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यूपी चुनावः बागी बिगाड़ेंगे दलों का खेल, कई समीकरण होंगे फेल

टिकटों का बंटवारा सभी राजनीतिक दलों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इस कारण सभी दलों में असंतोष की आग सुलग रही है।

By Sachin MishraEdited By: Updated: Tue, 07 Feb 2017 02:09 PM (IST)
यूपी चुनावः बागी बिगाड़ेंगे दलों का खेल, कई समीकरण होंगे फेल

कोई समर्पण का ईनाम न मिलने से असंतुष्ट है तो कोई सेवा का फल न मिलने से नाराज। टिकट की आस में न जाने क्या-क्या किया, लेकिन जब लिस्ट में नाम न दिखा तो असहज होना स्वाभाविक है। समर्थक मायूस हैं तो क्षेत्र के लोग सवाल कर रहे हैं। ऐसे हालात में कई जगह इन असंतुष्टों ने बगावत का झंडा भी थाम लिया है। जाहिर सी बात है यह नेता पहले तो उस पार्टी का नुकसान करेंगे, जिनसे इन्हें टिकट नहीं मिला है। पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ ताल ठोंक कर कई क्षेत्रों में नेताओं ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। सूबे में विधानसभा चुनाव का महासमर छिड़ चुका है। सभी दलों में टिकट वितरण भी लगभग पूरा हो चुका है। टिकटों का बंटवारा सभी राजनीतिक दलों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। गोरखपुर-बस्ती मंडल में कमोवेश सभी दलों में असंतोष की आग सुलग रही है। यह असंतोष कहीं बगावत बन चुकी है तो कहीं भितरघात का रूप धरने की तैयारी में है। सात जनपदों की 41 विधानसभा सीटों में दो दर्जन से ज्यादा क्षेत्रों में बागियों के स्वर तेज हो गए हैं। बगावत की आवाज से गूंज रहे ऐसे ही क्षेत्रों पर क्षितिज पांडेय की जनपदवार एक रिपोर्ट।

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बागियों ने दिलचस्प की लड़ाई

गोरखपुर : जिले में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही बगावत का झंडा भी बुलंद हो रहा है। चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से दो बार बसपा को जीत दिला चुके राजेश त्रिपाठी ने पार्टी की नीतियों से क्षुब्ध होकर इस बार हाथों में कमल थामा है। जिस नीले झंडे को फहराते हुए राजेश ने कभी कद्दावर नेता हरिशंकर तिवारी को पराजित किया था, वह नीला झंडा आज तिवारी के ही बेटे विनय के हाथों में है। विधानसभा पहुंचने की जिद में बसपा सरकार के मंत्री रहे रामभुआल निषाद का मामला तो और भी दिलचस्प है। हाथी के उतरने के बाद ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से कमल खिलाने में जी-जान से जुटे राम भुआल को जब ऐन मौके पर पार्टी ने सहारा देने से इन्कार कर दिया तो अब नाराज रामभुआल साइकिल पर बैठ चिल्लूपार में भाजपा और बसपा के सामने हैं। खजनी में बसपा प्रत्याशी राजकुमार के बाहरी होने से कार्यकर्ताओं में रोष है। कैंपियरगंज में सपा-कांग्रेस की साझा उम्मीदवार चिंता यादव के खिलाफ कांग्रेसियों में उपजा आक्रोश पार्टी के बड़े नेताओं तक पहुंच चुका है। पिपराइच से पूर्व मंत्री पप्पू जायसवाल की पत्नी अनीता भाजपा से टिकट न मिल पाने के बाद अब एकला चलो के नारे के साथ महासमर में जीत हासिल कर भाजपा को सबक सिखाने की तैयारी में हैं।

कबीर की धरती पर हलचल
संतकबीर नगर: कबीर की निर्वाणस्थली संतकबीर नगर में जनपद मुख्यालय की सीट पर बागी दलों का खेल बिगाड़ने के लिए तैयार हैं। खलीलाबाद से गंगा सिंह सैंथवार को जब भाजपा ने नहीं अपनाया तो बगावत का झंडा लेकर वह अब रालोद के हैंडपंप से विकास का पानी निकालने का वादा कर रहे हैं। इसी तरह महीनों से अपना दल (सोनेलाल) की पहचान लेकर चुनावी तैयारी में जुटे प्रदीप गुप्ता टिकट न मिलने के बाद भाजपा -अपना दल (सोनेलाल) गठबंधन का खेल बिगाड़ने को निर्दल ही मैदान में उतर रहे हैं। मेंहदावल सीट से सपा प्रत्याशी लक्ष्मीकांत निषाद के सामने पार्टी के बागी जयराम पांडेय निर्दल ताल ठोंक रहे हैं।

सभी दलों में है नाराजगी
महराजगंज : ससुर की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सुमन ओझा की तैयारी जब पार्टी मुखिया के पारिवारिक कलह की भेंट चढ़ गई तो पूर्व मंत्री जनार्दन ओझा की बहू ने पीस और निषाद पार्टी का साझा उम्मीदवार बनना ही बेहतर समझा। कांग्रेस के हिस्से आई पनियरा विधानसभा सीट से सुमन ओझा सपा-कांग्रेस के समीकरण को बिगाड़ने की तैयारी में हैं। वहीं फरेंदा में कभी जनता दल यूनाइटेड से चुनाव लड़ चुके एडवाकेट विजय सिंह को जब भाजपा ने निराश किया तो अब वह राष्ट्रीय लोकदल के सहारे भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए मैदान में हैं। सिसवां क्षेत्र से भी बगावत की आवाज आने लगी है माना जा रहा है कि बसपा और पीपा के चिह्न् पर चुनाव लड़ चुके आर के मिश्र को जब भाजपा से टिकट नहीं मिला तो अब वह निर्दल ही ताल ठोंकेंगे।

बढ़ता जा रहा असंतोष

सिद्धार्थनगर : आमतौर पर शांत रहने वाले इस सीमाई इलाके में इस बार बगावती सुर तेज हैं। अनुशासन का दावा करने वाली पार्टी भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रहे राधारमण ने पार्टी से टिकट न मिलने से निराश होकर इस बार पीस पार्टी का दामन थामा है तो इटवा में दो बार भाजपा का प्रतिनिधित्व कर चुके पार्टी के पूर्व जिला मंत्री हरिशंकर सिंह कमल छोड़ रालोद के हैंडपंप के पैरोकार बन गए हैं। साइकिल की सवारी न कर पाने से परेशान राज्य महिला आयोग की सदस्य जुबैदा चौधरी यूं तो अब तक बगावत का एलान नहीं किया है, लेकिन उनके द्वारा नामांकन पत्र खरीदे जाने से राजनीतिक हलचल तेज जरूर है। जुबैदा की दावेदारी भी शोहरतगढ़ सीट से मानी जा रही है। जिले में कई असंतुष्ट निर्दल चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं तो कई पार्टी को सबक सिखाने की ठान चुके हैं।

बड़े नेता निशाने पर

देवरिया : नीले झंडे के तले चुनावी समर फतह करने की जिम्मेदारी के लिए तैयार हो चुके गिरिजेश ऐन मौके पर टिकट कटने से खासे नाराज हैं और अब दलों के दलदल से बाहर निकल कर निर्दल ही ताल ठोंक रहे हैं। इसी तरह पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद मिश्र के बेटे शाका मिश्र और सलेमपुर से विजयलक्ष्मी गौतम कमल निशान नहीं पाने के बाद अब निर्दल ही मैदान में हैं। सलेमपुर में सपा प्रत्याशी मनबोध प्रसाद का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। विरोध के दौरान पुलिस के लाठीचार्ज में कई सपाई घायल भी हुए। पुलिस ने कई को जेल भेजा। पूरे जिले में तकरीबन सभी पार्टियों में बगावत के सुर हैं। कोई शांत होकर समय का इंतजार कर रहा है तो कोई खुलकर पार्टी के घोषित प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में खड़ा है।

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टिकट वितरण के पहले से ही विद्रोह
कुशीनगर: जनपद के तमकुहीराज सीट पर कमल खिलाने वाले नंदकिशोर मिश्र इस बार दलों के दलदल से बाहर निकल कर निर्दल मैदान में उतरने की घोषणा की है। नंदकिशोर की उम्मीदवारी भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है, तो छात्रनेता रहे श्रीकांत मिश्र भी भाजपा से नाउम्मीद होने के बाद निर्दल ही ताल ठोंक रहे हैं। वहीं पूर्व विधायक पीके राय ने इस बार सपा से टिकट न मिलते देख निषाद पार्टी का दामन थामा है। कई बार विधायक रहे वहीं राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से बगावत कर भाजपा का साथ देने वाले कुशीनगर के खड्डा के विधायक विजय दुबे तो इस कदर निराश हुए कि पार्टी नेतृत्व धोखा देने का आरोप तक लगा दिया, विजय भी अब निर्दल ही मैदान में होंगे। इसी तरह साइकिल की सवारी करते हुए पडरौना से विधानसभा पहुंचने की एनपी कुशवाहा की ख्वाहिश की पार्टी की पारिवारिक कलह की भेंट चढ़ गई। नाराज कुशवाहा भी निर्दल ही समर में ताल ठोंक रहे हैं।

नामांकन के बीच नहीं थम रहा असंतोष

बस्ती: सेवा-ईमानदारी का ‘फल’ नहीं मिलने से उपजी नाराजगी, बिगड़ेगा बड़े दलों का खेल, भाजपा में अंतर्कलह तो सपा-कांग्रेस के गठबंधन से असंतोष है।
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