मध्यवर्गीय आम आदमी के लिए सालभर कड़ी मेहनत और दफ्तरों की भागदौड़ भरी जिंदगी में खुशी के दो-चार ही मौके आते हैं, जब वह अपने परिवार के साथ मिल-बैठकर खुशियां मना सके। दीपावली का त्योहार भी आम आदमी के लिए खुशी का एक ऐसा ही मौका है। लेकिन आज के उपभोक्तावादी युग में जब सब कुछ पैसे से ही तौला जाता हो तो ऐसे समय में हमारे तीज-त्योहार भी कैसे इस नई उभरती संस्कृति के प्रभाव से बच सकते हैं। दीपावली पर भी इसका असर साफ दिखाई पड़ता है। घर में नवान्न आने और सुख-समृद्धि की कामना का यह पर्व धीरे-धीरे दिखावे का पर्व हो गया। महंगी साज-सज्जा, आतिशबाजी, ताजे व सूखे फल, मिष्ठान आदि से आगे बढ़कर दिखावे के लिए महंगे उपहार का आदान-प्रदान इसका हिस्सा बनते चले गए। अब ऐसे में अगर आपकी जेब में पैसा है तो आपकी दीवाली अच्छी है और अगर नहीं तो फिर आप उदासी में दूसरों की दीवाली को देखकर ही खुश हो लीजिए। कर्मचारियों की इसी भावना को समझते हुए पंजाब सरकार द्वारा ऐन दीपावली के मौके पर उन्हें महंगाई भत्तो की बकाया किश्त देने का विचार सराहनीय प्रतीत होता है। हालांकि इसकी प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी, लेकिन अफसरशाही की प्रक्रिया में यह फाइल उलझी रही। अब चूंकि फाइल मुख्यमंत्री के कार्यालय में पहुंच चुकी है, लिहाजा उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही इस पर दस्तखत हो जाएंगे और कर्मचारियों की दीपावली खुशियों भरी हो सकेगी। हालांकि कर्मचारियों के हाथ में पूरी रकम नगद नहीं आने जा रही है। पिछले महीनों की रुकी रकम जीपीएफ खाते में जाएगी। नगद भुगतान सिर्फ अक्टूबर माह की किश्त का किया जाएगा। फिर भी कर्मचारी वर्ग यह मानकर संतोष कर सकता है कि बढ़ती महंगाई के अनुपात में उस पर लगातार बढ़ रहा खर्चो का बोझ कुछ कम होगा। सरकार को चाहिए कि अब इतना लंबा इंतजार कराने के बाद इस मामले में हीला हवाली न करे और तुरंत इस पर फैसला कर कर्मचारियों को इसका भुगतान किया जाए ताकि उनके चेहरों पर पर्व की खुशियां आ सकें व दिलों में उमंगों के दीये जगमगा सकें।

[स्थानीय संपादकीय: पंजाब]

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