रेस
17 मई को नगर निगम की 13 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आते ही कांग्रेस में रुख में तब्दीली आ गई है। उपचुनाव में चार सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस पार्टी ने देर शाम ही केजरीवाल सराकर पर हमला बोल दिया था। कांग्रेस ने उसी दिन 21 आप विधायकों के संसदीय सचिव बनाने के मसले पर हमला बोला था। ठीक ऐसे ही भाजपा से पहली बिजली-पानी मुद्दे पर केजरीवाल के खिलाफ प्रदर्शन की बात कह दी थी।
एमसीडी उपचुनाव में वापसी से मिली कांग्रेस को संजीवनी
दिल्ली नगर निगम में 13 वार्डों के उपचुनाव में जहां आम आदमी पार्टी सभी पर जीत का दावा कर रही थी, वहीं कांग्रेस ने उम्मीद के विपरीत प्रदर्शन करते हुए पांच सीटें जीत लीं। अपना आधार तलाश रही कांग्रेस के मुकाबिक आप ने पांच तो निगम की सत्ता पर काबिज भाजपा को महज तीन वार्डों में ही जीत मिल सकी। हालांकि, कांग्रेस ने चार ही सीटें जीती थी, लेकिन जीत हासिल करने वाले निर्दलीय प्रत्याशी ने कुछ देर बाद ही कांग्रेस का दामन थाम लिया।
2015 विस में कांग्रेस का हुआ था सूपड़ा साफ
वर्ष 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। पार्टी के बड़े बड़े दिग्गजों की जमानत जब्त हो गई थी और पार्टी का स्कोर जीरो रहा था। चुनावी मैदान में उतरा कोई भी कांग्रेसी उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंदियों के सामने चुनौती पेश करने में नाकामयाब रहा था।
बड़े-बड़े दिग्गज कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत हुई थी
पिछले विधानसभा चुनाव में अजय माकन, हारून यूसुफ, महाबल मिश्रा, किरण वालिया, शर्मिष्ठा मुखर्जी जैसी दिग्गज कांग्रेस नेताओं की जमानत जब्त हो थी। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि जमानत तब जब्त होती है, जब उम्मीदवार को कुल वोट का दस प्रतिशत वोट भी नहीं मिलता। हालांकि दिलचस्प ये है कि कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के ये कुछ चंद नाम थे। पार्टी की ओर मैदान में उतारे गए उम्मीदवारों में कुल 61 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी।