नए प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों के शपथग्रहण समारोह के माध्यम से देश-दुनिया ने भारतीय लोकतंत्र की महिमा तो देखी ही, नरेंद्र मोदी के रूप में एक ऐसे नेता के उत्कर्ष को भी देखा जिसने एक तरह से अपने बल पर अकल्पनीय राजनीतिक सफलता अर्जित की। शपथग्रहण समारोह संपन्न होने के साथ ही न केवल मोदी सरकार साकार हुई, बल्कि भारत की जनता की अभिलाषा भी पूरी हुई।

नरेंद्र मोदी अपने 45 साथियों के साथ शासन संचालन का मोर्चा एक ऐसे समय संभालने जा रहे हैं जब देश एक ओर जहां तमाम समस्याओं से घिरा है वहीं दूसरी ओर उसे नई सरकार से तमाम उम्मीदें भी हैं। मोदी ने जिस तरह अपेक्षाकृत छोटे और युवा मंत्रिमंडल को प्राथमिकता प्रदान की उसे एक सही शुरुआत के रूप देखा जाना चाहिए। इस मंत्रिमंडल में कोई भी सदस्य 75 वर्ष से ऊपर का नहीं है और दो-तीन सदस्य ही ऐसे हैं जो 70 वर्ष से अधिक के हैं। इसका एक विशेष संदेश है और शायद वह यही है कि ज्यादा आयु वाले नेताओं को शासन संचालन की जिम्मेदारी उठाने के बजाय अन्य दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए।

इसके पहले शायद ही कभी कोई प्रधानमंत्री ऐसा संदेश देने में सफल रहा हो। पिछले कुछ समय में तो ऐसी स्थिति बनी कि गठबंधन राजनीति की मजबूरियों के चलते प्रधानमंत्री के मंत्रियों के चयन के विशेषाधिकार में भी कटौती हुई। इतना ही नहीं कई बार प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों की मनमानी के समक्ष असहाय भी दिखे। इससे बेहतर और कुछ नहीं कि मोदी सरकार में इसके लिए कहीं कोई गुंजाइश नहीं।

किसी भी शासक की सफलता का पहला आधार यही है कि उसके मंत्री एक टीम के रूप में काम करें। देश जैसी समस्या से दो चार है उन्हें देखते हुए यह आवश्यक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य है कि प्रधानमंत्री की तरह उनके सभी सहयोगी भी हर तरह की चुनौती का मुकाबला करने के लिए कमर कसते हुए दिखें। यह इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि देश ही नहीं, दुनिया ने भी मोदी सरकार से बहुत अधिक उम्मीदें लगा रखी हैं। मोदी जिस तरह से काम करने के लिए जाने जाते हैं उससे इसके प्रति सुनिश्चित हुआ जा सकता है कि वह अपने मंत्रिमंडल को समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर और सक्षम समूह में परिवर्तित करने में समर्थ होंगे।

इस भरोसे की पुष्टि बतौर प्रधानमंत्री उनके पहले संदेश से भी होती है, जो प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट के जरिये सामने आया। इस संदेश में उन्होंने न केवल यह उम्मीद जताई कि हम सब मिलकर भारत के शानदार भविष्य की रूपरेखा लिखें, बल्कि आम जनता से यह अपील भी की कि आइए मिलकर मजबूत-विकसित और समावेशी भारत का सपना देखें। इस सपने को केवल देखना ही नहीं, बल्कि पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास भी करने होंगे। इसमें संदेह नहीं कि जब मोदी सरकार ऐसे प्रयास करती हुई दिखेगी तो जनता भी न केवल उनके साथ होगी, बल्कि अच्छे दिनों के आने की उम्मीद भी बनाए रखेगी। मोदी ने शपथग्रहण के साथ ही एक नई और सकारात्मक शुरुआत कर दी है।

उन्होंने अपने शपथग्रहण में पड़ोसी देशों के शासनाध्यक्षों को निमंत्रित कर न केवल अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया, बल्कि इन देशों समेत सारी दुनिया में एक नए और बदलते भारत की छाप भी छोड़ी। पड़ोसी देशों के प्रति मैत्री भाव से भरी उनकी पहल भारत के बड़प्पन का परिचायक तो है ही, वह देश-विदेश में उम्मीदों का संचार करने वाली भी है।

(मुख्य संपादकीय)