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दिल्ली में फेल हुआ ऑड-इवन योजना का दूसरा चरण: भाजपा

भाजपा ने दावा किया है कि दिल्ली में ऑड-इवन योजना का दूसरा चरण पूरी तरह से विफल साबित हुआ है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Mon, 25 Apr 2016 07:27 AM (IST)
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नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। भाजपा ने दावा किया है कि दिल्ली में ऑड-इवन योजना का दूसरा चरण पूरी तरह से विफल साबित हुआ है। सड़कों पर ट्रैफिक जाम की समस्या बनी हुई है। ऑटो व टैक्सी वाले लोगों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं साथ ही सीएनजी स्टीकर की कालाबाजारी भी हो रही है। बच्चो को स्कूल जाने में भी परेशानी हो रही है।

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भाजपा नेताओं का कहना है कि इस योजना से प्रदूषण का स्तर भी कम नहीं हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वकील ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) में बताया है कि प्रदूषण का स्तर कम करने में योजना का कोई फायदा नहीं हुआ है। इसी तरह से ऊर्जा एव अनुसंधान संस्थान (टेरी) ने भी कहा है कि पहाड़ों में बर्फ गिरने के कारण तेज हवा चलने से प्रदूषण स्तर मे उतार चढ़ाव हो रहा है इसमें ऑड इवन योजना की कोई भागीदारी नहीं है। इस पर मंथन करने के बजाय सरकार अपनी विफलता को छिपाने के लिए विपक्ष पर बेबुनियाद आरोप लगा रही है।

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भाजपा का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण का बड़ा कारण धूल-मिट्टी है। लेकिन सरकार ने आसान रास्ता चुनकर वाहनों के प्रदूषण पर सारा ठीकरा फोड़ दिया। सरकार ने ऑड-इवन योजना का दूसरा चरण शुरू किया लेकिन इससे प्रदूषण रोकने में अधिक सफलता नहीं मिल रही है। दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की सीमा के आसपास प्रदूषण कम हुआ है लेकिन नई दिल्ली, एम्स, कनॉट प्लेस, करोल बाग, सदर बाजार, लाजपत नगर, शाहदरा एव पश्चिमी दिल्ली मे प्रदूषण बढ़ा है।

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भाजपा का कहना है कि उसने प्रदूषण की समस्या को लेकर अपने सुझाव समय-समय पर रखे हैं पर सरकार ने उसे नजरअंदाज कर दिया। सरकार ने ऑड-इवन योजना पर कभी सर्वदलीय बैठक बुलाकर चर्चा भी नहीं की इस कारण आज दिल्ली वासी परेशान हैं। भाजपा ने मई के दूसरे पखवाड़े में यह योजना लागू करने की मांग की थी। क्योंकि उस समय स्कूल बंद रहते और बच्चों को परेशानी नहीं होती।

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दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि योजना के दौरान परिवहन विभाग 600 निजी बसों का संचालन करने का दावा किया है, लेकिन इसमें लोग नहीं बैठ रहे हैं जिससे सरकार को जबरदस्त घाटा हो रहा है। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे 250 से 300 बसे हर रोज खराब होकर बीच सड़क में खड़ी हो रही हैं।

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