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कहानी जीबी रोड की, सेक्स वर्करों की अंधेरी जिंदगी को रोशन करतीं सुरिन्दर

खाने की थाली में उबले मोटे चावल, सब्जी के नाम पर मसाला मिला पानी। तहखाने में सिमटी जिंदगी, सांस लेने के लिए संघर्ष। चेहरे पर खौफ और आंखों में डर समेत परिवार से मिलने की एक निराश उम्मीद।

By Amit MishraEdited By: Updated: Wed, 09 Mar 2016 10:24 AM (IST)
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नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र। खाने की थाली में उबले मोटे चावल, सब्जी के नाम पर मसाला मिला पानी। तहखाने में सिमटी जिंदगी, सांस लेने के लिए संघर्ष। चेहरे पर खौफ और आंखों में डर समेत परिवार से मिलने की एक निराश उम्मीद।

एसीपी सुरिन्दर जीत कौर जब गश्त करते हुए पहली बार जीबी रोड पहुंची तो वहां की हालत देख उल्टी करने लगीं। भेड़, बकरियों की तरह जिंदगी गुजारती सेक्स वर्करों से बात कर, उनकी व्यथा सुन सुरिन्दर जीत कौर इस कदर व्यथीत हुई कि इन्हें बेहतर जिंदगी देने का जो संकल्प लिया वह अब तक अनवरत जारी है।

120 से भी ज्यादा मासूमों को दी नई जिंदगी

120 से भी ज्यादा मासूमों को देह व्यापार के दलदल से निकाल चुकी हैं। प्रधानमंत्री आवास की सुरक्षा व्यवस्था की कठिन जिम्मेदारी संभालते हुए भी वह घरेलू हिंसा, यौन उत्पीडऩ, जीबी रोड पर मासूमों की भलाई के लिए लगातार सक्रिय हैं। राष्ट्रपति भी सुरिन्दर जीत कौर को सम्मानित कर चुके हैं।

सुरिन्दर जीत कौर ने बताया कि सन 1985 में उन्होंने बतौर सब इंस्पेक्टर दिल्ली पुलिस ज्वाइन किया था। सन 2009 में वो कमला मार्केट थाने में बतौर एसएचओ तैनात हुईं। यहां पहले ही दिन उन्हें अंदाजा हो गया कि जीबी रोड पर स्थितियां किस कदर विषम है। कई एनजीओ संचालक आए, उन्होंने कहा कि जीबी रोड पर पुलिस की मिलीभगत के चलते रेस्क्यू आपरेशन सफल नहीं हो पाता।

सुरिन्दर जीत कौर कहती है कि 29 जुलाई को पहली बार जीबी रोड भ्रमण करते हुए पहुंची। संकरी सीढिय़ां, चारों तरफ कूड़े के ढ़ेर, भनभनाती मक्खियों और इन सबके बीच तहखाना नुमा केबिन में जिंदगी गुजारने को बाध्य सेक्स वर्कर। इनकी हालत देख मुझे रोना आ गया। संकल्प लिया कि इन बच्चियों को नरक से बाहर जरूर निकालूंगी।

सेक्स वर्करों को डराया जाता था

कोठे पर सेक्स वर्करों को इतना डरा दिया गया था कि वो पुलिस के सामने मुंह तक नहीं खोलती थीं। मसलन, पुलिस मीडिया को चेहरा दिखा देगी, जिससे परिवार व समाज स्वीकार नहीं करेगा। शादी नहीं होगी। ये सब करने के बाद पुलिस आठ साल के लिए जेल में ठूंस देगी। पुलिस पर कोठा संचालकों से मिलीभगत के आरोप के चलते सुरिन्दर जीत कौर ने करीब एक साल तक यहां रेड डालने के लिए किसी भी थाने के कर्मचारी का सहयोग नहीं लिया। वो खुद एनजीओ संग जाती और बच्चियों को मुक्त कराती।

आज भी याद है वो पल

सुरिन्दर जीत कौर कहती है कि 120 सेक्स वर्कर में सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और नेपाल की थी। ये गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी। इन्हें राजा, राजू नाम के शख्स अच्छी नौकरी दिलाने, प्यार का झांसा देकर दिल्ली लाए थे। दुष्कर्म के बाद नाबालिगों को जीबी रोड पर बेच दिया गया था।

सेक्स वर्करों की दीदी से लेकर नानी तक

एक बार रेस्क्यू आपरेशन के बाद मुस्लिम बच्ची को जीबी रोड से मुक्त कराया। बच्ची तहखाने से बाहर आयी तो मुझे पकड़कर फूट-फूटकर रोने लगी। बच्ची ने अपने गले से ताबीज निकाली और सुरिन्दर जीत कौर को पहनाते हुए कहा कि मेरा अल्लाह आप हो। आप ने मुझे इस दलदल से बाहर निकाला है। इस दौरान रेस्क्यू आपरेशन टीम के लगभग सभी सदस्य भावुक हो गए।

सुरिन्दर कहती है कि रेस्क्यू सेक्स वर्करों का फालोअप वह खुद करती है। अभी भी कईयों का फोन आता है। कोई बहन मानता है तो कोई बड़ी दीदी। कहती है, कल नेपाल से फोन आया। रेस्क्यू कराई गई एक सेक्स वर्कर को बेटा हुआ था। उसने सुरिन्दर कौर को नानी कहकर संबोधित किया। कई सेक्स वर्कर तो मां कहकर संबोधित करती है।

ऑफिस, घर और रेस्ट रुम बना मंदिर

रेस्क्यू कराई गई सेक्स वर्कर अपने पूजनीय देवी देवताओं की पोस्टर, मूर्ति जरुर देता है। सुरिन्दर कहती हैं कि कुछ समय पहले उनका पीएस सिक्योरिटी में ट्रांसफर हुआ। पीएम के घर की सुरक्षा की देखभाल करते हुए वह आज भी घरेलू हिंसा, यौन उत्पीडऩ और जीबी रोड पर रेस्क्यू आपरेशन में शामिल होती हैं और इनके द्वारा दी गई मूर्तियों को संभाल कर रखती है। इनके कमरे में अल्लाह से लेकर बुद्ध, तिरूपति, शिव और विष्णु तक की मूर्तियां है। सेक्स वर्करों ने इन्हें मर्दानी, दबंग लेडी जैसे नाम भी दिए हैं।

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