यूपी चुनावः बागी बिगाड़ेंगे दलों का खेल, कई समीकरण होंगे फेल
टिकटों का बंटवारा सभी राजनीतिक दलों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इस कारण सभी दलों में असंतोष की आग सुलग रही है।
कोई समर्पण का ईनाम न मिलने से असंतुष्ट है तो कोई सेवा का फल न मिलने से नाराज। टिकट की आस में न जाने क्या-क्या किया, लेकिन जब लिस्ट में नाम न दिखा तो असहज होना स्वाभाविक है। समर्थक मायूस हैं तो क्षेत्र के लोग सवाल कर रहे हैं। ऐसे हालात में कई जगह इन असंतुष्टों ने बगावत का झंडा भी थाम लिया है। जाहिर सी बात है यह नेता पहले तो उस पार्टी का नुकसान करेंगे, जिनसे इन्हें टिकट नहीं मिला है। पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ ताल ठोंक कर कई क्षेत्रों में नेताओं ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। सूबे में विधानसभा चुनाव का महासमर छिड़ चुका है। सभी दलों में टिकट वितरण भी लगभग पूरा हो चुका है। टिकटों का बंटवारा सभी राजनीतिक दलों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। गोरखपुर-बस्ती मंडल में कमोवेश सभी दलों में असंतोष की आग सुलग रही है। यह असंतोष कहीं बगावत बन चुकी है तो कहीं भितरघात का रूप धरने की तैयारी में है। सात जनपदों की 41 विधानसभा सीटों में दो दर्जन से ज्यादा क्षेत्रों में बागियों के स्वर तेज हो गए हैं। बगावत की आवाज से गूंज रहे ऐसे ही क्षेत्रों पर क्षितिज पांडेय की जनपदवार एक रिपोर्ट।
यह भी पढ़ेंः यूपी विधानसभा चुनावः मतदान नहीं किया तो बिगड़ेगी एसीआरसंतकबीर नगर: कबीर की निर्वाणस्थली संतकबीर नगर में जनपद मुख्यालय की सीट पर बागी दलों का खेल बिगाड़ने के लिए तैयार हैं। खलीलाबाद से गंगा सिंह सैंथवार को जब भाजपा ने नहीं अपनाया तो बगावत का झंडा लेकर वह अब रालोद के हैंडपंप से विकास का पानी निकालने का वादा कर रहे हैं। इसी तरह महीनों से अपना दल (सोनेलाल) की पहचान लेकर चुनावी तैयारी में जुटे प्रदीप गुप्ता टिकट न मिलने के बाद भाजपा -अपना दल (सोनेलाल) गठबंधन का खेल बिगाड़ने को निर्दल ही मैदान में उतर रहे हैं। मेंहदावल सीट से सपा प्रत्याशी लक्ष्मीकांत निषाद के सामने पार्टी के बागी जयराम पांडेय निर्दल ताल ठोंक रहे हैं। सभी दलों में है नाराजगी
महराजगंज : ससुर की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सुमन ओझा की तैयारी जब पार्टी मुखिया के पारिवारिक कलह की भेंट चढ़ गई तो पूर्व मंत्री जनार्दन ओझा की बहू ने पीस और निषाद पार्टी का साझा उम्मीदवार बनना ही बेहतर समझा। कांग्रेस के हिस्से आई पनियरा विधानसभा सीट से सुमन ओझा सपा-कांग्रेस के समीकरण को बिगाड़ने की तैयारी में हैं। वहीं फरेंदा में कभी जनता दल यूनाइटेड से चुनाव लड़ चुके एडवाकेट विजय सिंह को जब भाजपा ने निराश किया तो अब वह राष्ट्रीय लोकदल के सहारे भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए मैदान में हैं। सिसवां क्षेत्र से भी बगावत की आवाज आने लगी है माना जा रहा है कि बसपा और पीपा के चिह्न् पर चुनाव लड़ चुके आर के मिश्र को जब भाजपा से टिकट नहीं मिला तो अब वह निर्दल ही ताल ठोंकेंगे।
कुशीनगर: जनपद के तमकुहीराज सीट पर कमल खिलाने वाले नंदकिशोर मिश्र इस बार दलों के दलदल से बाहर निकल कर निर्दल मैदान में उतरने की घोषणा की है। नंदकिशोर की उम्मीदवारी भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है, तो छात्रनेता रहे श्रीकांत मिश्र भी भाजपा से नाउम्मीद होने के बाद निर्दल ही ताल ठोंक रहे हैं। वहीं पूर्व विधायक पीके राय ने इस बार सपा से टिकट न मिलते देख निषाद पार्टी का दामन थामा है। कई बार विधायक रहे वहीं राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से बगावत कर भाजपा का साथ देने वाले कुशीनगर के खड्डा के विधायक विजय दुबे तो इस कदर निराश हुए कि पार्टी नेतृत्व धोखा देने का आरोप तक लगा दिया, विजय भी अब निर्दल ही मैदान में होंगे। इसी तरह साइकिल की सवारी करते हुए पडरौना से विधानसभा पहुंचने की एनपी कुशवाहा की ख्वाहिश की पार्टी की पारिवारिक कलह की भेंट चढ़ गई। नाराज कुशवाहा भी निर्दल ही समर में ताल ठोंक रहे हैं। नामांकन के बीच नहीं थम रहा असंतोष बस्ती: सेवा-ईमानदारी का ‘फल’ नहीं मिलने से उपजी नाराजगी, बिगड़ेगा बड़े दलों का खेल, भाजपा में अंतर्कलह तो सपा-कांग्रेस के गठबंधन से असंतोष है।
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