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पढ़िए- इस दशक का सबसे बड़ा सुसाइ़़ड केस, कायम है 11 लोगों की मौत का रहस्य !

उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में 30 जून और 1 जुलाई 2018 की रात को एक ही परिवार के 11 लोगों द्वारा आत्महत्या करने का मामले इस दशक का सबसे चौंकाने वाला हादसा है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 07:20 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 09:27 AM (IST)
पढ़िए- इस दशक का सबसे बड़ा सुसाइ़़ड केस, कायम है 11 लोगों की मौत का रहस्य !

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में 30 जून और 1 जुलाई 2018 की रात को एक ही परिवार के 11 लोगों द्वारा आत्महत्या करने का मामला इस दशक का सबसे चौंकाने वाला हादसा है। आत्महत्या का यह मामला इसलिए भी अनोखा है कि दिल्ली पुलिस द्वारा इसका पर्दाफाश करने के बाद भी परिजन इसे मानने के लिए तैयार नहीं हैं। हादसे के डेढ़ साल भी पुलिस इस मामले को क्लोज नहीं कर सकी है, क्योंकि इस हत्या कांड या सुसाइड केस का आरोपित ललित भी जान दे चुका है।

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घटनाक्रम के मुताबिक, 1 जुलाई, 2018 की सुबह उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके के संतनगर स्थित एक मकान में चुड़ावत परिवार के 11 सदस्य घर में मृत पाए गए थे। सूचना पर सुबह जब घर पर पुलिस पहुंचा तो खुले कमरे में परिवार के 10 सदस्य फंदे पर लटके पाए गए, वहीं अन्य कमरे में फर्श पर परिवार की मुखिया नारायण देवी (77) का शव पड़ा मिला था। आत्महत्या करने वालों में नारायणी देवी की बेटी प्रतिभा (57), उनके दो पुत्र भवनेश (50) और ललित चुड़ावत (45) के साथ ही दोनों की पत्नियां सविता (48) और टीना (42) और उनके बच्चे मीनू (23), निधि (25), ध्रुव (15) और शिवम (15) भी शामिल थे। जान देने वालों में प्रतिभा की बेटी प्रियंका (33) भी शामिल थी, जिसकी मई महीने ही सगाई हुई थी और दिसंबर 2018 में शादी होनी थी।

पुलिस का दावा, अंधविश्वास में गई 11 लोगों की जान, परिवार बोला-गलत

जैसे-जैसे दिल्ली पुलिस जांच आगे बढ़ी उसकी थ्योरी अंधविश्वास पर आकर टिक गई और आखिरकार पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि ललित के कहने पर सभी लोगों ने फांसी लगाई, जिसमें ललित खुद भी शामिल था। जांच के दौरान पूछताछ और घर पर मिले रजिस्टर के आधार पर पुलिस ने खुलासा किया था कि मोक्ष पाने के चक्कर में ललित ने सबको कहा कि फांसी लगा लें, कुछ नहीं होगा और ईश्वर आकर उन्हें बचा लेगा। ललित समेत 11 सदस्यों ने ऐसा ही किया और सभी ने अपनी जान गंवा दी।

वहीं, इस हादसे में जीवित बचे परिवार के सबसे बड़े बेटे दिनेश सिंह चूंड़ावत की मानें तो उनका परिवार किसी बहुत बड़ी साजिश का शिकार हुआ है। अंधविश्वास और तंत्र मंत्र की बातें झूठी हैं दिनेश का कहना है कि बेशक उनका परिवार धार्मिक था। हर सदस्य रोज हनुमान जी की पूजा करता था और सुंदरकांड का पाठ करता था।

तकरीबन एक साल बाद 11 लोगों की सामूहिक मौत कांड मामले में बिसरा रिपोर्ट आई, जिसमें शरीर में किसी तरह का कोई जहरीला नहीं होने की पुष्टि हुई थी। निष्कर्ष यह निकाल गया कि सामूहिक हत्याकांड दुर्घटनावश हुई थी। इसके पीछे ललित का अंधविश्वास था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने साइक्लोजिकल अटॉप्सी भी कराई थी, जिसमें यह साफ हुआ था कि इनका इरादा आत्महत्या करने का नहीं था, बल्कि परिवार के मुखिया ललित के कहने पर की जा रही क्रिया के दौरान दुर्घटनावश मौत हो गई।

बुराड़ी केस से 5 साल पहले राजस्थान में हुआ था सामूहिक सुसाइड केस

मार्च, 2013 में राजस्थान के गंगापुर सिटी में भी सामूहिक आत्महत्या करने का सनसनीखेज मामला सामने आया था। इस मामले में जयपुर से महज 160 किलोमीटर दूर सवाई माधोपुर के गंगापुर सिटी निवासी कंचन सिंह (45) और उनके परिवार ने एक अनुष्ठान के बाद जहर मिला लड्डू खा लिया था। इस बाबत एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें पता चला था कि ऐसा करने से भगवान शिव से मिलने में कामयाब होंगे। जैसे परिवार के मुखिया कंचन समेत 8 लोगों ने जहर मिला लड्डू खाया तो उनकी हालत बिगड़ने लगी और बाद में पांच लोगों की जान चली गई, जिसमें 3 किशोर भी थे। जांच के दौरान पुलिस को वीडियो मिला था, जिसे परिवार के सदस्य ये बात कर रहे थे कि अगर वे जिंदा रह गए तो भगवान शिव से मिलने से वंचित रह जाएंगे। वीडियो के मुताबिक, कंचन सिंह खुद को भगवान शिव का भक्त मानते थे. घटना में उनकी पत्नी, मां, बेटी, बेटा, छोटा भाई, भतीजा-भतीजी की मौत हो गई थी।

बुराड़ी आत्महत्या केस के एक महीने के भीतर ही झारखंड के शहर रांची में कांके थाना क्षेत्र के बोड़या में कोल्ड स्टोरेज में एक ही परिवार के सात लोगों के शव मिले थे। गोदरेज कंपनी में कार्यरत दीपक अपने परिवार के साथ कांके थाना क्षेत्र के बोडेया कोल्‍ड स्‍टोरेज के पास रहते थे। सुबह जब घर का काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला तो आस-पड़ोस के लोगों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब दरवाजा तोड़कर घर के अंदर प्रवेश किया तो कमरे में दीपक, उनकी पत्‍नी, दीपक के माता-पिता और बच्‍चे का शव पड़ा था। इससे पहले 14 जुलाई को हजारीबाग में भी एक ही परिवार के 6 सदस्यों की मौत हो गई थी। यह परिवार 70 वर्षीय महावीर महेश्वरी का था।

 

वहीं, दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में बुराड़ी कांड के ठीक एक साल बाद एक जुलाई, 2019 को एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई। यहां के एक घर के अंदर एक ही परिवार के चार सदस्य मृत पाए गए। दरअसल, यहां के सेक्टर-49 स्थित एक सोसायटी में डॉक्टर प्रकाश सिंह ने अपनी पत्नी, बेटे और बेटी की हत्या करके खुद भी आत्महत्या कर ली थी। इस मामले को खुलासा 6 महीने बाद भी नहीं हो गया है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। दरअसल, आरोपित श्रीप्रकाश सिंह के हाथ से लिखा हुआ सुसाइड नोट पुलिस ने जांच के दौरान बरामद किया था। इसमें उन्होंने परिवार को नहीं संभाल पाने की बात लिखी थी, लेकिन पुलिस पत्नी, बेटे और बेटी की हत्या के साथ श्रीप्रकाश के सुसाइड करने की वजह भी जानना चाहती है। बताया जा रहा है कि किसी बात से नाराज प्रकाश सिंह ने हथौड़ से पत्नी सोनू सिंह, बेटी अदिति और बेटी आदित्य को बेरहमी से हत्या कर दी।


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