स्वच्छ स्वस्थ भारत
कसर गंदगी फैलाना मानो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार हो। सरे राह चलते कहीं भी थूक देना, पान-खैनी और गुटखे की पीक उगल देना, खाली हुए पैकेट-प्लास्टिक थैली- बोतल या कैन को बिना झिझक यूं ही हवा में उछाल देना जैसे हमारी शान का प्रतीक हो। ऐसा करना हम सबको बहुत सुकून देता है। ऐसा करते हुए हम यह किंचित मात्र नहीं सोचते कि इसका दुष्प्रभ
कसर
गंदगी फैलाना मानो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार हो। सरे राह चलते कहीं भी थूक देना, पान-खैनी और गुटखे की पीक उगल देना, खाली हुए पैकेट-प्लास्टिक थैली- बोतल या कैन को बिना झिझक यूं ही हवा में उछाल देना जैसे हमारी शान का प्रतीक हो। ऐसा करना हम सबको बहुत सुकून देता है। ऐसा करते हुए हम यह किंचित मात्र नहीं सोचते कि इसका दुष्प्रभाव क्या है।
असर
बचपन में साफ-सफाई को लेकर हम सबको नसीहतें मिली होंगी कि कुत्ता भी जहां बैठता है, वहां पूंछ से साफ कर लेता है। हम ऐसी तमाम नसीहतों को भुला बैठे हैं। शायद इसके पीछे हमारी यह मानसिकता काम करती है कि इस जगह से हमारा क्या लेना देना। गंदी हो मेरी बला से। हमारा घर-ऑफिस तो साफ ही रहता है। नहीं.. इसी मानसिकता को तो बदलने की जरूरत है। जिस स्थान को आप गंदा करते हैं वहां कोई और उठता-बैठता है। हर साल हम आप अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा बीमारियों पर खर्च कर देते हैं। ऐसे में अगर अपने आसपास को हम साफ सुथरा रखेंगे तो एक तो नकद बचत स्पष्ट दिखेगी। हमारे परिजन स्वस्थ रहेंगे। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग वास करेगा और अच्छे विचार, संस्कार पुष्पित पल्लवित होंगे। इसी क्रम में पूरा देश आगे बढ़ सकता है।
सफर
साफ-सफाई को सबसे बड़ा काम बताने वाले महात्मा गांधी की जयंती से सरकार स्वच्छ इंडिया अभियान की शुरुआत करने जा रही है। अक्टूबर, 2019 तक के पांच वर्ष के अंतराल में समूचे देश को स्वच्छ करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दो लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके तहत पूरे देश में साफ-सफाई को बढ़ावा देने वाले संसाधनों का निर्माण कराया जाएगा और एक संस्कृति विकसित करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। सरकार की नियति साफ है और मंशा एकदम स्पष्ट। जरूरत है लोगों के खुलेमन से इस अभियान से जुड़ने की। कब तक साफ-सफाई का जिम्मा सरकार पर छोड़ते रहेंगे। कब तक संसाधनों का रोना रोते रहेंगे। मसला बाहरी के साथ-साथ आंतरिक सफाई का भी है। ऐसे में अपनी गंदगी को लेकर दुनिया में जगहंसाई का पात्र बनने वाले भारत को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए अपनी सोच और संस्कृति में बदलाव लाना आज हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा है।
जनमत
क्या सिर्फ सरकारी संसाधनों के बूते स्वच्छ भारत की परिकल्पना संभव है?
हां 19 फीसद
नहीं 81 फीसद
क्या कूड़े को कहीं भी फेंकने से पहले आप विचार करते हैं?
हां 87 फीसद
नहीं 15 फीसद
आपकी आवाज
प्रधानमंत्री ने स्वच्छता अभियान चलाकर एक उदाहरण पेश किया है। जिसे पूरा करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है। -चंदन सिंह
जब कूड़ा फेंकते हुए हर नागरिक को देश का ख्याल आएगा, तब वह कचरा कूड़ेदान में डालेगा। तभी भारत में बदलाव आएगा। -मधुराज कुमार
अपने घर को साफ रखने के साथ घर के बाहर भी सफाई किए जाने पर ध्यान देना होगा। -अश्विनी सिंह
बहुत से लोग लापरवाही के चलते कूड़े को सड़कों पर डाल देते हैं, जो हमारे लिए ही नुकसानदायक होता है। -इरा श्रीवास्तव
सरकारी संसाधन सिर्फ सुविधाएं मुहैया करा सकते हैं परंतु स्वच्छ भारत की संकल्पना सभी भारतीयों की जागरुकता व भागीदारी के बिना साकार रूप नहीं लेगी। देश को साफ-सुथरा रखना हम सबका फर्ज है। -सचिनकुमार7337@जीमेल.कॉम
हमें कहीं भी कूड़ा डालने से पहले यह सोचना चाहिए कि हम कूड़ा कहां फेक रहे हैं। इस पर सबसे पहले मच्छर आएंगे और फिर वायु प्रदूषण फैलेगा। -सिंघलप्राची1997@जीमेल.कॉम
खरी खरी
हर आदमी को खुद का सफाईकर्मी होना चाहिए।
* * *
किसी परिवार के सदस्य खुद के घर को तो साफ रखते हैं लेकिन पड़ोसी के घर के बारे में उनकी कोई रुचि नहीं होती।
* * *
स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण है स्वच्छता
पढ़े: नया दौर: दोस्ती की दरकार