कसौटी बड़ी
यह विडंबना ही है कि ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त अभियान) में अभी तक प्रदेश के किसी भी जिले की हाजिरी नहीं है।
फ्लैश---यह विडंबना ही है कि ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त अभियान) में अभी तक प्रदेश के किसी भी जिले की हाजिरी नहीं है।---संख्या में संतुलित नजर आने वाले मंत्रिमंडल के साथ योगी सरकार ने अपने कदम आगे बढ़ाए हैं लेकिन, उसे लोगों की अपार अपेक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरने के लिए कई क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर काम करना होगा। निश्चित तौर पर सरकार की पहली कसौटी कानून व्यवस्था होगी और मुख्यमंत्री ने शपथ लेने से पहले ही इस बाबत निर्देश देकर अपनी गंभीरता के संकेत भी दिए हैं। यूपी से 'अपराध प्रदेश' का ठप्पा हटाने के लिए कई ऐसे कड़े कदम उठाने होंगे, जिनसे अपराधियों में तो भय व्याप्त हो ही, अधिकारियों को भी इस बात का अहसास हो कि सार्थक परिणाम न देने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई तय है। इसके साथ ही यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में नकल पर अंकुश की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। प्रदेश में नकल माफिया की जड़ें काफी मजबूत हैं और पिछली बसपा-सपा सरकारें इन्हें काबू करने में फेल रही थीं लेकिन, कल्याण सिंह के भाजपा शासनकाल की एक बड़ी उपलब्धि बोर्ड परीक्षाओं में नकल रोकना भी मानी जाती है। जाहिर है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहेगी। बिजली का क्षेत्र भी तमाम चुनौतियों से भरा है। गर्मी के मौसम की वजह से मांग बढ़ेगी और उत्पादन से संतुलन बनाना आसान न होगा। शहरों के साथ ही गांव-गिरांव में बिजली पहुंचाने से सरकार का कामकाजी चेहरा निखरेगा। प्रदेश के लिए अच्छी बात यह है कि अब केंद्रीय योजनाओं के लिए विपक्ष की सरकार का रोड़ा हट गया है। इससे योगी सरकार पर इन योजनाओं में अच्छे परिणाम देने की जिम्मेदारी भी बढ़ी है। विशेष तौर पर नदियों की सफाई और नमामि गंगे जैसी योजनाओं को समय तय करके आगे बढ़ाना होगा। बड़ी ही नहीं छोटी नदियों की सफाई न होने की वजह से ही प्रदेश के कई जिले बाढ़ का सामना करते हैं और केंद्र सरकार इसके लिए अपनी गंभीरता पहले ही जता चुकी है। प्रदेश सरकार को अब समन्वय और सामंजस्य की दिशा में आगे बढ़ना होगा और इसकी जिम्मेदारी भी लेनी होगी। शहरों में बन रहे अधिकांश सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अभी तक चालू नहीं किए जा सके हैं, जो अब नई सरकार की जिम्मेदारी होगी। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की अलख को भी आगे बढ़ाना होगा। यह विडंबना ही है कि ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त अभियान) में अभी तक प्रदेश के किसी भी जिले की हाजिरी नहीं है।
[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]