उमस भरी गर्मी के बीच बिजली की अघोषित कटौती से बिफरे लोगों द्वारा जम्मू कीजानीपुर सब डिवीजन में तोड़फोड़ की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। लोग असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कार्यालय में घुस गए और साथ लगते कमरे में कंप्यूटरों को तोड़ दिया। हैरानी की बात यह है कि इस तोड़फोड़ में महिलाएं भी शामिल थीं। बिजली की अघोषित कटौती से आजिज आए लोग अब सड़कों पर उतरने लगे हैं। बिजली कार्यालयों में तोड़फोड़ किए जाने की घटना लोगों के आक्रोश को दर्शाती है। ऐसी घटनाएं समाज के लिए ठीक नहीं हैं क्योंकि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और उनके कार्य में बाधा डालना अपराध की श्रेणी में आता है। सभ्य समाज में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बहुत से तरीके हैं। यदि बातचीत से किसी समस्या का समाधान हो जाए तो इसमें सभी की भलाई है। जिन क्षेत्रों में पिछले एक सप्ताह से बिजली की आपूर्ति ट्रांसफार्मर जल जाने के कारण ठप पड़ी हुई है, उसे बहाल करने के लिए विभाग को भी अतिरिक्त प्रयास करे। ट्रांसफार्मर को बदल दिया था, लेकिन उसके बदले जो ट्रांसफार्मर लगाया गया वह अत्याधिक लोड न सहने के कारण दोबारा जल गया। ट्रांसफार्मरों के जल जाने का एक बड़ा कारण घरों में चल रहे एयर कंडीशनर, कूलर आदि हैं और लोगों ने भी कम लोड दिखाकर यह सुविधाएं ली हुई हैं। विभाग को चाहिए कि ट्रांसफार्मरों को बचाने के लिए घरों के लोड की समीक्षा करें और उसी क्षमता का ट्रांसफार्मर लगाएं। होता यह है कि लोड अधिक होने से कम क्षमता वाला ट्रांसफार्मर जल जाता है। राज्य में बिजली का बुनियादी ढांचा चरमरा गया है। वितरण के दौरान ही 40 फीसद बिजली की क्षति हो रही है। इसमें बिजली चोरी से नुकसान भी शामिल है। इसमें कोई दो राय नहीं कि केंद्र प्रायोजित एक्सेलरेटेड पावर डेवलपमेंट एंड रिफार्मस प्रोग्राम के तहत राज्य में अब तक निर्धारित ग्यारह सौ करोड़ रुपये में से सात सौ करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इतने रुपये फूंकने के बाद भी बिजली के बुनियादी ढांचे का सुधर न पाना विभाग में फैले भ्रष्टाचार को दर्शाता है। सरकार को चाहिए कि बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए कोई ठोस योजना तैयार करे ताकि जम्मू संभाग के अधिकतर क्षेत्रों में लोगों को निर्बाध बिजली मिल सके।

[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]