शराब के मुद्दे पर मध्य प्रदेश में गरमा रही है सियासत, राज्य में विपक्ष कर सकता है आंदोलन
मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है। शराब पर बनाई गई सरकार की इस नीति ने विपक्ष को एक मुद्दा भी दे दिया है।
आशीष व्यास। शराब अब मध्य प्रदेश में राजनीतिक टकराव का नया कारण बन गई है। करीब पांच वर्ष बाद प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या बढ़ाई जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस तर्क के साथ सरकार के फैसले का विरोध शुरू कर दिया है कि- ‘शराब की अतिरिक्त दुकानें खोलने का यह फैसला प्रदेश को तबाह और बर्बाद करने वाला है। यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो हम आंदोलन करेंगे।’ दरअसल राज्य सरकार ने अब शराब ठेकेदारों को शहरी क्षेत्र में पांच और ग्रामीण इलाके में 10 किमी के दायरे में उप-दुकान खोलने की सशुल्क अनुमति देने का प्रावधान कर दिया है। दूसरी शराब दुकान न होने पर ही अनुमति मिलेगी।
इसी के साथ अब अहाता भी अनिवार्य रूप से खोलना होगा। सरकार की इस नीति को लेकर माना जा रहा है कि काफी प्रयासों के बावजूद शराब की अवैध बिक्री बड़े पैमाने पर जारी है। नए और पुराने शराब ठेकेदारों के आपसी विवाद से भी अवैध बिक्री लगातार बढ़ रही है। सबसे ज्यादा विवाद की स्थिति पड़ोसी राज्यों के नजदीकी जिलों में देखी जाती रही है। विशेष रूप से शराबबंदी वाले गुजरात से लगती सीमा पर इस कारण आए दिन विवाद की स्थिति बनती है। यह कदम शराब की अवैध बिक्री पर रोक लगाने और राजस्व नुकसान कम करने के लिए भी है।
शासन-प्रशासन अपने निर्णय को सही ठहराने के लिए जो भी तर्क दे, लेकिन इससे विपक्ष फिर से हमलावर रुख में नजर आने लगा है। शराब को लेकर ट्विटर-वार जैसे ही शुरू हुआ, भाजपा के कई नेता शिवराज सिंह चौहान से सुर मिलाते नजर आए। जैसे- ‘कांग्रेस सरकार की सौगात, बड़ी दुकान, छोटी दुकान इसके नीचे उप-दुकान, बताओ अब कुल कितनी दुकान।’ या फिर, मालवा की कहावत है- ‘पग-पग रोटी, डग-डग नीर’ के स्थान पर अब ‘पग-पग दारू, हर पल दारू?’ ट्विटर पर छाए इन नए मुहावरों को साझा करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा- ‘मुङो लगता है थोड़े दिनों में कमलनाथ जी एक और सरकारी फरमान जारी कर मध्य प्रदेश का नाम बदलकर ‘मदिरा-प्रदेश’ कर देंगे!’
सरकारी निर्णय के बचाव में कूदे कमलनाथ सरकार के मंत्री पीसी शर्मा के इस दावे ने सभी को चौंका दिया कि राज्य सरकार शराब के अवैध व्यापार को खत्म करने की कोशिश में जुटी है। अपनी धारणा को तथ्यों से साबित करते हुए मंत्रीजी ने यह भी बताया कि 31 दिसंबर 2019 तक 672 प्रकरणों में 94 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। प्रदेश में आठ करोड़ 85 लाख रुपये से ज्यादा की अवैध शराब जब्त भी की गई है। पूर्ववर्ती शिवराज सरकार पर पलटवार कर हुए उन्होंने सरकार की तरफ से सफाई भी दी कि भाजपा सरकार में 400 नई दुकानें खोली गई थीं, जबकि राज्य सरकार का प्रयास है कि इन दुकानों के जरिये प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाई जाए।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि शराब के जरिये शुरू हुई इस राजनीतिक जंग का परिणाम कुछ भी नहीं निकलेगा, क्योंकि दोनों ही दलों की सरकारों ने अपने-अपने निर्णय को सही ठहराते हुए शराब के कारोबार को राजस्व प्राप्ति का सबसे बड़ा जरिया माना है। दोनों ही पार्टियों के दौर में शराब कारोबारियों के राजनीतिक रसूख भी सामने आते रहे हैं। राजनीतिक तालमेल भी इस तरह का है कि जैसे ही शराब कारोबार से जुड़ा कोई निर्णय सामने आता है, कुछ दिन तक आरोप-प्रत्यारोप सामने आते हैं और इसके बाद सारे नेता नए मुद्दों की तलाश में जुट जाते हैं। भाजपा ने फिर से आंदोलन के जरिये लड़ाई का ऐलान किया है! अब देखना केवल यह है कि पार्टी जमीनी लड़ाई के अपने दावे को कैसे व्यावहारिक रूप में सामने लाती है?
फिर लगा काला टीका : दुष्कर्म के मामलों को लेकर मध्य प्रदेश के माथे पर लगा काला टीका और गहरा हो गया है। नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में देश भर में दर्ज दुष्कर्म के कुल 33,356 मामलों में से अकेले मध्य प्रदेश में 5,433 मामले हैं। चिंता यह भी है कि इनमें से 54 मामलों में पीड़िता छह वर्ष से कम उम्र की थी। उल्लेखनीय यह भी है कि वर्ष 2016 और 2017 में भी मध्य प्रदेश में दुष्कर्म के सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए थे। प्रदेश की छवि लगातार खराब कर रहे महिला उत्पीड़न के मामले अब सार्वजनिक और सामूहिक रूप से आत्म विश्लेषण का गंभीर मुद्दा बनते जा रहे हैं। ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि कागजों में लगातार बढ़ते और दर्ज होते अपराध को लेकर पुलिस गंभीर नहीं है।
मध्य प्रदेश पुलिस ने एक नई पहल पर काम शुरू किया है। अलग-अलग 21 तकनीक का इस्तेमाल कर अब एक ऑटोमैटिक इनवेस्टिगेशन सपोर्ट सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इसमें प्रदेश के लगभग हर नागरिक को जोड़ा जाएगा। फायदा यह होगा कि एक हेल्पलाइन के जरिये उसे मदद मिल सकेगी। पुलिस का सूचना तंत्र भी मजबूत होगा। इस तकनीक को नेशनल पुलिस मिशन के रूप में भी स्वीकार कर लिया गया है। मध्य प्रदेश के सेवानिवृत्त डीजीपी एसके त्रिपाठी भी इस बात से सहमत हैं कि अपराध को दो तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। पहला, छोटी घटना यानी छेड़छाड़ आदि में ही इतनी कठोर कार्रवाई हो जाए कि बड़ी घटनाएं न हो पाएं। दूसरा, जो घट गई हैं, उनमें त्वरित कार्रवाई हो।
फिल्म ने बढ़ाई सियासी गर्मी : शीतलहर से परेशान समूचे मध्य प्रदेश में इन दिनों एक अलग तरह की राजनीतिक गर्मी दिखाई दे रही है। कारण है फिल्म- छपाक। फिल्म को कांग्रेस सरकार द्वारा टैक्स फ्री किए जाने के बाद से भाजपा हमलावर है। उधर, कांग्रेस प्रदेश सरकार के निर्णय को साहसिक बता रही है। कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआइ के कार्यकर्ता भोपाल में पहले शो के टिकट लेकर पहुंचे और दर्शकों को निशुल्क बांटे। जवाब में भाजपा ने लोगों से फिल्म ‘तानाजी’ देखने की अपील कर दी। भाजपा ने इस फिल्म को भी टैक्स-फ्री करने की मांग की। फिल्मों के जरिये शुरू हुआ यह विवाद सोशल मीडिया पर दीपिका पादुकोण की आलोचना-समर्थन से भी जुड़ गया।
(लेखक नई दुनिया, मध्य प्रदेश के संपादक हैं )
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