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यूपी चुनावः केशव प्रसाद मौर्य बोले, 11 मार्च को सपा-बसपा का बज जाएगा 12

छोटी नींद के बाद थोड़े फ्रेश दिख रहे मौर्य छूटते ही कहते हैं- 'हम तीन सौ सीटें जीतेंगे। इस भरोसे का आधार हैैं प्रधानमंत्री मोदी और उनकी गरीबोन्मुखी नीतियां।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Wed, 08 Mar 2017 09:29 AM (IST)
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यूपी चुनावः केशव प्रसाद मौर्य बोले, 11 मार्च को सपा-बसपा का बज जाएगा 12

लखनऊ (जेएनएऩ)। उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को अहसास है कि लंबे चुनाव प्रचार की थकान तो शायद तभी मिटेगी जब जीत का औपचारिक ऐलान हो जाए। बहरहाल, छोटी नींद के बाद थोड़े फ्रेश दिख रहे मौर्य छूटते ही कहते हैं- 'हम तीन सौ सीटें जीतेंगे। इस भरोसे का आधार हैैं प्रधानमंत्री मोदी और उनकी गरीबोन्मुखी नीतियां। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से हुई बातचीत के अंशः
- आखिरी चरण का मतदान  है। आप जीत को लेकर कितना आश्वस्त हैैं?
दो सौ प्रतिशत आश्वस्त हूं। कांग्रेस का तो कोई वजूद नहीं है लेकिन कह सकता हूं कि मतगणना के दिन सुबह 11 बजे सपा और बसपा के 12 बजे जाएंगे। देखिए, भाजपा तो पहले दिन से ही 265 का लक्ष्य लेकर चल रही थी लेकिन चुनाव में जिस तरह लहर दिखी है उसके बाद मैैं कह सकता हूं कि हम 300 से कम पर नहीं रुकेंगे।

 -जिस तरह का दावा आप कर रहे हैैं, वैसा ही दावा हर दल की ओर से हो रहा है। आपके विश्वास का आधार क्या है?

हमारे दावे को आप इतिहास की कसौटी पर भी परख कर देख लीजिए। सपा और बसपा तो 2014 में भी साठ सीटों की दावा कर रही थी। वे कहां जाकर रुके। सपा केवल परिवार को जिता पाई और बसपा का तो पत्ता ही साफ हो गया। जनता का समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए था। वही स्थिति आज भी है और 2019 में भी आप यही देखेंगे। आप खुद जाकर देख लीजिए.. आप पाएंगे कि मतदाताओं ने ही आगे बढ़कर भाजपा को हाथों हाथ उठाया है। मैैं कह सकता हूं कि भाजपा और उसके उम्मीदवारों ने आधा ही चुनाव लड़ा, बाकी का आधा तो प्रदेश के गरीब, पिछड़ों, दबे कुचलों ने आगे बढ़कर लड़ा है।

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-अमित शाह ने चुनाव को नोटबंदी पर जनमत संग्रह बनाने की चुनौती दी थी। क्या नोटबंदी चुनाव में मुद्दा थी?
कांग्रेस, सपा और बसपा ने इसे मुद्दा बनाया था। प्रधानमंत्री ने शुरूआत में ही कहा था कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा। और जिस किसी ने खाया है, उससे निकाल लूंगा। देश की जनता नोटबंदी को उसी रूप में देखती है। उत्तर प्रदेश में तो आपको असर दिखेगा लेकिन इससे पहले ही दूसरे राज्यों में दिख ही चुका है कि किस तरह लोगों ने फैसले से सहमति जताई है। उज्ज्वला, गरीब गरीब एक समान, हिंदू हो या मुसलमान। चाहे किसी जाति धर्म का हो उसे मुफ्त गैस कनेक्शन मिला। हमारे विरोधी भी मानते हैैं कि मोदी के रहते हुए गरीबों को उनका हक मिलेगा। उप्र0 में अगर केंद्र के अनुकूल सरकार होती तो स्थिति कुछ और होती। मैैं स्वयं सांसद हूं और अपने संसदीय क्षेत्र के लिए कई प्रस्ताव दिए लेकिन वह काम नहीं हुआ।

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-भाजपा के पास नेताओं की फौज है जबकि दूसरे दलों में एक ही चेहरा रहा। आपको लगता है कि लड़ाई में संतुलन नहीं था और आपको इसका लाभ मिला?
सपा बसपा के पास नेताओं की श्रंखला नहीं है तो इसलिए क्योंकि वह एक व्यक्ति, एक परिवार की पार्टी है। हम लोकतांत्रिक पार्टी हैैं और स्वाभाविक रूप से इसका लाभ मिला।

-अगर ऐसा है तो क्या कारण है कि पहले दो चरणों में भाजपा सुस्त दिखी?
यह भ्रम है कि हम सुस्त थे। आपको आखिरी चरण में जरूर हमारी सक्रियता इसलिए अधिक दिखी होगी क्योंकि आखिर में नेताओं की फौज इकट्ठी दिखी।

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-मैैं यह जानना चाहता हूं कि तीसरे चरण के बाद यह खबर तेज उठी कि भाजपा सरकार बना रही है। आप क्या कहेंगे?
यह भी भ्रम है। हम तो पहले चरण से ही सबसे आगे खड़े हैैं और हर चरण के साथ हमारी स्थिति और मजबूत हो गई। भाजपा 300 के भी ऊपर जा सकती हैै। यह एक चरण का नतीजा तो नहीं हो सकता है।

-चुनाव से पहले भाजपा ने कहा था कि लड़ाई सपा से है, दो चरणों के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि लड़ाई बसपा के साथ हुई। आखिरकार आपकी पूरी लड़ाई किसके साथ थी?
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जो कहा वह सही है। लड़ाई बदलती रही है लेकिन यह तथ्य है कि हर जगह भाजपा मौजूद थी। हर दल को भाजपा के साथ ही लडऩा पड़ा है।

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-अगर भाजपा के पक्ष में लहर है तो फिर वोटिंग में वह उत्साह क्यों नहीं दिखा। प्रधानमंत्री को श्मशान और कब्रिस्तान जैसे मुद्दे उठाने पड़े?
जिस दिन उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनी थी उसी दिन से तुष्टीकरण की नीतियां परवान चढऩे लगी थीं। मुस्लिम के घर बेटी पैदा हुई तो उसके लिए सरकार से मदद पर अगर हिंदू के घर हुई तो सरकार चुप। सपा सरकार के काल में तो ऐसी घटनाएं भरी पड़ी हैैं जिसमें धर्म के आधार पर भेदभाव हुआ है। दंगे तक मे भेदभाव हुआ है। अखिलेश लाख सफाई दें लेकिन उत्तर प्रदेश के लोगों को पता है कि रमजान में बिजली नहीं कटेगी जबकि नवरात्र में बिजली की कोई गारंटी नहीं है। प्रधानमंत्री ने तो श्मशान के लिए भी व्यवस्था करने की बात कही थी। क्या यह सच नहीं है कि बजट में केवल कब्रिस्तान के लिए प्रावधान है। रही बात वोटिंग पर्सेंटेज की तो जो भी वोट पड़ा है उसमें अधिकतर भाजपा के लिए है। सपा और बसपा के लोगों ने भी उनका साथ छोड़ दिया। लोग देख रहे हैैं कि किस तरह बलात्कार के आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति को सरकार बचा रही है। मैैं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि डायल 100 भी समाजवादी पार्टी के गुंडों की मदद के लिए लाया गया है।

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-लेकिन गायत्री प्रजापति को बचाने का आरोप आप किस आधार पर लगा रहे हैैं?
क्या यह झूठ है कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और इसके बावजूद प्रजापति फंदे से बाहर सुरक्षित घूमते रहे। सच यह है कि मुख्यमंत्री आवास को ऐसे लोगों को बचाने का अड्डा बनाया गया।

-सपा की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि बसपा नेता मायावती हाथ में राखी लेकर घूम रही हैैं?
बहन मायावती का उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ बचा ही नहीं है। अखिलेश यादव अपना वोट बचाने के लिए इस तरह का भ्रम फैला रहे हैैं। उन्हें तो यह बताना चाहिए कि दुधारू गायों को क्यों काटा जा रहा है।

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-वाराणसी और लखनऊ दो ऐसे संसदीय क्षेत्र हैैं जहां से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री चुनकर आते हैैं। वहां कितनी सीटें जीतेंगे?
इन दो नेताओं को आप एक सीट से जोड़कर नहीं देखिए। पर हां, दोनों क्षेत्रों की सभी सीटें भाजपा के खाते में होंगी। 

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