सीमापार से मादक पदार्थो की तस्करी का प्रयास इस दृष्टि से चिंताजनक है कि पाकिस्तान नशे की इस खेप को यहां भेजकर युवाओं को नशे के गर्त में धकेलने की कोशिश कर रहा है। विगत दिवस जम्मू के अखनूर सेक्टर के परगवाल इलाके में सीमा पार से तस्करों द्वारा यहां लाई गई हेरोइन का एक पैकेट बरामद हुआ। ऐसा माना जा रहा है कि यह पैकेट सीमा पार से यहां फेंका गया ताकि भारतीय क्षेत्र में सक्रिय तस्कर इस खेप को देश के अन्य राज्यों में पहुंचा सकें। इससे एक बात स्पष्ट हो गई है कि सीमापार और यहां के तस्करों का एक अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ है। इस गठजोड़ के माध्यम से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ का यह प्रयास है कि नशे की इस खेप से उगाही गई राशि का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किया जाए। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि राज्य में आतंकवाद दम तोड़ रहा है। जम्मू-कश्मीर में विदेशी सहित पांच सौ के करीब आतंकवादी अभी भी सक्रिय हैं, जिन्हें पाकिस्तान आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहता है। सीमा पर तारबंदी होने के कारण घुसपैठ में काफी हद तक कमी आई है, जिससे यहां सक्रिय आतंकवादियों को अपना नेटवर्क बढ़ाने में आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है। नतीजतन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी की कोशिश होती है कि यहां के तस्करों के माध्यम से युवाओं को नशे का आदी बनाया जाए और बाद में इन युवाओं का कोरियर के तौर पर इस्तेमाल किया जाए। यह सर्वविदित है कि अंतरराष्ट्रीय तस्करों का जाल समूचे देश में फैला हुआ है। अभी तक जो युवा पकड़े गए हैं वे नशीले पदार्थो को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने का काम करते हैं। लेकिन उन्हें उनके आकाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। पिछले साल बिजनौर के नजीबाबाद में एक कश्मीरी युवक को चरस बेचते पुलिस ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। इतना ही नहीं पटियाला में दस किलो चरस के साथ दो कश्मीरी युवक भी पकड़े गए थे। यह चिंताजनक तथ्य है कि मादक पदार्थो की तस्करी का कार्य जम्मू-कश्मीर के रास्ते से हो रहा है और तस्करों के तार आतंकवादी संगठनों से जुड़े हुए हैं। यह हैरानी की बात है कि आतंकवाद से ग्रस्त जम्मू-कश्मीर राज्य से तस्करी का कार्य बड़े आराम से चल रहा है। ऐसे में सरकार और पुलिस प्रशासन इसके खिलाफ एक व्यापक योजना बनाकर तस्करी से निपटने के लिए पूरी तरह गंभीर होना पड़ेगा।

[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]