विधान

आरक्षण। लंबे समय तक जाति आधारित भेदभाव के चलते समाज में पिछड़ों के सशक्तीकरण का एक संवैधानिक हथियार। समाज के कमजोर और सबल तबकों के बीच की खाई को पाटने का मकसद। एक निश्चित समयावधि के लिए की गई इस व्यवस्था को राजनीतिक और सामाजिक कारणों से बार बार बढ़ाना और विस्तार देना पड़ा। बावजूद इसके इस खास तबके के सामाजिक स्तर में बहुत आमूलचूल बदलाव संभव नहीं हो सका। कारण आरक्षण देने के तरीके को मानते हुए अन्य विकल्पों पर विचार किए जाने की बहस बार बार छिड़ती रही।

बहस

हाल ही में कांग्र्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने जाति आधारित आरक्षण की जगह आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की बहस छेड़ी। राजनीतिक कारणों से भले ही इस मांग के खिलाफ खुद उनकी ही पार्टी के आलाकमान सहित तमाम राजनीतिक दलों ने इसे गैरजरूरी बताया हो लेकिन इस पर बहस को सिरे से नकारा नहीं जा सकता है। आखिर क्या कारण है कि आरक्षण के बाद भी जरूरतमंदों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। जरूर इसके लागू करने में कहीं न कहीं खामियां हैं। जो कुछ सुधार दिखता है वह लक्षित वर्ग में ही ताकतवर लोगों के रूप में है। कोई संदेह नहीं कि पिछड़ों के आरक्षण और कल्याण योजनाओं का बड़ा हिस्सा पिछड़ों में अगड़ा समूह मार ले जा रहा है।

समाधान

आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने का सवाल न तो जातीय है और न ही क्षेत्रीय। इसका सीधा संबंध भारत के नागरिक से है। बेशक आर्थिक न्याय सामाजिक न्याय का विकल्प नहीं हो सकता लेकिन सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक न्याय के संवैधानिक संकल्प को पूरा करना भी रज्च्य का ही क‌र्त्तव्य है। ऐसे में आरक्षण को लेकर इसके दिए जाने के तरीके और प्रावधान की पड़ताल करना आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

जनमत

क्या आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया जाना चाहिए?

हां86त्‍‌न

नहीं14त्‍‌न

क्या जाति आधारित आरक्षण को ईमानदारी से लागू किया गया है?

हां 22त्‍‌न

नहीं 78त्‍‌न

आपकी आवाज

जब आर्थिक आधार पर आरक्षण का मुद्दा ही वोट बैंक की राजनीति के लिए उठाया गया है। तब इस बात की क्या गारंटी कि यह भी आरक्षण पर हुई राजनीति से बचा रहेगा।

-शुभम गुप्ता

जात - पात की नफरत लोगों की सोच से रुकेगी न कि आरक्षण से। आज तो सामान्य जाति के कई लोग ऐसे भी हैं जो निम्न जाति का जाली सार्टिफिकेट भी बनवा लेते हैं।

- राजेश चौहान

आरक्षण जाति के आधार पर न होकर आर्थिक आधार पर होना चाहिए, इससे समाज में जातीय नफरत कम होगी। -प्रशांत निराद

आर्थिक रूप से विपन्न लोग समाज में अपना अस्तित्व बनाने में अक्षम होते हैं, इसलिए उन्हें भी सहारा मिलना चाहिए।

- मनीषा श्रीवास्तव

निश्चित रूप से अब वह समय आ गया है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया जाना चाहिए क्योंकि बहुत सारी जातियों में वो लोग आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं जो आर्थिक रूप से संपन्न है-अजय.मनकामनेश्वर@जीमेल.कॉम

आर्थिक आधार पर आरक्षण देना जातिगत आधार पर आरक्षण देने से कहीं बेहतर है। क्योंकि आरक्षण की परिभाषा वर्तमान समय में बदल रही है। - विशालमिश्रा208@जीमेल.कॉम

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