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हादसों के बाद चली सुरक्षा की रेल

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली एक सप्ताह के अंदर दो बड़े रेल हादसों से यात्री जहां खुद को असुरि

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Aug 2017 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 25 Aug 2017 03:00 AM (IST)
हादसों के बाद चली सुरक्षा की रेल

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली

एक सप्ताह के अंदर दो बड़े रेल हादसों से यात्री जहां खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, वहीं रेलवे की छवि भी धूमिल हो रही है। भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाएं न हों इसके लिए रेलकर्मियों को संरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करने और कोई जोखिम नहीं लेने का निर्देश दिया गया है। उन्हें ट्रेनों की समयबद्धता के मुकाबले सुरक्षित रेल परिचालन पर ज्यादा ध्यान देने को कहा गया है। इसके साथ ही 90 दिनों का विशेष संरक्षा अभियान भी चलाया जा रहा है।

बरसात के बाद सर्दी के दिनों में भी दुर्घटनाओं का डर बना रहता है। इसे ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को नियमित रूप से, खासकर रात में पटरियों का निरीक्षण करने को कहा गया है। इसी तरह से दुर्घटना के लिहाज से संवेदनशील स्थानों की पहचान कर उनकी विशेष निगरानी की जाएगी। रेल कर्मियों को रेलवे टै्रक और रेलवे यार्ड की गहन जांच पड़ताल कर किसी तरह की खराबी को तत्काल दूर करना होगा। इसमें किसी तरह की कोताही बरतने पर सख्त कार्रवाई होगी। नदी के आसपास के क्षेत्र, पुल, घुमावदार ट्रैक व रेलवे क्रॉसिंग के पास निगरानी बढ़ा दी गई है, जिससे वहां पर किसी भी तरह की खामी को समय रहते ठीक किया जा सके। अक्सर रेलवे क्रॉसिंग के पास भी दुर्घटनाएं होती हैं। इन्हें रोकने के लिए पैदल यात्रियों व वाहन चालकों को जागरूक करने के साथ ही सभी रेलवे क्रॉसिंग के दोनों ओर स्पीड ब्रेकर बनाए जाएंगे। कई स्थानों पर वाहन चालक अवैध तरीके से पटरियों को पार करते हैं, इससे पटरियों को नुकसान पहुंचता है। ऐसे स्थानों की पहचान कर वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और वाहनों से ट्रैक को हुए नुकसान को ठीक करने में किसी तरह की हीलाहवाली नहीं बरती जाएगी। वहीं, यार्ड में कोच व वैगन के रखरखाव के तौर-तरीके में भी सुधार किया जाएगा। कई बार जल्दबाजी में कोच को बारीकी से जांच किए बगैर ट्रेन में जोड़ दिया जाता है। इस तरह की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं होगी। परिचालन से जुड़े कर्मचारियों की समस्या को भी गंभीरता से लेने का निर्देश दिया गया है। यह ख्याल रखा जाएगा कि रनिंग स्टाफ की ड्यूटी दस घंटे से ज्यादा नहीं हो। सुरक्षित रेल परिचालन के लिए संबंधित विभागों के बीच सामंजस्य जरूरी है, इसलिए इस अभियान में ट्रैफिक, इंजीनिय¨रग, मैकेनिकल, सिग्नल और संरक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी व निरीक्षक शामिल होंगे।


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