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..तो राहुल को भारी पड़ सकती है चीन की तुलना

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में एक रैली के दौरान कहा कि एक सेल्फी लेने पर चीन के एक युवा को नौकरी मिलती है।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Mon, 06 Nov 2017 08:55 PM (IST)
..तो राहुल को भारी पड़ सकती है चीन की तुलना
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी माहौल में रोजगार को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बार बार चीन का हवाला दे रहे हैं। भाजपा और सरकार ने इसका जवाब देने की तैयारी कर ली है। संभव है कि अब हर मोर्चे पर राहुल को इसकी याद दिलाई जाएगी कि कांग्रेस के कार्यकाल में देश में मोबाइल व उससे जुड़े उत्पाद बनाने वाली इकाइयों की संख्या सिर्फ दो थी। बीते तीन साल में यह संख्या 104 पर पहुंच चुकी हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई इकाइयां चीन की कंपनियों की भी हैं जिन्होंने भारत में आकर अपने संयंत्र लगाए हैं और भारतीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा रही हैं।

पिछले महीने ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में एक रैली के दौरान कहा कि एक सेल्फी लेने पर चीन के एक युवा को नौकरी मिलती है। इसके अतिरिक्त पार्टी की तरफ से लगातार जीएसटी के चलते देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त होने के आरोप लगाये जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस उपाध्यक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि उनकी अपनी सरकार ने कुछ नहीं किया। उस वक्त तो स्थिति यह थी कि भारतीय कंपनियां चीन में जाकर संयंत्र लगा रही थीं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश में ऐसा माहौल तैयार किया है कि न केवल घरेलू मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां प्लांट लगा रही हैं बल्कि चीन की कंपनियां और चीन में प्लांट लगाने वाली भारतीय कंपनियां भी यहां मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां स्थापित कर रही हैं।

इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2014 में सिर्फ दो इकाइयां भारत में मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग करती थीं। ऐसी इकाइयों की संख्या 2017 में 104 पर पहुंच गई है। इनमें 52 मोबाइल हैंडसेट निर्माता हैं, 22 एडैप्टर व चार्जर बनाने वाली यूनिट हैं और 16 इकाइयां मोबाइल बैटरी बनाती हैं। इसके अतिरिक्त हेडसेट, यूएसबी केबल और अन्य मैकेनिकल पार्ट बनाने वाली करीब 14 कंपनियों ने भी बीते तीन साल में भारत में इकाइयां लगायी हैं।

प्रसाद ने कहा- राहुल जी अपनी सरकार की नाकामियों के आंकड़े से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2014 तक इस क्षेत्र में केवल 11198 करोड़ रुपये का ही निवेश हुआ था। जबकि बीते तीन साल में मोदी सरकार के कार्यकाल में निवेश का 1.45 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि अब स्थिति यह है कि 2017 में भारत में 15 करोड़ मोबाइल हैंडसेट का निर्माण हो रहा है, जो 2014 में केवल छह करोड़ था। इसे सरकार 2020 तक 50 करोड़ करना चाहती है और मैन्यूफैक्चरिंग इकाई लगाने की इजाजत देने के मामले में सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही फैसले ले रही है। ऐसे में अब मोबाइल फोन के इस्तेमाल से चीन के नहीं भारत में रहने वाले युवाओं को नौकरियां मिल रही हैं।

सिर्फ मोबाइल हैंडसेट ही नहीं सरकार का डिजिटल इंडिया अभियान पूरे सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नौकरियों के अवसर पैदा कर रहा है। 2.70 लाख कॉमन सर्विस सेंटर दस लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।

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