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डेंगू से कराह गई दिल्‍ली, 19 साल का रिकार्ड टूटा

डेंगू को लेकर राज्य सरकार भले ही स्थिति नियंत्रण में होने की बात कह रही है, लेकिन हालात दिनों-दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं। डेंगू के प्रकोप का असर सरकारी आकलन से कहीं ज्यादा है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Tue, 15 Sep 2015 09:54 PM (IST)
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नई दिल्ली [रणविजय सिंह] । डेंगू को लेकर राज्य सरकार भले ही स्थिति नियंत्रण में होने की बात कह रही है, लेकिन हालात दिनों-दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं। डेंगू के प्रकोप का असर सरकारी आकलन से कहीं ज्यादा है।

सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि वर्ष 1996 के बाद यानी 19 सालों में इस बार डेंगू की बीमारी सबसे बड़ी महामारी बनकर सामने आई है। यही वजह है कि 2006 और 2010 में महामारी के आए आंकड़े भी पीछे छूट गए हैं और डेंगू के डंक से राजधानी कराह रही है।

अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं। सभी मरीजों को अस्पतालों में दाखिला नहीं मिल पा रहा है। उन मरीजों की तड़प सचिवालय में भी सुनाई देने लगी है। यही वजह है कि सोमवार को सरकार पूरे दिन डेंगू को लेकर अधिकारियों व चिकित्सा अधीक्षकों के साथ मंथन में लगी रही।

लेकिन शुरुआती दौर में नगर निगमों और स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिखाई गई सुस्ती भारी पड़ती नजर आ रही है। डेंगू का वायरस दिल्ली को अपनी चपेट में ले चुका है। निगम की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष 12 सितंबर तक यहां डेंगू के 1,872 मामले सामने आए हैं।

निगम ने अपनी रिपोर्ट में अब तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि की है। हालांकि, मरने वालों की संख्या करीब 12 हो गई है। वर्ष 1996 में पहली बार दिल्ली में डेंगू हेमरैजिक (रक्तस्रावी) बुखार से महामारी आई थी। तब स्थिति ज्यादा भयावह थी।

उस वक्त 10,252 लोग डेंगू की चपेट में आए थे, जिसमें से 423 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद वर्ष 2003, 2006, 2010 व 2013 में महामारी आई पर 1996 के बाद सबसे अधिक डेंगू के मामले 2010 में 6,259 सामने आए थे। 12 सितंबर 2010 तक ही 1,716 मामलों की पुष्टि हुई थी और पांच लोगों की मौत हो गई थी।

डेंगू ने इस बार यह रिकार्ड तोड़ दिया और अब तक 1,872 लोगों को डेंगू होने की पुष्टि हो चुकी है। वर्ष 2006 में डेंगू के 3,366 मामले आए थे और उस साल सबसे अधिक 65 लोगों की मौत होने की पुष्टि हुई थी। 2003 में दिसंबर तक कुल 2,882 मामले सामने आए थे। हालांकि, इस साल के मुकाबले 12 सितंबर 2003 तक मरीजों के आंकड़े कम थे।

यह तमाम आंकड़े बताते हैं कि 1996 के बाद इस बार डेंगू अपने खतरनाक रूप में है। पिछले कुछ दिनों से डेंगू से मौत में भी इजाफा हो गया है। लेकिन आंकड़ों को कम करके दिखाया जा रहा है। नगर निगम ने सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में एम्स में डेंगू से हुई दो लोगों की मौत को शामिल नहीं किया है।

इसी तरह पूर्वी दिल्ली में डेंगू की वजह से तीन लोगों की मौत के मामले को भी रिपोर्ट से बाहर रखा गया है।
अक्टूबर में होता है सबसे अधिक प्रकोप विशेषज्ञ कहते हैं कि अक्टूबर में डेंगू का प्रकोप सबसे अधिक होता है और यदि ठंड जल्दी शुरू नहीं हुई तो नवंबर के अंत तक इसका प्रकोप बना रहेगा। मौजूदा समय में हर सप्ताह 500 से 600 मामले सामने आ रहे हैं।

अभी जो स्थिति है उससे मरीजों की तादाद और बढ़ेगी। ऐसे में इस साल निगम का रिपोर्ट कार्ड बिगड़ सकता है। केंद्र सरकार के मच्छर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के निदेशक डॉ. एसी धारीवाल ने कहा कि 1996 में मौते अधिक हुई थीं। ऐसी स्थिति इस बार नहीं है। लेकिन यह सही है कि मामले इस बार अधिक आ रहे हैं।

वर्ष कुल मामले मौत

2001 322 3

2002 45 2

2003 2882 35

2004 606 3

2005 1023 9

2006 3366 65

2007 548 1

2008 1312 2

2009 1153 3

2010 6259 8

2011 1131 8

2012 2093 4

2013 5574 7

2014 995 3

2015 1872 5 (12 सितंबर तक)

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महामारी के सालों में सितंबर तक के आंकड़े
वर्ष मामले मौत
2006 886 6
2010 1716 8
2013 466 7
2015 1872 5
नोट- 2006 का आंकड़ा, अक्टूबर के पहले सप्ताह तक का।

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