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मल्लिका शेरावत का हरियाणा से बॉलीवुड का सफर

दिल्ली में पली बढ़ी कैसे भूल सकती हूं मैं वो दिल्ली की सर्दी और डी-पॉल्स में कोल्ड कॉफी पीना। जनपथ पर घूमते रहना, चाणक्यपुरी में फिल्में देखना और चांदनी चौक में परांठे खाना। अभी भी मेरी कई फ्रेंड्स दिल्ली में हैं, जिनसे मैं बात करती रहती हूं। बचपन मेरा हरियाणा में बीता, लेकिन सारी स्टडीज तो दिल्ली में ही हुई

By Edited By: Updated: Fri, 20 Dec 2013 10:37 AM (IST)
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दिल्ली में पली बढ़ी

कैसे भूल सकती हूं मैं वो दिल्ली की सर्दी और डी-पॉल्स में कोल्ड कॉफी पीना। जनपथ पर घूमते रहना, चाणक्यपुरी में फिल्में देखना और चांदनी चौक में परांठे खाना। अभी भी मेरी कई फ्रेंड्स दिल्ली में हैं, जिनसे मैं बात करती रहती हूं। बचपन मेरा हरियाणा में बीता, लेकिन सारी स्टडीज तो दिल्ली में ही हुई है। डीपीएस से ट्वेल्थ किया और मिरांडा हाउस से फिलोसॉफी में ग्रेजुएशन। दिल्ली में ही तो मैं पली बढ़ी हूं।

ब्रेकिंग न्यूज है पसंद

मैं किसी से नहीं डरती। डेयरिंग हूं। रूल्स के अगेंस्ट जाती हूं। ब्रेकिंग न्यूज पसंद करती हूं। लेकिन चाहती हूं कि बॉलीवुड से नेपोटिज्म खत्म हो। हीरो का बेटा हीरो और डायरेक्टर का बेटा ही डायरेक्टर न बने, बल्कि जो इंडस्ट्री से नहीं हैं उन नए और टैलेंटेड लोगों को भी चांस मिले।

जिंदगी खुली किताब

मेरे करियर में बहुत उतार-चढ़ाव आए। हरियाणा से आई थी, क्या चांस था मेरा। लेकिन बॉलीवुड और हॉलीवुड तक पंहुच गई। इंटरनेशनल फिल्म्स करने का मौका मिला। कान फिल्म फेस्टिवल जा चुकी हूं। बराक ओबामा से मिल चुकी हूं। सेल्फ मेड हूं मैं। ख़्ाुली किताब है मेरी लाइफ।

हरियाणा टु हॉलीवुड

हरियाणा से हॉलीवुड का सफर तय किया है मैंने। मेरा फोकस काम पर रहता है। डिसिप्लिंड हूं। बिंदास एटीट्यूड है। काम के प्रति मेरी ऑनेस्टी ही वेस्टर्न फिल्मकारों को अपील करती है। बॉलीवुड फैब्यूलस है। अब मैं टीवी पर हूं। बहुत फर्क है तीनों में।

रोमैंटिक फैंटसी है मेरी

जैसा हमसफर मुझे चाहिए वैसा ग्लैमर व‌र्ल्ड में तो मिलेगा नहीं। इसके लिए मुझे रीअल व‌र्ल्ड में जाना पड़ेगा। हर लड़की की जैसी रोमैंटिक फैंटसी होती है, वैसी मेरी भी है। मैं चाहती हूं मेरा हमसफर इंटेलिजेंट हो, हिप्पोक्रेट न हो। मेरे फिल्मी रोल्स से उसे दिक्कत न हो। मैं कुछ भी पहनूं उसे एतराज न हो।

नो ग्लैमरस इमेज

अब मुझे परफॉर्मेस वाले रोल चाहिए। अपनी ग्लैमरस इमेज से तंग आ गई हूं। पांच साल में एक ही टाइप के रोल, बस बहुत हुआ। दस साल हो गए अब और कितना ग्लैमर करूंगी। 'प्यार के साइड इफेक्ट्स' के बाद सिर्फ 'डर्टी पॉलिटिक्स' ही ऐसी फिल्म थी, जिसमें ऐक्टिंग ओरिएंटेड किरदार है, वरना 'वेलकम' जैसी मूवी के ऑफर्स आते हैं।

लव एट फ‌र्स्ट साइट ..

'लव एट फ‌र्स्ट साइट' प्रैक्टिकल नहीं है। 'लिव इन' में मैं जरा भी विश्वास नहीं करती। शायद इसीलिए ग्लैमर व‌र्ल्ड में मेरा किसी के साथ अट्रैक्शन नहीं हुआ। मैं शुरू से ही अफेयर वगैरह से दूर रही। बल्कि हीरो मुझसे डरते हैं, उन्हें लगता है कि जाने मैं कब क्या बोल दूं या कुछ कर दूंगी। दिल के मामले में मुझे अपने इंट्यूशंस पर पूरा विश्वास है।

डिसिप्लिन है जरूरी

वेजटेरियन हूं। ड्रिंक व स्मोकिंग की की आदत नहीं। टाइम पर सोती हूं। योग करती हूं। लाइफ में डिसिप्लिन से ही फिटनेस मेंटेन होती है। एक महीने के लिए डाइटिंग करो, फिर पहले जैसे हो जाओ। ऐसा नहीं चलता। अनुशासन जरूरी है।

(यशा माथुर)

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