टॉपर्स पर निगाह
सूबे में नकल माफिया किस कदर दबदबा बनाए हुए हैं यह हर कोई जानता है। निजाम बदलने के बाद भी इनके हौसले बुलंद हैं।
-----सूबे में नकल माफिया किस कदर दबदबा बनाए हुए हैं यह हर कोई जानता है। निजाम बदलने के बाद भी इनके हौसले बुलंद हैं।-----यूपी बोर्ड की वर्ष 2015 की हाईस्कूल परीक्षा में बस्ती जिले की जीएसएएस एकेडमी का छात्र टॉपर रहा है तो 2016 में रायबरेली जिले की विबग्योर पब्लिक इंटर कॉलेज की सौम्या पटेल ने परचम लहराया था। इसी तरह से पिछले वर्षो में इंटरमीडिएट में लखनऊ पब्लिक स्कूल, महारानी लक्ष्मीबाई मेमोरियल इंटर कॉलेज बाराबंकी के छात्र अव्वल रहे। ऐसे सभी कॅालेज जहां से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में टॉपर निकले हैं उन पर इस बार यूपी बोर्ड खासा गंभीर है। इन कॉलेजों की गुपचुप कड़ी निगरानी की जा रही है कि कहीं टॉपर बनाने के लिए यहां शार्टकट रास्ता तो नहीं अपनाया जा रहा। यूपी बोर्ड इस बार उन उत्तरपुस्तिकाओं का परीक्षण भी करा रहा है जिन्हें अधिक अंक यानी नब्बे प्रतिशत से ज्यादा अंक मिले हों। इसमें मूल्यांकन केंद्र के उप प्रभारी उस कॉपी को देखेंगे और नए सिरे से अंक को जोड़ेंगे, ताकि किसी खामी की गुंजाइश न रह जाए। वैसे तो बोर्ड कई वर्षो से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की अधिकृत प्रदेश स्तरीय टॉपर सूची जारी नहीं करता है लेकिन, मीडिया की सहूलियत के लिए दोनों परीक्षा के टॉपरों के नाम, अनुक्रमांक, प्राप्तांक और संबंधित कॉलेज बता दिए जाते हैं। पिछले साल बिहार में हाईस्कूल व इंटर के टॉपर छात्र-छात्राओं का कथित ज्ञान सामने आने के बाद से यूपी बोर्ड चौकन्ना हो गया है। सतर्कता बरतने की जरूरत भी है। सूबे में नकल माफिया किस कदर दबदबा बनाए हुए हैं, यह बात हर कोई जानता है। निजाम बदलने के बाद भी इनके हौसले बुलंद हैं। सोमवार को परीक्षा केंद्रों पर सख्ती बरतने से नाराज नकल माफिया ने बहराइच में डीआइओएस कार्यालय पहुंचकर जमकर उत्पात किया। डीआइओएस के नाम की पट्टिका तोड़ दी। कर्मियों को भी सत्ता के रसूख का हवाला दिया। इसके बाद डीआइओएस को मोबाइल फोन पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। इन परिस्थितियों में बोर्ड अधिकारियों के समक्ष ढेर सारी चुनौतियां हैं। तीन सालों में सूबे के जिन कॉलेजों के बच्चों ने परीक्षा में टॉप किया, उनकी गुपचुप निगरानी जरूरी है, नहीं तो यहां भी बिहार की तरह ही फर्जी टॉपर सामने आ सकते हैं। इससे बोर्ड की व्यवस्था पर सवाल तो उठेंगे ही, देश-दुनिया में सूबे की छवि भी खराब होगी। अगर इन कॉलेजों में सबकुछ ठीक मिला तो उनकी परीक्षा प्रणाली को मॉडल करार दिया जाएगा। प्रदेश के अन्य कॉलेजों को भी इनसे सीखने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]