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यूपी विधानसभा चुनाव 2017: छठे चरण में 20 फीसद दागी उम्मीदवार

इनमें से 17 फीसद पर हत्या, हत्या के प्रयास व महिला उत्पीड़न के गंभीर मामले दर्ज हैं, जबकि 25 फीसद उम्मीदवार करोड़पति हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Updated: Sat, 04 Mar 2017 07:45 AM (IST)
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यूपी विधानसभा चुनाव 2017: छठे चरण में 20 फीसद दागी उम्मीदवार

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने की चाहत में राजनीतिक दल 'दागियों' को गले लगाने में एक दूसरे को पीछे छोड़ते नजर आ रहे हैं। छठे चरण की 49 सीटों के लिए शनिवार चार मार्च को मतदान हो रहा है। यहां के उम्मीदवारों में से 20 फीसद दागी हैं। इनमें से 17 फीसद पर हत्या, हत्या के प्रयास व महिला उत्पीड़न के गंभीर मामले दर्ज हैं, जबकि 25 फीसद उम्मीदवार करोड़पति हैं।

पहले चरण में जहां 20 फीसद प्रत्याशियों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे, दूसरे व तीसरे चरण में यह औसत 14 फीसद था। चौथे चरण में 17, पांचवें चरण में 19 और छठे चरण में दागी प्रत्याशियों की संख्या 20 फीसद है।बुधवार को जारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफा‌र्म्स (एडीआर) व उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच के प्रवक्ता प्रो. अजय प्रकाश व अनिल शर्मा ने छठे चरण में भाग्य आजमा रहे 635 के शपथपत्र की विश्लेषण रिपोर्ट जारी है, जिसके मुताबिक कुल 126 उम्मीदवारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं।

भारतीय जनता पार्टी के 45 प्रत्याशियों में से 18 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, इनका औसत 40 फीसद है। भाजपा के 20 प्रत्याशी ऐसे हैं जिन पर दर्ज अपराध में पांच साल या उससे ऊपर सजा हो सकती है। सपा के 40 प्रत्याशियों में से 15 के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, इनके दागी प्रत्याशियों का औसत 38 फीसद के करीब है। बहुजन समाज पार्टी के 49 में 24 प्रत्याशियों के खिलाफ मुकदमे हैं।

बसपा के दागी प्रत्याशियों का औसत 36 के करीब है। राष्ट्रीय लोकदल के 36 में से पांच प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। छठे चरण में 24 विधानसभा क्षेत्रों (49 फीसद) को अति संवेदनशील क्षेत्र माना गया है। इनमें पांच विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां के छह-छह प्रत्याशी दागी हैं, जबकि 17 क्षेत्र ऐसे हैं जहां पांच से तीन-तीन आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रत्याशी हैं। इन्हें 'दागी' बहुल क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया है। एडीआर के प्रवक्ता ने बताया कि छठे चरण में 27 फीसद करोड़पति मैदान में हैं। वह कहते हैं कि राजनीतिक दल अपराधियों से दूरी का चाहे जितने दावे करते हों मगर शपथ पत्रों के विश्लेषण से साफ है कि अपराधियों से किसी भी दल ने दूरी नहीं बनाई है।