SC का नया फैसला, सरकारी विज्ञापनों में लग सकती है CM की तस्वीर
सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर के इस्तेमाल के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए नए फैसले में कहा कि अब राज्यों के मुख्यमंत्री की तस्वीर भी लगाई जा सकेगी। फैसले के मुताबिक, अब विज्ञापनों में केंद्रीय मंत्रियों
By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 18 Mar 2016 10:48 AM (IST)
नई दिल्ली। सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर के इस्तेमाल के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए नए फैसले में कहा कि अब राज्यों के मुख्यमंत्री की तस्वीर भी लगाई जा सकेगी। फैसले के मुताबिक, अब विज्ञापनों में केंद्रीय मंत्रियों के अलावा राज्यपाल की भी तस्वीर लगाने की अनुमति होगी।
सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल आदेश दिया था कि सरकारी विज्ञापनों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से अलावा किसी नेता की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं हो सकता। इसके खिलाफ कई राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की और कहा राज्यपाल, मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों की तस्वीर के इस्तेमाल की इजाजत होनी चाहिए। केंद्र ने भी राज्यों की इस मांग का समर्थऩ किया है। यहां पर याद दिला दें कि 5 राज्यों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई पूरी हो गई है।
पिछले साल दिए ऐतिहासिक फैसले में सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीरों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तस्वीर का इस्तेमाल हो सकता है। इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और असम की सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इन राज्यों का कहना था कि सरकारी विज्ञापनों में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के तस्वीरों के भी इस्तेमाल की इजाज़त होनी चाहिए।
आज केंद्र और तमिलनाडु सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि देश में तमाम लोग हैं जो सरकारी विज्ञापन में लिखी गई बात को या तो पढ़ नहीं सकते या उन पर ध्यान नहीं देते। केंद्र के मंत्रियों या राज्य के मुख्यमंत्री की तस्वीर लोगों का ध्यान विज्ञापन की तरफ खींचती है। साथ ही अपने विभाग में अच्छा काम कर रहे मंत्रियों या किसी कल्याणकारी योजना को चला रहे मुख्यमंत्री की तस्वीर का विज्ञापन में न होना लोकतंत्र के लिहाज़ से उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और मामले में याचिककर्ता रहे एनजीओ की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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