..गंगा का पानी रहे अमृत
समस्या कुदरत ने मानवता को अपनी अनुपम भेंट के रूप में मां गंगा प्रदान की। सदियों से पावन सलिला न केवल हमारी संस्कृति और सभ्यता की संवाहक रहीं बल्कि इनके ही अमृत रूपी जल से हमारा तन-मन-धन और धान्य सिंचित होते रहे। इन्सानी इच्छाएं बढ़ती गई। साल दर साल हम अपनी विलासितापूर्ण जीवनशैली को बेरोकटोक जीने के लिए गंगा को एक बड़ा स्रोत
समस्या
कुदरत ने मानवता को अपनी अनुपम भेंट के रूप में मां गंगा प्रदान की। सदियों से पावन सलिला न केवल हमारी संस्कृति और सभ्यता की संवाहक रहीं बल्कि इनके ही अमृत रूपी जल से हमारा तन-मन-धन और धान्य सिंचित होते रहे। इन्सानी इच्छाएं बढ़ती गई। साल दर साल हम अपनी विलासितापूर्ण जीवनशैली को बेरोकटोक जीने के लिए गंगा को एक बड़ा स्रोत समझने लगे। हम अपनी सामुदायिक जल प्रबंधन की संस्कृति को बिसारते चले गए। लिहाजा तमाम जीवनदायिनी नदियों समेत गंगा के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो गया। प्रकृति का एक बड़ा ही सीधा सिद्धांत है। जो उसे उपभोग करे, वही उसे बचाए। पूर्व में गंगा को बचाने के लिए कई स्तरों पर प्रयास हुए लेकिन जन जुड़ाव के अभाव में सब अधोगति को प्राप्त हुए। समाचार-विचार की दुनिया में दैनिक जागरण पत्र समूह का महत्वपूर्ण स्थान होने के कारण गंगा को लेकर उसे अपने कर्तव्य का भान है। लिहाजा गंगा की निर्मलता, अविरलता को सुनिश्चित करने और मां के गौरव की पुनस्र्थापना के लिए 'गंगा जागरण अभियान' इस समूह का महज एक कदम है। हर स्तर पर शासन प्रशासन को जनता से जोड़ने और सभी पक्षों के बीच सीधा सार्थक संवाद करने की मंशा के साथ गत माह 27 तारीख को देवप्रयाग से गंगा जागरण यात्रा का शुभारंभ हुआ।
संकल्प
यात्रा के अंतिम पड़ाव गंगा सागर तक पहुंचने के पहले यह यात्रा हरिद्वार, बिजनौर, कन्नौज, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, पटना और फरक्का जैसे 24 शहरों से 3000 किमी की दूरी तय करते हुए करोड़ों लोगों को जाग्रत कर रही है। गंगा जागरण रथ पर देवप्रयाग से लिया गया पवित्र एवं शुद्ध गंगाजल से भरा कलश स्थापित किया गया है। हरिद्वार में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरूद्धार मंत्री उमा भारती ने इस गंगा जागरण रथ को हरी झंडी दिखाकर गंगा के प्रति सरकार की नीति और नीयत स्पष्ट की। यात्रा की शुरुआत के साथ ही दैनिक जागरण गंगा आरती, संगोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार, सम्मेलन नुक्कड़ नाटकों सहित फेसबुक, ट्विटर जैसे आधुनिक ऑनलाइन माध्यमों के साथ गंगा के प्रति लोगों को जागरूक करता रहा। मुद्दा भी इसी संकल्प का एक हिस्सा रहा। पहले मुद्दा में हमने राज-काज और समाज स्तर पर गंगा को होने वाली दिक्कतें सामने रखी। दूसरे अंक में गंगा नदी की दशा सुधारने के लिए तीनों ही स्तरों पर उठाए गए विफल कदमों की पड़ताल की। अब यह पड़ताल करना बड़ा मुद्दा है कि गंगा की निर्मलता और अविरलता लौटाने के लिए आखिर वास्तविक और व्यावहारिक समाधान क्या हैं?
जनमत
क्या गंगा को बचाने के लिए लोगों को जल संस्कृति और सामुदायिक जल प्रबंधन के प्रति जागरूक करना होगा?
हां 94 फीसद
नहीं 6 फीसद
क्या शोधित सीवरेज का सिंचाई में इस्तेमाल गंगा को निर्मल रखने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है?
हां 92 फीसद
नहीं 8 फीसद
आपकी आवाज
यदि सीवेज का जल शुद्ध करके सिंचाई व अन्य कार्य हेतु प्रयोग किया जा सके तो निश्चित रूप से प्रतिदिन करोड़ों लीटर सीवेज की गंदगी को गंगा को दूषित करने से रोका जा सकता है। यह कार्य गंगा जल को स्वच्छ और निर्मल कराने की प्रक्रिया को आसान करेगा। -अनिकेश कुमार श्रीवास्तव
गंगा के लिए कई बार अभियान तो जोर-शोर से चलाए गए हैं पर सार्थक सिद्ध नहीं हुए हैं क्योंकि इस योजना की ओर जनता अभी तक जागरूक नहीं है। घाटों पर गंदगी इसका उदाहरण है। इसके अलावा शहरों का लाखों लीटर गंदा पानी जाकर मिलता है। गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए सबको जागरूक होना आवश्यक है। -मनीषा श्रीवास्तव
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