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फिर खुली सुनंदा पुष्कर की मर्डर मिस्ट्री की फाइल, मुश्किल में थरूर !

चर्चित सुनंदा पुष्कर हत्याकांड की फाइल एक बार फिर खुल गई है। एक भाजपा नेता ने गृहमंत्री को पत्र लिखकर हत्याकांड की जांच फिर से कराने की मांग की थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 23 May 2016 12:02 PM (IST)
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नई दिल्ली (राकेश कुमार सिंह)। चर्चित सुनंदा पुष्कर हत्याकांड की फाइल एक बार फिर खुल गई है। फाइल खुलने का कारण लंबित पड़े हाईप्रोफाइल मामलों का त्वरित निपटारा करने के पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा द्वारा दिए गए आदेश और हाल ही में राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा पुलिस की जांच पर उठाए गए सवाल को माना जा रहा है। मौत पर कांग्रेस नेता व सुनंदा पुष्कर की खामोशी भी शुरू से कई सवाल खड़े कर रही है।

सुनंदा मामले की कोर्ट नियंत्रित एसआइटी जांच चाहते हैं स्वामी

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने गत दिनों केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर सुनंदा पुष्कर हत्याकांड मामले की जांच फिर से करवाने की मांग की थी।

सूत्रों की माने तो पुलिस आयुक्त के निर्देश पर मामले को लेकर दक्षिणी जिला के डीसीपी व केस की जांच से जुड़े अधिकारियों की पिछले तीन-चार दिनों से सरोजनी नगर थाने में लगातार बैठकें हो रही हैं। बैठक में केस के तथ्यों को फिर से देखा जा रहा है।

एम्स मेडिकल बोर्ड पहले ही बता चुका है प्राकृतिक नहीं थी सुनंदा की मौत

सूत्रों का कहना है कि बीते जनवरी में आई एफबीआइ (फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन, अमेरिका) की रिपोर्ट से भी सुनंदा की मौत का रहस्य नहीं सुलझने पर पुलिस ने मार्च में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर पोस्टमार्टम करने वाले फोरेंसिक विभाग के डॉक्टरों व अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों की कमेटी बनाने की मांग की थी।

सुनंदा मामले में शशि थरूर को करना पड़ सकता है 'सच का सामना'

पुलिस चाहती थी कि यह कमेटी एफबीआइ से आई रिपोर्ट व एम्स के फोरेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता के नेतृत्व में जिन डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम व विसरा के आधार पर तीन रिपोर्ट सौंपी थीं उन सबको मिलाकर एक अंतिम रिपोर्ट तैयार कर सके, लेकिन स्वास्थ्य सचिव ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।

लिहाजा ढाई साल बाद भी सुनंदा पुष्कर केस वहीं हैं जहां पहले दिन था। अब तक दिल्ली पुलिस यह पता नहीं कर पाई है कि सुनंदा की हत्या किस जहर से व कैसे की गई। जहर का पता लगाने के लिए विसरा को सवा साल बाद एफबीआइ की लैब में भेजा गया था, लेकिन वहां से आई रिपोर्ट में भी जहर की पुष्टि नहीं हो सकी।

पुलिस इस मामले में करीब पांच बार केस की तफ्तीश बंद कर फिर से शुरू कर चुकी है। सुनंदा की मौत के साल भर बाद पुलिस ने जब हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज किया था तब तत्कालीन पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने जांच के लिए एसआइटी का गठन किया था, लेकिन कुछ महीने बाद ही एसआइटी में शामिल चार अधिकारियों का तबादला कर दिया गया था।

एसीपी ऑपरेशन दक्षिण जिला राजेंद्र सिंह ही एकमात्र अधिकारी हैं जो शुरू से इस केस की जांच से जुड़े हैं। सूत्रों की मानें तो पुलिस अब इस मामले में तफ्तीश व विसरा की रिपोर्ट के आधार पर कोई अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचकर केस का निपटारा करना चाह रही है।

राजनाथ सिंह को लिखे पत्र में स्वामी ने मांग की थी कि वे सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच के लिए फिर से पुलिस की एसआइटी गठित करें, क्योंकि सुनंदा की मौत अप्राकृतिक तरीके से हुई है।

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